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BNMU महाविद्यालय का है गौरवशाली इतिहास : प्रधानाचार्य 

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महाविद्यालय का है गौरवशाली इतिहास : प्रधानाचार्य 

 

ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा का अपना गौरवशाली इतिहास है। हम सभी अपने इतिहास से प्रेरणा लेकर अपने वर्तमान को समुज्ज्वल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

 

यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कही। वे स्नातकोत्तर गणित विभाग द्वारा आयोजित चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों के विदाई समारोह का उद्घाटन कर रहे थे।

 

उन्होंने कहा कि इधर-उधर भटकने से उर्जा एवं शक्ति का अपव्यय होता है। अत: विद्यार्थियों को हमें अपना एक लक्ष्य निर्धारित कर उसकी प्राप्ति हेतु निरंतर प्रयास करना चाहिए।

 

मुख्य अतिथि अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन ने कहा कि जीवन को समग्रता में समझने की जरूरत है।

 

विशिष्ट अतिथि स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि हमें अपने जीवन में प्रेय नहीं, बल्कि श्रेय को चुनना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष ले. गुड्डू कुमार ने सभी विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने कैरियर-निर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

 

इसके पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत कार्यक्रम की शुरुआत की। अतिथियों को अंगवस्त्रम् एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मानित किया गया।

गीतकार संतोष कुमार और उनके सहयोगी कलाकारों ने ने अपने गीत-गजलों से सबों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच संचालन छात्र बिपीन कुमार ने किया।

इस अवसर पर देवांशु कुमार, दुर्गेश कुमार, नीरज कुमार, नवीन कुमार, संतोष कुमार कृष्णा कुमार, निशा कुमारी, पायल कुमारी, धर्मन्त्र, प्रिंस, जयकुमार, दिवाकर, अजीत, नेहा, टिंकल, अमर आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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