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Poem। कविता। कैसा होगा देश का नजारा
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Poem। कविता। कैसा होगा देश का नजारा

कैसा होगा देश का नजारा एक तरफ आजादी तो दूसरी तरफ बंटवारा कैसा वीभत्स होगा हमारे देश का नजारा, एक तरफ मिलन तो दूसरी तरफ बेसहारा, लोगों का प्रेम तो लाशों की ढेर, बहुत मुश्किल से संभाला होगा देश हमारा। वो त्रासदी की रातें कैसे कटी होंगी, आजादी के लिए लहू से मिट्टी सनी होगी। अपनों का बिछड़ना क्या मरने से कम होगा, बिछड़ने वालों की आंखों में आंसू का समंदर होगा, बच्चों की बेबस आंखें अपनों को ढूंढती होंगी, अनगिनत लोगों को न जाने कितनी पीड़ा होगी। जिसके लहू में कट्टरता होगी उसे ये रात बहुत भाई होगी, लेकिन देशप्रेमियों की आंखें पथराई होगी। उस स्नेह का क्या विकल्प होगा, जिसने ना बिछड़ने की कसम खाई होगी। उस प्रेम का क्या नाम होगा, जिसने दूसरे मुल्क में पनाह पाई होगी। वो द्रवित क्षण, वो द्रवित पल क्या किसी के मन से भुलाई होगी। उस विभाजन वेदना से, किस आंगन की मिट्टी ने शीतलता पा...
Gandhi। महात्मा गांधी का स्वास्थ्य चिंतन
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Gandhi। महात्मा गांधी का स्वास्थ्य चिंतन

स्वास्थ्य शरीर, मन और आत्मा की सामंजस्यपूर्ण स्थिति है। इस स्थिति में व्यक्ति सभी प्रकार की रूग्नताओं से मुक्त होता है और उसके सभी अंग-प्रत्यंग सुव्यवस्थित एवं सुनियोजित ढंग से कार्य करते हैं। दूसरे शब्दों में, यह वह आदर्श स्थिति है, जिसमें शरीर स्फूर्तिवान, मन प्रसन्न एवं आत्मा मुदितापूर्ण होती है और दसों इंद्रियाँ (पाँच कर्मेंद्रियाँ, यथा- हाथ, पाँव, मुँह, जननेंद्रिय एवं गुदा और पाँच ज्ञानेंद्रियाँ, यथादृ आँख, नाक, कान, जिह्ना एवं त्वचा) और मन (ग्यारहवीं इंद्रिय) का कार्य-व्यवहार संपूर्ण (सम्यक्) रूप से चलता है।1 स्वस्थ शरीर का अर्थ मोटा-तगड़ा शरीर नहीं है, अर्थात् इसमें पहलवानों या अतिशय दौड़ने-कूदने वालों का समावेश नहीं है। वरन्, इसका आशय व्याधिरहित शरीर से है, अर्थात् वैसा शरीर जो सामान्य काम कर सके। दूसरे शब्दों में, "जो मनुष्य बगैर थकान के रोज दस-बारह मील चल सकता है, जो बगैर थकान के स...
Gandhi। मजबूती का नाम महात्मा गांधी/ स्वयं प्रकाश, संपादक, जी न्यूज बिहार-झारखंड
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Gandhi। मजबूती का नाम महात्मा गांधी/ स्वयं प्रकाश, संपादक, जी न्यूज बिहार-झारखंड

मजबूती का नाम महात्मा गांधी स्वयं प्रकाश, संपादक, जी न्यूज बिहार-झारखंड ‘मैं कई महीनों से सामाजिक सुधार की जिस पद्धति की तलाश में था, वह मुझे प्रेम और अहिंसा पर गांधीवादी दर्शन में मिली। मुझे लगा कि दलितों के लिए उनके मुक्ति संघर्ष का तरीका नैतिक और व्यावहारिक दृष्टि से ठीक है। - मार्टिन लूथर किंग (‘स्ट्राइड्स टुवर्डस फ्रीडम पुस्तक में) ‘यह कौन दुस्साहसी है, यह कौन योद्धा है। जो अपने प्यार से, अपनी नि:सीम सद्भावना से। अपने सत्य से, संसार के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्य को चुनौती दे रहा है।– अंग्रेज कवि ब्रेल्सफोर्ड ( ‘ए हिस्टोरिक मार्च पुस्तक में) ‘घने जंगल में थका हारा सिपाही, हताश सो गया। उसके सपने को कृतार्थ किया एक महात्मा ने, एक गुरुदेव ने। एक ने मुस्कराते हुए अग्निपथ पर चलने की प्रेरणा दी। एक ने अमृतवाणी से मूर्छित चेतना को झकझोर दिया। मेरा नमन लो महात्मा.’ - कवि नक्रुमा ...
Yoga। व्याधिकाल में योग : नियमों के अनुपालन का दर्शन/प्रो. इन्दु पाण्डेय खंडूड़ी, अध्यक्षा, दर्शन विभाग, हे.न.ब.गढ़वाल [केंद्रीय]वि.वि.   श्रीनगर [गढ़वाल] उत्तराखण्ड                                                                                                          
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Yoga। व्याधिकाल में योग : नियमों के अनुपालन का दर्शन/प्रो. इन्दु पाण्डेय खंडूड़ी, अध्यक्षा, दर्शन विभाग, हे.न.ब.गढ़वाल [केंद्रीय]वि.वि.  श्रीनगर [गढ़वाल] उत्तराखण्ड                                                                                                         

व्याधिकाल में योग : नियमों के अनुपालन का दर्शन आज सम्पूर्ण विश्व में कोरोनाजन्य व्याधि का कहर तेजी से प्रसारित होकर अनेक लोगों की मृत्यु का कारण बन रहा है या मृत्यु तुल्य कष्टकारी परिस्थितियों में ले जा रहा है एवं इससे बचाव के लिए अनेक उपचारात्मक प्रबंध भी किये जा रहे है| परन्तु इस महामारी से निपटने के लिए यह अत्यधिक संवेदनशील स्थिति अपेक्षित संसाधनों के समुचित प्रबन्ध के अतिरिक्त उपचारकों के संक्रमित होने की प्रबल संभावना भी भय उपजा रहा है| ऐसी दशा में सम्पूर्ण विश्व के साथ भारत भी रक्षात्मक उपाय के रूप में लॉक डाउन के अब चरणबद्ध ढंग से अनलॉक प्रक्रिया  की राह पर आगे बढ़  रहा है| ऐसी दशा में  बचाव का मार्ग हमेशा ही उपचार से श्रेष्ठ माना गया है, इसलिए सरकारी तंत्र भी बचाव के निर्देशों के प्रचार-प्रसार कर रहा है| नियम निर्देशित किये जा रहे है| परन्तु अनेक लोगों की स्थिति ऐसी है जहाँ भू...
Culture सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य प्राप्ति का पर्व अनंत चतुर्दशी श्रद्धापूर्वक सम्पन्न
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Culture सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य प्राप्ति का पर्व अनंत चतुर्दशी श्रद्धापूर्वक सम्पन्न

आज अनंत चतुर्दशी का पर्व श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया गया। इस दौरान मंदिरों और घरों में लोगों ने पूजा का आयोजन किया। सुबह से ही हाथों में पूजा की थाली लिए लोग पूजन स्थल पर पहुँचने लगे थे। ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर दिखा। लोग सुबह से ही सामूहिक रूप से पूजा में भाग लिया। कलश की स्थापना कर धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर 14 गाठों वाला अनंत सूत्र भगवान विष्णु को अर्पित किया गया। आस्थापूर्वक पूजा संपन्न होने के बाद लोग अनंत सूत्र अपने बांहों में बांधा। धन-धान्य, सुख समृद्धि, आरोग्य प्राप्ति की कामना के लिये की जाने वाली पूजा के बाद लोग डोरा बांधने के पश्चात चौदह दिनों तक निरामिष भोजन करते हैं।डोरा धारण करने व अनंत चतुर्दशी व्रत कथा सुनने का भी विशेष महत्व है। यह पर्व भादो शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने और अनंत सूत्र को बांधने...
Film बरौनी से बाॅलीवुड तक @ संतोष का सफरनामा
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Film बरौनी से बाॅलीवुड तक @ संतोष का सफरनामा

हिंदी सिनेमा जगत उर्फ बाॅलीवुड की दुनिया में कई बिहारी कलाकार अपनी प्रतिभा से बिहार का नाम रौशन करते आए हैं। इन्हीं कलाकारों में एक उभरता हुआ नाम बेगूसराय के लाल संतोष कुमार का है। अभिनेता संतोष कुमार अपने अभिनय से बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। संतोष का जन्म बेगूसराय जिला अन्तर्गत बरौनी ग्राम में 1 मार्च 1979 को हुआ था। इनके पिता श्री श्यामसुंदर झा सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। इनकी माता जी का नाम श्रीमती कामिनी देवी है। इनकी पत्नी का नाम श्रीमती रानी झा है। इनके दो पुत्र है-आशुतोष आनंद, मेडिकल की तैयारी करते हैं और अवनीश आनंद, ग्यारहवीं की पढ़ाई करते हैं। संतोष ने 1998 ईस्वी में मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, बिहार से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इन्हें रंगमंच या सिनेमा के पर्दे पर कलाकार बनने का जज्बा बचपन से ही रहा था। बचपन से ही गाँव में होने वाले नाटकों में अभिनय करते थे। इनके ...