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कविता/आत्महत्या एक अभिशाप/मुकेश कुमार मिश्र

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मानव रूप में तुम जन्म लिया
कुछ नर्म कुछ गर्म जीवन में ऐहसास मिला।
परिवारिक मेला में संषर्घ हमारी शक्ति
खुशहाल होकर जियो मिलेगी तनाव से मुक्ति
हें मानव क्यो करते हो आत्महत्या
कुछ काम करो कुछ नाम करो……

सभी उम्र वर्ग में पनप रहे है, आत्महत्या की प्रवृति
मानव होकर अपने आप में गिरा रहें हो आत्मशक्ति
आत्महत्या करके इस जग में तुमने क्या पाया,
जीवन भर तुम्हारी शक्ति की हार तुझे दुतकारा
हें मानव क्यो करते हो आत्महत्या
कुछ काम करो कुछ नाम करो……

जब भी मन में कुछ द्वेष भरें खुद से एक प्रश्न करो,
हमने क्या गलती कि है फिर अपने आप विचार करो।
खुश होकर खुशहाली का एक नया इतिहास लिखो
जिस मां-बाप ने तुझे जन्म दिया उसका भी ख्याल करो
हें मानव क्यो करते हो आत्महत्या
कुछ काम करो कुछ नाम करो…….

मानव रूपी शक्ति को आत्महत्या कर मत लटकाओ
तुम वीर हो सफल इंसान बनकर दिखलाओ,
सारी खूशियां तुम्हारे कदमो में फिर दुख किस बात की,
थोडा भी तनाव सह न सके तो मानव किस बात की।
हें मानव क्यो करते हो आत्महत्या
कुछ काम करो कुछ नाम करो……

मानव जब संघर्ष कर गिरते हैं तो बढ़ती है शक्ति
फिर आत्म विश्वास को पाकर पाता हैं अपना मंजिल
जागो वीर अब यह कलंक हटाएं,
संघर्ष कर जग जीवन खूशहाल बनाएं।
मानव होकर क्यो करते हो आत्महत्या
कुछ काम करो कुछ नाम करो…..

मुकेश कुमार मिश्र
(स्वतंत्र पत्रकार)
पिता- श्री गोर्कण मिश्र
माता- श्रीमति पुष्पा देवी
शिक्षा:-
मैट्रिक- श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय नयागांव, परबत्ता, खगड़िया (बिहार) वर्ष 2000
इंटरमीडिएट- केएमडी कॉलेज परबत्ता (खगडिया) वर्ष 2002
स्नातक- मारवाडी कॉलेज भागलपुर, बिहार वर्ष 2005
अनुभव- 20 वर्षों से लेखन कार्य
लेखन कार्य क्षेत्र- ‘लाइव खगडिया’ (वेब पोर्टल), दैनिक समाचार पत्र ‘सन्मार्ग’, मासिक पत्रिका ‘समय प्रसंग’ आदि में
पूर्व संवाददाता दैनिक हिन्दुस्तान, प्रभात खबर में कई आलेख प्रकाशित
अभिरुचि :- आध्यात्मिक खबरें, गुमनाम प्रतिभावान व्यक्तित्व, गांव की परंपरागत खूशबू, प्रशासनिक अधिकारी, कर्मी, संगीत, साहित्यिक, कला, शिक्षा, कृषि के क्षेत्र में महती भुमिका निभाने वाले लोगो के कार्य को आमजन तक पहुंचाने की पहली प्राथमिकता।
ग्राम-बिशौनी, थाना-परबत्ता, जिला-खगडिया (बिहार)

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