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*ईस्ट जोन अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता के लिए बीएनएमयू की फुटबॉल टीम कोलकाता रवाना*

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*ईस्ट जोन अंतर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता के लिए बीएनएमयू की फुटबॉल टीम कोलकाता रवाना*

*बीएनएमयू फुटबॉल टीम के कप्तान बिहार टीम की भी कप्तानी करते हैं*

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा की फुटबॉल टीम ईस्ट जोन अंतर विश्वविद्यालय फुटबॉल (पु.) प्रतियोगिता के लिए पश्चिम बंगाल की कलकत्ता यूनिवर्सिटी, कोलकाता के लिए रवाना हो गयी है। कुलपति प्रो.(डॉ.) विमलेन्दु शेखर झा ने विश्वविद्यालय की बस से टीम को रवाना किया और टीम को जीत की शुभकामनाएं दीं। उनके साथ विश्वविद्यालय क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद के निदेशक डॉ. मो.अबुल फजल, विश्वविद्यालय क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद के संयुक्त सचिव डॉ. जैनेन्द्र कुमार भी मौजूद थे।

ईस्ट जोन अंतर विश्वविद्यालय फुटबॉल (पु.) प्रतियोगिता का आयोजन कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता में 19 नवम्बर से 25 नवम्बर तक होना है। भूपेंद्र नारायण मंडल यूनिवर्सिटी का पहला मैच 22 नवम्बर को पश्चिम बंगाल की रविन्द्र भारती यूनिवर्सिटी से होगा।

इससे पहले फुटबॉल का प्रशिक्षण कैम्प टीपी कॉलेज में लगाया गया था। जहाँ टीम ने जमकर पसीना बहाया। टीम का मैनेजर प्रिय रंजन कुमार, कोच रामकृष्ण यादव, सहायक कोच भानु कुमार और बमबम कुमार को बनाया गया है।

कुलसचिव प्रो.(डॉ.) विपिन कुमार राय, अध्यक्ष, छात्र कल्याण प्रो.(डॉ.) अशोक कुमार सिंह, टीपी कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, वित्त पदाधिकारी डॉ. सुरेश कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ. शंकर कुमार मिश्रा सहित विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारियों ने भी टीम को शुभकामनाएं दीं हैं।

टीम इस प्रकार है :-
अभिजीत हेम्ब्रम (कप्तान), अमर हेम्ब्रम (उप कप्तान), रंजीत मरांडी, लाल बाबू मरांडी, सतीश कुमार हेम्ब्रम, मोहम्मद दानीश आलम, आनंद राज, चन्द्र किशोर कुमार मुर्मू, कुंदन कुमार, शिवा बेसरा, लालजी हेम्ब्रम, सूरज कुमार मुर्मू, अंकित कुमार, मोहम्मद अरमान, मनीष कुमार, हरिश्चंद्र हांसदा, हिमराज और जीतू कुमार।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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