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ICPR नेपाल के वक्ता देंगे वैदिक दर्शन पर व्याख्यान

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*नेपाल के वक्ता देंगे वैदिक दर्शन पर व्याख्यान*

दर्शनशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के तत्वावधान में शनिवार को शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर) नई दिल्ली के स्टडी सर्किल योजनान्तर्गत एक संवाद एवं परिचर्चा आयोजित है। इसमें दर्शनशास्त्र विभाग, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू (नेपाल) में प्रोफेसर डॉ. गोविन्द शरण उपाध्याय वैदिक दर्शन का मानवतावादी दृष्टिकोण विषयक व्याख्यान देंगे।

*आईसीपीआर के पूर्व अध्यक्ष करेंगे अध्यक्षता*

आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना के पूर्व अध्यक्ष सह आईसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचंद्र सिन्हा करेंगे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि दर्शनशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के पूर्व अध्यक्ष सह अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जटाशंकर होंगे। अतिथियों का स्वागत दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना की पूर्व अध्यक्ष सह दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) पूनम सिंह करेंगी।

*होंगे टिप्पणी एवं प्रश्नोत्तर सत्र*

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में विशेष रूप से टिप्पणी एवं प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन सुनिश्चित है। इसमें दर्शनशास्त्र विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर- गढ़वाल (उत्तराखंड) की पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) इंदु पांडेय खंडुरी मुख्य टिप्पणीकार की भूमिका निभाएंगी। प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर दिया जाएगा।

*हो चुके हैं आठ संवाद*

डॉ. शेखर ने बताया कि बीएनएमयू, मधेपुरा में अप्रैल 2022 से स्टडी सर्किल कार्यक्रम की शुरुआत हुई है। इसके अंतर्गत सांस्कृतिक स्वराज (डॉ. रमेशचन्द्र सिन्हा, नई दिल्ली), गीता का दर्शन (प्रो. जटाशंकर, प्रयागराज), मानवता के लिए योग (प्रो. एन. पी. तिवारी, पटना), भारतीय दर्शन में जीवन-प्रबंधन (प्रो. इंदु पांडेय खंडुरी, श्रीनगर), प्रौद्योगिकी एवं समाज (डॉ. आलोक टंडन, हरदोई), समाज- परिवर्तन का दर्शन (डॉ. पूनम सिंह, पटना), गांधीवाद : सिद्धांत एवं प्रयोग (डॉ. मनोज कुमार, वर्धा) और युवाओं के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश (माधव तुरूमेला, लंदन) विषयक संवाद हो चुके हैं। इसी कड़ी में इस वर्ष का अंतिम संवाद शनिवार को वैदिक दर्शन का मानवतावादी दृष्टिकोण विषय पर सुनिश्चित है।

*मार्च 2023 तक चलेगा कार्यक्रम*
उन्होंने बताया कि आगे स्टडी सर्किल के अंतर्गत जनवरी से मार्च 2023 तक चार संवादों का आयोजन होना है। इसके लिए डॉ. मुरलीधर पांडा (दक्षिण अफ्रीका), डॉ. वैद्यनाथ लाभ (नालंदा), डॉ. रजनीश कुमार शुक्ल (वर्धा), डॉ. अम्बिका दत्त शर्मा (सागर), डॉ. सच्चिदानंद मिश्र (नई दिल्ली) आदि विद्वानों से अनुरोध किया जा रहा है। वक्ताओं से सहमति मिलने के बाद विषयों का निर्धारण किया जाएगा।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।