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Bhumandalikaran aur Bhartiy Vikalp भूमंडलीकरण और भारतीय विकल्प
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Bhumandalikaran aur Bhartiy Vikalp भूमंडलीकरण और भारतीय विकल्प

12. भूमंडलीकरण और भारतीय विकल्प महात्मा गाँधी द्वारा हिंद-स्वराज’ में कहा है, ”यह सभ्यता ऐसी है कि अगर हम धीरज धरकर बैठे रहेंगे, तो इसकी चपेट में आए हुए लोग खुद की जलाई हुई आग में जल मरेंगे। ... यह सभ्यता दूसरों का नाश करने वाली और खुद भी नाशवान है।“1 उनकी इस भविष्यवाणी के संकेत आज हर तरफ दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में इस तथाकथित भूमंडलीकरण से उत्पन्न चातुर्दिक संकटों के समाधान की दिशा में भी गंभीरतापूर्वक काम करने की जरूरत महसूस होने लगी है। इस क्रम में भारतीय चिंतन की ओर ध्यान जाना स्वभाविक है। भारतीय चिंतन सार्वभौमिक एवं सर्वकालिक है और आधुनिक संदर्भों में भी इसकी प्रासंगिकता, उपादेयता एवं स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। भूमंडलीकरण के भारतीय विकल्प को निम्न बिंदुओं में आसानी से समझा जा सकता हैऋ पण् समग्र विकास या सर्वोदय: भूमंडलीकरण का सबसे अहम मुद्दा हैऋ ‘विकास’, लेकिन दुर्भाग्य से इसे संकुचि...