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Bhumandalikaran aur Paryavaran भूमंडलीकरण और पर्यावरण
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Bhumandalikaran aur Paryavaran भूमंडलीकरण और पर्यावरण

7. भूमंडलीकरण और पर्यावरण प्रकृति-पर्यावरण1 के संरक्षण एवं संवर्द्धन को ध्यान में रखकर भारतीय दार्शनिकों ने न केवल मनुष्य, बल्कि समस्त जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्रकृति-पर्यावरण आदि के बीच मानव जीवन की समरसता, सामंजस्य एवं सौहार्द स्थापित करने वाली जीवन-दृष्टि विकसित की थी।2 भारतीय मनीषियों का संपूर्ण जीवन और दर्शन पर्यावरणीय नैतिकता का पोषक है।3 आवश्यकताओं में कटौती, लोभ-लालच का त्याग, अपरिग्रह, ट्रस्टीशिप, कुटीर उद्योग, स्वावलम्बन, सर्वोदय आदि के बारे में उनके विचार तथा प्रकृति के प्रति उनका असीम लगावऋ ये सभी उनकी सूक्ष्म पर्यावरण-चेतना की ओर स्पष्ट संकेत करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को श्रमपूर्वक अपनी आजीविका अर्जित करनी चाहिए और उसी से संतोषपूर्वक जीवनयापन करना चाहिए। उनका दृढ़ विश्वास था कि आवश्यकताओं में कटौती करके श्रम द्वारा अर्जित धन से ही मनुष्य सुख, संतोष एवं शांति की प्राप्ति कर ...