BNMU अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन। योग विश्व को भारत की बहुमूल्य देन है : कुलपति। योग ही है संपूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति का श्रेयष्कर मार्ग : प्रति कुलपति

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन।
कुलपति एवं प्रति कुलपति भी शामिल
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योग हमारे शरीर, मन एवं आत्मा के बीच समन्वय स्थापित करता है। इसके माध्यम से हम दीर्घकाल तक निरोगी जीवन जी सकते हैं और भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के शिखर पर पहुंच सकते है। यह बात बीएनएमयू कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कही।

वे सोमवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में आयोजित योगाभ्यास कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि योग विश्व को भारत की बहुमूल्य देन है। आज पूरी दुनिया योग की ओर आकर्षित है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस योग की वैश्विक महत्ता का प्रमाण है।

कुलपति ने बताया कि वे नियमित रूप से योगाभ्यास करते हैं और इसका उनके व्यक्तिगत जीवन में काफी लाभ हुआ है। आज कोरोनाकाल में योग की महत्ता एवं उपयोगिता और भी बढ़ गई है।

कुलपति ने कहा कि योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए भारत सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बधाई एवं प्रशंसा के पात्र हैं। प्रधानमंत्री के ही प्रस्ताव पर 2015 से वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की शुरूआत हुई है। विश्वविद्यालय स्तर पर भी प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में योग दिवस मनाया जाता रहा है। विश्वविद्यालय में पीजी डिप्लोमा इन योगा कोर्स भी शुरू करने का निर्णय लिया गया है।

प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह ने कहा कि योग एकात्म का बोध कराता है। यह शरीर को मन से, आत्मा को परमात्मा से और व्यष्टि को समष्टि से जोड़ता है। योग भारतीय दर्शन, संस्कृति एवं परंपरा में आदिकाल से शामिल है। महर्षि पतंजलि के हजारों वर्ष पूर्व भी भारत में योग की विभिन्न पद्धतियों का उल्लेख मिलता है।

प्रति कुलपति ने कहा कि दुनिया में रोगमुक्ति को दो अर्थ में लिया जाता है। जब हम रोगी हों, तो हमारे इलाज की व्यवस्था हो जाए, यह नकारात्मक अर्थ है। लेकिन हम पहले से वैसा उपाय करें कि हमें कभी रोग हो ही नहीं, यह सकारात्मक अर्थ है। योग इसी सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ सदियों से मानवता के लिए वरदान की तरह है। भारतीय ॠषि-मुनि योग के इस महात्म्य को जानते थे और वे योगशक्ति के बल पर दीर्घजीवी होते थे।

प्रति कुलपति ने कहा कि आज कोरोनाकाल में यह साबित हो गया कि अस्पताल खोलकर संसार को रोगमुक्त करना दुष्कर है। आज आमेरिका जैसे विकसित देश भी सभी लोगों को समुचित चिकित्सीय सुविधा नहीं दे पाए। अतः यह साबित हो गया कि योग ही संपूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति का श्रेयष्कर मार्ग है, जो पहले से ही रोग को आने से रोकने का उपाय सुझाता है।

योग शिक्षिका डाॅ. सपना जायसवाल ने कहा कि योग करेंगे, तो कोरोना से बचेंगे। सांस लेने में कठिनाई नहीं होगी और कभी ऑक्सिजन सिलिंडर भी नहीं लगेगा।

एनएसएस समन्वयक डाॅ. अभय कुमार ने कहा किइस वर्ष 7वां योग दिवस दिवस का थीम ‘योग के साथ रहें, घर पर रहें’ है। इस थीम के अनुरूप सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करते हुए योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इसके पूर्व दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। कुलपति के सानिध्य एवं योग शिक्षिका के मार्गदर्शन में सबों ने योगाभ्यास किया। विभिन्न योगासनों के अलावा कपालभाति, भ्रामरी आदि प्राणायामों का अभ्यास किया गया।

इस अवसर पर वित्तीय परामर्शी नरेंद्र प्रसाद सिन्हा, कुलानुशासक डाॅ. विश्वनाथ विवेका, डाॅ. अशोक कुमार यादव, डाॅ. अभय कुमार, डाॅ. नरेश कुमार, डाॅ. सुधांशु शेखर, डाॅ. पवन कुमार, डाॅ. दीनानाथ मेहता, बी. पी. यादव, आरपीएम काॅलेज के डाॅ. एन. के. निराला, डाॅ. अरूण कुमार यादव, वैद्यनाथ यादव, मीना देवी, साक्षी कुमारी, डाॅली कुमारी, करिश्मा कुमारी, शांतनु यदुवंशी, अंकेश कुमार आदि उपस्थित थे।