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Poem। कविता। सिरजने का सुख
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Poem। कविता। सिरजने का सुख

सिरजने का सुख **************** खेत मेरा है, मेहनत मेरी है , पसीना मेरा बहा, मेहनत मैंने किया. बारिश में भींगते हुए, लू में तपते हुए, जाड़े में ठिठुरते हुए, बाढ़ में फंसते हुए, जीवन मैंने जिया, मेहनत मैंने किया। बीज के लिए, खाद के लिए, जुताई के लिए, बुआई के लिए, हमने साझा काम किया। हर क्षण हमने गीत गाया, कुदाल चलाते हुए, धान रोंपते हुए, फसल काटते हुए, फसल ओसाते हुए। खुश हैं हम, सिरजने के सुख से. लेकिन हमारी हर खुशी को हमसे छीनी जा रही है। हमारे आधार को हमसे दरकाया जा रहा है। अब हम किसके भरोसे रहेंगे ? ना तो खेत मेरी है, ना खाद मेरा है, ना पानी मेरा रहा, ना तो समाज मेरा रहा। आहिस्ता-आहिस्ता,                                                              हर हमारी चीज तुम्हारी हुई, पहले हमारी मेहनत गई,                                                      फिर हमारी एकता गई, ...
Culture सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य प्राप्ति का पर्व अनंत चतुर्दशी श्रद्धापूर्वक सम्पन्न
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Culture सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य प्राप्ति का पर्व अनंत चतुर्दशी श्रद्धापूर्वक सम्पन्न

आज अनंत चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया गया। इस दौरान मंदिरों और घरों में लोगों ने पूजा का आयोजन किया। सुबह से ही हाथों में पूजा की थाली लिए लोग पूजन स्थल पर पहुँचने लगे थे। ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर दिखा। लोग सुबह से ही सामूहिक रूप से पूजा में भाग लिया। कलश की स्थापना कर धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर 14 गाठों वाला अनंत सूत्र भगवान विष्णु को अर्पित किया गया। आस्थापूर्वक पूजा संपन्न होने के बाद लोग अनंत सूत्र अपने बांहों में बांधा। धन-धान्य, सुख समृद्धि, आरोग्य प्राप्ति की कामना के लिये की जाने वाली पूजा के बाद लोग डोरा बांधने के पश्चात चौदह दिनों तक निरामिष भोजन करते हैं।डोरा धारण करने व अनंत चतुर्दशी व्रत कथा सुनने का भी विशेष महत्व है। यह पर्व भादो शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने और अनंत सूत्र को बांधने...