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BNMU प्रथम साक्षी से संवाद/ शिक्षक एवं शिक्षार्थी में तारतम्य आवश्यक : डॉ. रवि
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BNMU प्रथम साक्षी से संवाद/ शिक्षक एवं शिक्षार्थी में तारतम्य आवश्यक : डॉ. रवि

प्रथम साक्षी से संवाद जनवरी 1992 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव की सरकार ने कोसी में विश्वविद्यालय की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा किया और मधेपुरा को इसका मुख्यालय बनाया। इस तरह बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय का जन्म हुआ। इसमें डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव 'रवि' की महती भूमिका रही और सौभाग्य से आपको विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति होने का गौरव भी प्राप्त हुआ। इस तरह आप इस विश्वविद्यालय के प्रथम साक्षी हैं। आपने इस विश्वविद्यालय की गर्भावस्था का सुख अनुभूत किया और इसकी प्रसव वेदना भी झेली। इसे घुटने के बल चलते देखा, फिर डगमगाते हुए दौड़ते भी देखा और आज इस मुकाम पर भी देख रहे हैं। आप इस विश्वविद्यालय के अतीत, वर्तमान एवं भविष्य अर्थात् कल, आज एवं कल को एक साथ देख रहे हैं। इस विश्वविद्यालय का वांग्मय चाहे जितना बड़ा हो जाए, इसकी इमारतों की मंजिलें चाहे कितनी भी ऊंची क्यों न...
Yoga योग से हम शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकतै हैं
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Yoga योग से हम शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकतै हैं

योग से हम शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकतै हैं। यह हमें संपूर्ण सवास्थ्य को उपलब्ध करने में मददगार है। तनाव एवं अवसाद को दूर करने में योग की महती भूमिका है। यह बात सुप्रसिद्ध लेखिका एवं योग-विशेषज्ञ एवं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर-गढ़वाल, (उत्तराखंड) में कार्यरत डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ ने कही। वे शुक्रवार को अवसाद से मुक्ति में योग दर्शन की भूमिका विषयक व्याख्यान दे रही थीं। यह व्याख्यान बी. एन. मण्डल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला के तहत किया गया। उन्होंने कहा कि कितना भी गहरा अवसाद हो योग के षट्कर्म, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान और योगनिद्रा जैसे अभ्यासों के द्वारा निश्चित रूप से अवसाद से मुक्ति प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य है मनोभावों से संबंधित दु:ख। इसे रोग या...
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Covid-19। कोरोना से जंग-माँ के संग

कोरोना से जंग-माँ के संग यह मातृ दिवस ऐसे समय में आया है, जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी के कहर से डरी-सहमी है। ऐसे में कोरोना से जंग में माँ से आशीर्वाद माँगा जा रहा है। बीएनएमयू, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने मातृ दिवस पर कुछ ऐसा ही किया। उन्होंने अपने यू-ट्यूब चैनल एवं फेसबुक पर कोरोना से लड़ाई में उपयोगी अपनी नानी माँ सिया देवी, माधवपुर (खगड़िया) की बातों को शेयर किया। उन्होंने कोरोना उन्मूलन में कारगर हो सकने वाले नानी माँ के नुस्खों को 'शेयर' किया है। 1. एक स्वतंत्रता सेनानी की सहधर्मिणी के रूप में नानी माँ के लिए देश-प्रेम सर्वोपरि था। उन्होंने अपने हाथों पर 'जय हिंद' गुदबा रखा था और यही उनके दिलों पर भी अंकित था। आज कोरोना से जंग में देश-प्रेम की सबसे अधिक जरूरत है। कोरोना के खिलाफ जंग में भारत माता एवं धरती माता के आशीर्वाद आवश्यक है। 2. नानी माँ हमेशा...
Covid-19। कोरोना से जंग-भारतीय संस्कृति के संग।
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Covid-19। कोरोना से जंग-भारतीय संस्कृति के संग।

कोरोना से जंग-भारतीय संस्कृति के संग। ======= कोरोना के कहर से पूरी दुनिया त्रस्त है।  बिहार सहित देश के कई राज्यों में लाॅकडाउन है और विश्वविद्यालय में भी कामकाज प्रभावित हुआ है।   मधेपुरा के वरिष्ठ नागरिक सह कुलपति के निजी सहायक और शंभू नारायण यादव का कहना है कि उन्होंने आज तक ऐसी आपदा के बारे में नहीं सुना था। यह एक बड़ी त्रासदी है। इसमें हम सबों को सावधानी बरतने की जरूरत है। खासकर बिहार में विशेष सतर्कता की जरूरत है; क्योंकि यहाँ कोरोना जांच की भी सुविधा नहीं है। यह हमारे लिए शर्म की बात है कि हमने कोरोना पीड़ित का सैम्पल राँची भेजा और जबतक रिपोर्ट आई, मरीज की मौत हो गई। अतः माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय  स्वास्थ्य मंत्री को सभी कामों को छोड़कर स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त करने पर ध्यान देने की जरूरत है। यहां  सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में कोरोना ...
Covid-19। कोरोना से जंग, नानी के संग
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Covid-19। कोरोना से जंग, नानी के संग

कोरोना से जंग-नानी के संग कोरोना के कहर से पूरी दुनिया त्रस्त है। बिहार सहित देश के कई राज्यों में लाॅकडाउन है और विश्वविद्यालय में भी कामकाज प्रभावित हुआ है। ऐसे में हम अपने-अपने तरह से इस लाॅकडाउन के समय का सदुपयोग कर रहे हैं और कोरोना से लड़ने की तरकिबें ढूंढने में लगे हैं।इस समय अपनी दिवंगत नानी सिया देवी, माधवपुर (खगड़िया) की बातें मेरे लिए काफी उपयोगी साबित हो रही हैं। इनमें से कुछ प्रमुख बातें निम्नवत हैं- 1. एक स्वतंत्रता सेनानी की सहधर्मिणी के रूप में नानी के लिए देश-प्रेम सर्वोपरि था। उन्होंने अपने हाथों पर 'जय हिंद' गुदबा रखा था और यही उनके दिलों पर भी अंकित था। आज कोरोना से जंग में देश-प्रेम की सबसे अधिक जरूरत है। 2. नानी हमेशा कहती थीं कि इलाज से परहेज अच्छा होता है। अतः हमें संयम, सूचिता एवं सादगी का जीवन जीना चाहिए, ताकि कोरोना या कोई अन्य महामारी हो ह...