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Dr. Ravi रवि का कभी नहीं हो सकता है अस्त : कुलपति डाॅ. रवि के जन्मोत्सव पर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम

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रवि का कभी नहीं हो सकता है अस्त : कुलपति

डाॅ. रवि के जन्मोत्सव पर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम

प्रोफेसर डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव रवि बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे हिंदी, मैथिली एवं अंग्रेजी साहित्य के मूर्धन्य विद्वान, प्रख्यात शिक्षक, कुशल प्रशासक एवं लोकप्रिय राजनेता थे। वे अपने नाम के अनुरूप शिक्षा, समाज, राजनीति एवं साहित्य के चमकते सूर्य हैं। ऐसे रवि का कभी भी अस्त नहीं हो सकता है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति डॉ. आर. के. पी. रमण ने कही। वे मंगलवार को डॉ. रवि विचार मंच के तत्वावधान में आयोजित जन्मोत्सव समारोह में बोल रहे थे।

कार्यक्रम का आयोजन सुप्रसिद्ध लेखक-विचारक, सर्वप्रिय शिक्षक एवं समद्रष्टा प्रशासक और पूर्व विधायक, पूर्व सांसद (लोकसभा एवं राज्य सभा) तथा भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के संस्थापक कुलपति डॉ. रवि के 81वें जन्मदिवस पर किया गया।

कुलपति ने बताया कि डाॅ. रवि ने पटना विश्वविद्यालय, पटना से एम. ए. (हिंदी) एवं पी-एच. डी. की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी प्राध्यापकीय यात्रा का प्रारंभ ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में हिंदी के प्राध्यापक के रूप में की थी और वे इस महाविद्यालय के प्रथम कमीशंड प्रधानाचार्य भी रहे।

प्रति कुलपति डॉ. आभा सिंह ने कहा कि डॉ. रवि के नाम पर स्कालरशिप एवं फेलोशिप योजना की शुरुआत होनी चाहिए। इससे विद्यार्थियों के विकास का समुचित अवसर मिल सकेगा।

डाॅ. रवि विचार मंच के संयोजक सह कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव ने कहा कि डाॅ. रवि ने संस्थापक कुलपति के रूप में मात्र 6 माह के अंदर 122 छोटे-बड़े क्वार्टर एवं प्रशासनिक भवन सहित कोसी प्रोजेक्ट की 22 एकड़ का परिसर विश्वविद्यालय के नाम स्थानांतरित कराकर विश्वविद्यालय की आधारभूत संरचना को मजबूती प्रदान की। साथ ही विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के विद्वान शिक्षकों को विभिन्न पदाधिकारियों के रूप में प्रतिनियोजित कराया। 6 माह के अंदर परीक्षा लेकर एवं परिणाम घोषित कर एक रिकार्ड कायम किया।

उन्होंने कहा कि डाॅ. रवि ने मधेपुरा और कोसी-सीमांचल के विकास में महती भूमिका निभाई और इस क्षेत्र को एक नई पहचान दिलाई है। उन्होंने मधेपुरा का सड़क एवं रेलमार्ग से संपर्क सुदृढ़ करने और मधेपुरा को जिला बनबाने में महती भूमिका निभाई।

इसके पूर्व सभी उपस्थित लोगों ने डॉ. रवि के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने किया।

इस अवसर पर वित्तीय परामर्शी नरेंद्र प्रसाद सिन्हा, डीएसडब्ल्यू डॉ. राजकुमार सिंह, कुलानुशासक डॉ. बीएन विवेका, सीसीडीसी डॉ. इम्तियाज अंजुम, प्रो. ललन प्रसाद अद्री, प्रो. आरपी राजेश, डॉ. गजेन्द्र कुमार, डॉ. भूपेंद्र सिंह, डॉ. अरुण कुमार झा, अखिलेश नारायण, डॉ. राजेश्वर राय, पृथ्वीराज यदुवंशी, सीनेटर रंजन यादव, शोधार्थी सारंग तनय, सोनु कुमार, इशा असलम, दिलीप कुमार दिल, अभिषेक यादव, सौरभ कुमार आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।