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डॉ.रवि बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं महान शिक्षाविद थे- डॉ۔केके मंडल।‌ कौशिकी के अंबिका सभागार में मनाई गई डॉ.रवि की 83वीं जयंती*

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डॉ.रवि बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं महान शिक्षाविद थे- डॉ۔केके मंडल*

*कौशिकी के अंबिका सभागार में मनाई गई डॉ.रवि की 83वीं जयंती*
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कौशिकी क्षेत्र हिंदी साहित्य सम्मेलन संस्थान के अंबिका सभागार में कौशिकी के संरक्षक, टीपी कॉलेज के प्राचार्य, बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति व सांसद तथा प्रखर साहित्यकार रहे डॉ  रमेन्द्र कुमार यादव रवि की 83वीं जयंती कौशिकी के अध्यक्ष व पूर्व प्रतिकुलपति डॉ.केके मंडल की अध्यक्षता में 5 जनवरी को मनाई गई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व कुलसचिव प्रो.सचिंद्र महतो ने कहा कि डॉ.रवि ने शैक्षणिक व राजनीतिक क्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संगठन में भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। मुख्य वक्ता के रूप में प्रखर साहित्यकार प्रो.मणि भूषण वर्मा ने कहा कि मेरे गुरु रहे डॉ.रवि हिन्दी साहित्य के एक सुप्रसिद्ध विद्वान, कुशल प्रशासक, स्वाभिमानी शिक्षक, लोकप्रिय राजनेता एवं सह्रदय इंसान थे। उन्होंने कोसी, सीमांचल के शिक्षा, साहित्य एवं राजनीतिक जगत में अविस्मरणीय योगदान दिया। प्रो.वर्मा ने अब दोनों की विस्तार पूर्वक चर्चा की। उन्होंने डॉ.रवि के विभिन्न पुस्तकों की भी चर्चा की।

सम्मेलन के सचिव समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि कोसी, सीमांचल की समृद्धि व सर्वांगीण विकास में अविस्मरणीय योगदान के लिए डॉ.रवि को सदा याद किया जाएगा। डॉ.मधेपुरी ने अध्यक्ष मंडल के तीनों अध्यक्षों के साहित्यिक अवदानों की चर्चा करते हुए सबों को श्रद्धांजलि दी और नमन किया। प्रो.अरुण कुमार ने कहा कि डॉ.रवि एक हर दिल अजीज इंसान एवं लोकप्रिय जन नेता थे।

स्कूली छात्र-छात्राओं के बीच डॉ.रवि के जन्मदिन (3 जनवरी) को आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार के लिए चयनित चार छात्र-छात्रों को पुरस्कृत किया गया। वे हैं- माही, सपना, राजश्री एवं आयुष राज।

अंत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ.केके मंडल ने कहा कि बीएन मंडल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति एवं टीपी कॉलेज के प्रथम कमीशन्ड प्रधानाचार्य रह चुके डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव रवि बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं महान शिक्षाविद् थे। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में विकास की जो लकीरें खींची हैं उन्हें याद की जाती रहेंगी। उन्होंने कौशिकी के पूर्व अध्यक्ष मंडल के तीन सदस्यों डॉ.हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ, शिवनेश्वरी प्रसाद एवं भगवान चंद्र विनोद के साहित्यिक अवदानों की भी चर्चा की तथा श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर लोगों ने डॉ.रवि के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। प्रमुख रूप से विचार व्यक्त करने वालों में बीएनएमयू के पूर्व कुलसचिव कवि डॉ.विश्वनाथ विवेका, बीएन मंडल विश्वविद्यालय हिंदी पीजी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) सीताराम शर्मा, सैकड़ो मंच पर सम्मानित होने वाले प्रखर गजलकार सियाराम यादव मयंक सहित सत्यनारायण यादव, आनंद कुमार आदि। मंच संचालन राष्ट्रीय युवा वक्ता हर्षवर्धन सिंह राठौड़ व धन्यवाद ज्ञापन डॉ.श्यामल कुमार सुमित्र ने किया।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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