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NSS शिविर में दिया गया निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श

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*शिविर में दिया गया निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श*

ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा की राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम इकाई द्वारा संचालित सात दिवसीय विशेष शिविर के छठे दिन तीन चिकित्सकों ने शिविरार्थियों को सेहत के सूत्र बताए और निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श दिया।

वरिष्ठ महिला चिकित्सक डा. नायडू कुमारी ने कहा कि हमारे समाज में महिला स्वास्थ्य की स्थिति ज्यादा खराब है।महिलाओं को प्रायः पोषण तत्व कम मिल पाता है और उनमें रक्त की भी कमी होती है। अतः हमें महिलाओं को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना चाहिए और बालिकाओं एवं महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि रक्त की कमी एक चिकित्सीय समस्या के साथ-साथ एक सामाजिक समस्या भी है। प्रायः कम उम्र में शादी होने के कारण बालिकाओं को रक्त की कमी का सामना करना पड़ता है और कई अन्य समस्याएँ भी आती हैं। अतः बालिकाओं की शादी 18 वर्ष के बाद ही करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्राय महिलाएँ अपने खानपान पर ध्यान नहीं देती हैं।
फास्टफूड खाना और वज़न कम करने के लिए डायटिंग करना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। डायटिंग करने या कम खाने से वज़न और बढ़ सकता है। अतः डायटिंग नहीं करें, बल्कि संतुलित आहार लें।

उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक श्रम आवश्यक है। हम जितना कैलोरी लेते हैं, उसे खर्च करना भी जरूरी है। अतः नियमित व्यायाम और शारिरिक श्रम आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि रक्त के माध्यम से ही हमारे शरीर में ऑक्सीजन एवं अन्य पोषक तत्वों का प्रवाह होता है। हमारे लिए ऑक्सीजन का क्या महत्व है, यह कोरोनाकाल में पूरी दुनिया जान गई है।

उन्होंने सबों से अपील की कि वे कोरोना टीका का दोनों डोज लें।गर्भवती महिलाऐं भी कोरोना टीका लें।

युवा चिकित्सिका डा. ऋचा पल्लवी ने कहा कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। हम सबों को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। हम ऐसी जीवनशैली अपनाएँ, जिससे हम अस्वस्थ हों ही नहीं।

दंत चिकित्सक डा. सुनीति राय ने बताया कि दाँत भोजन को चीरने, चबाने आदि के काम आता है। हमें जीवन भर दाँतों की जरूरत होती है। अतः दाँतों की देखभाल संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। साथ ही चमकते दाँत हमारी सुंदरता को भी बढ़ाते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें दाँतों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। हम नियमित रूप से दातों की सफाई करें। कोल्ड ड्रिंक आदि नहीं पीएँ। नींबू, सरसों का तेल, लौंग, हींग, प्याज, तेजपत्ता, अदरक, अमरूद के पत्ते, लहसुन, तिल का तेल, पुदीना आदि का सेवन करें।

अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव ने अंगवस्त्रम् एवं गाँधी-विमर्श पुस्तक भेंट कर की। कार्यक्रम की अध्यक्षता गणित विभागाध्यक्ष डाॅ. एम. एस. पाठक ने की। संचालन सीएम साइंस काॅलेज, मधेपुरा के कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. संजय परमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम पदाधिकारी
डाॅ. सुधांशु शेखर ने की।कार्यक्रम में शिविरार्थियों ने इसमें उत्साहपूर्वक भाग लिया। दर्जनों लोगों को नि:शुल्क परामर्श दिया गया और कुछ आवश्यक दवाइयाँ भी दी गईं।

इस अवसर पर डाॅ. रोहिणी, डाॅ. प्रकृति राय, डाॅ. खुशबू शुक्ला, डाॅ. स्वर्ण मणि, सोनू कुमार, विक्रम कुमार, प्रिंस कुमार, प्रवीण कुमार, राहुल कुमार, आशीष कुमार, सुधांशु सत्यम, राजा बाबू, इन्द्रजीत कुमार, ब्युटी कुमारी, पूजा कुमारी, नेहा भारती आदि उपस्थित थे।

प्रधानाचार्य ने बताया कि मंगलवार को डाॅ. अंबेडकर : जीवन एवं दर्शन विषयक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। साथ ही समापन समारोह होगा। समारोह में सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. राजकुमार सिंह, मानविकी संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. उषा सिन्हा, एनएसएस समन्वयक डाॅ. अभय कुमार एवं वार्ड पार्षद अहिल्या देवी सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहेंगे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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