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आदर्श शिक्षक का हमेशा होता है सम्मान : कुलपति 

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आदर्श शिक्षक का हमेशा होता है सम्मान : कुलपति 

मधेपुरा की मिट्टी की खुशबू और यहां के लोगों से मिले प्यार और सम्मान हमेशा याद रहेगा: अशोक

बीएनएमयू में कॉमर्स के पूर्व संकायाध्यक्ष सह पूर्व अध्यक्ष के सम्मान में भव्य विदाई समारोह आयोजित

भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के वाणिज्य विभाग में कार्यक्रम आयोजित कर पूर्व संकायाध्यक्ष सह पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार को उनकी सेवानिवृति पर विदाई दी गयी। समारोह में विभाग के छात्र-छात्राओं ने गीत संगीत,नृत्य की बेहतरीन प्रस्तुती कर कार्यक्रम को यादगार बना दिया। समारोह में कुलपति डॉ. विमलेंदु शेखर झा ने अपने उद्बोधन में न सिर्फ डॉ. अशोक कुमार के साथ बिताए हुए अपने अनुभवों को साझा किया बल्कि आने वाले जीवन के दायित्वों के बारे में भी अपने विचार प्रकट किये। उन्होंने कहा कि आदर्श शिक्षकों का सम्मान उनकी सेवानिवृति के बाद भी होती है। कुलपति ने कहा कि अपने सहकर्मियों और गुरुजनों का इस तरह भव्य विदाई देना यह दर्शाता है कि ये अपने दायित्वों के प्रति समर्पित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार ने की। उन्होंने सेवानिवृत हुए पूर्व संकायाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार विभाग के विकास में हमेशा सक्रिय रहे। उनकी कमी तो खलेगी लेकिन उनका मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहेगा।

कार्यक्रम में वाणिज्य संकायाध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि भले ही ये सेवानिवृत होकर जा रहे हैं लेकिन इनके कार्य, छात्रों के प्रति इनका भाव और सहकर्मियों के प्रति सम्मान भाव हमेशा सबों के दिल में रहेगा। मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. राजीव कुमार मल्लिक, विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री, आईक्यूएसी निदेशक प्रो. नरेश कुमार, हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद मोहन जायसवाल,समाज शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. राणा सुनील सिंह,उर्दू एचओडी डॉ. एहसान सहित कई शिक्षकों ने उनके कार्यों की सराहना की। वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया। विभाग की छात्रा निक्की राज ने स्वागत गीत की प्रस्तुती दी। विभाग के शिक्षक डॉ. योगेश पांडेय, मोनिका, डॉ. सुरज कुमार शोधार्थी धीरेंद्र कुमार ने डॉ. अशोक कुमार के साथ किये गये कार्यों को याद कर कहा कि उनके नेतृत्व में काफी सीखने का मौका मिला। छात्र रवि चौधरी, स्टीवेंसन मैथ्यू, शोध छात्रा मधु कुमारी ने अपनी अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ करके पूर्व विभागाध्यक्ष के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की। अभिषेक राज के गायन से सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. अशोक कुमार ने अपने कार्यकाल के दिनों के स्मृतियों को सबके साथ साझा किया और विभाग के सभी शिक्षकों और छात्रों को उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि मधेपुरा की मिट्टी की सुगंध को वे कभी नहीं भूल पाएंगे। यहां से मिले मान-सम्मान और सहयोग को वे हमेशा याद रखेंगे। उन्होंने कहा कि सेवाकाल के दौरान उनसे जो गलती हुई होगी उसे माफ करते हुए जिस तरह प्यार और सम्मान दिया है उसी तरह देते रहेंगे। विदाई के दौरान सबों की आंखे भींग गयी थी। इस अवसर पर डॉ. अशोक कुमार के पुत्र डॉ.सन्नी कुमार और पुत्रवधू डॉ. ज्योत्सना का भी स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम के प्रबंधन में शोध छात्र आर्यमान, सौरव कुमार, प्रभु कुमार, प्रसन्न मुकीम और आकाश कुमार सहित अन्य की मुख्य भूमिका में रही। मंच संचालन विभाग डॉ. मोनिका और डॉ. योगेश पांडे ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सूरज कुमार ने किया। इस मौके पर शोधार्थी धीरेंद्र कुमार, सौरभ कुमार, चंदा कुमारी, रिचा, ब्रजभूषण, वंशिका, अंकित आदि उपस्थित रहे।

प्रस्तुति : डॉ. संजय कुमार ”परमार”, असिस्टेंट प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, सी. एम. साइंस कॉलेज, मधेपुरा

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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