*राष्ट्रीय ध्वज का समुचित सम्मान सुनिश्चित होगा*
बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय ध्वज का समुचित सम्मान किया जाएगा और भारतीय झंडा संहिता-2002 (2021 एवं 2022 में यथासंशोधित) तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम- 1971 में अंतर्विष्ट नियमों का कड़ाई से पालन होगा। इस संबंध में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के निदेशानुसार राज्यपाल सचिवालय, बिहार के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थू ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र प्रेषित किया है। इस पत्र पर त्वरित कार्रवाई करते हुए बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने विश्वविद्यालय स्तर पर इस पत्र का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करने का निदेश दिया है।
कुलपति के निदेशानुसार राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने सभी स्नातकोत्तर विभागाध्यक्षों तथा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को पत्र प्रेषित कर राष्ट्रीय ध्वज का समुचित सम्मान सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही भारतीय झंडा संहिता-2002 (2021 एवं 2022 में यथासंशोधित) तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम -1971 में अंतर्विष्ट नियमों के कड़ाई से पालन करने का भी अनुरोध किया गया है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सार्वभौमिक लगाव और आदर तथा वफादारी होती है। लेकिन राष्ट्रीय झंडे के संप्रदर्शन पर लागू होने वाले कानूनों, प्रथाओं तथा परंपराओं के संबंध में जनता में जागरूकता का अभाव देखा गया है। इस संबंध में वृहद जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जाएं तथा वृहद प्रचार किया जाए।
उन्होंने बताया कि जनता द्वारा कागज के बने राष्ट्रीय झंडो को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर हिलाया जा सकता है। लेकिन प्रयोग किये हुए कागज के बने राष्ट्रीय झंडों को समारोह के पश्चात न तो विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकान्त में किया जाए।