BNMU व्याख्यान माला आज

तीन व्याख्यानों का आयोजन 25 को (आज)

विश्व दर्शन दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् द्वारा संपोषित एक व्याख्यान माला 25 मार्च, 2021 गुरुवार को पूर्वाह्न 10 : 30 बजे से केंद्रीय पुस्तकालय सभागार में सुनिश्चित है। इसके अंतर्गत तीन व्याख्यानों का आयोजन किया जाएगा। प्रथम व्याख्यान भारतीय अस्मिता का पुनरावलोकन विषय पर बीएनएमयू, मधेपुरा की प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. आभा सिंह
का होगा। शिक्षा, समाज एवं नैतिकता विषय पर द्वितीय व्याख्यान प्रोफेसर डॉ. प्रभु नारायण मंडल, पूर्व अध्यक्ष दर्शनशास्त्र विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर का होगा। तीसरे व्याख्यानकर्ता
गाँधी विचार विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. विजय कुमार समकालीन चुनौतियाँ और गाँधी विषय पर व्याख्यान देंगे।

कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. रमेशचन्द्र सिन्हा और अध्यक्षता बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डॉ. राम किशोर प्रसाद रमण करेंगे। स्वागत भाषण एवं विषय प्रवेश की जिम्मेदारी पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी निभाएँगे।

*खास अवसर*
कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद एवं आयोजन सचिव डाॅ. सुधांशु शेखर ने ने बताया कि यह आयोजन विश्वविद्यालय के लिए एक खास अवसर है। इसमें भाग लेने के लिए कुलपति एवं प्रति कुलपति सहित सभी अतिथियों की सहमति प्राप्त हो चुकी है। इसमें सभी संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों, शिक्षकों एवं शोधार्थियों को भी विशेषरूप से आमंत्रित किया गया है। शोधार्थियों को सहभागिता प्रमाण-पत्र भी दिया जाएगा।

स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष शोभाकांत कुमार ने बताया कि बीएनएमयू, मधेपुरा में विश्व दर्शन दिवस का आयोजन काफी खुशी की बात है। यह आयोजन वर्ष 2019-20 में ही होना था। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण अब तक नहीं हो पाया था। अब दर्शन परिषद्, बिहार के सम्मेलन की सफलता के बाद इसे आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इस बावत शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित आईसीपीआर, नई दिल्ली से अनुमति पत्र प्राप्त हो चुका है।

*दिवस का महत्व*
विश्व दर्शन दिवस प्रत्येक वर्ष नवंबर महीने के तीसरे गुरूवार को मनाया जाता है। यह महान मानवतावादी विचारक सुकरात सहित उन सभी दार्शनिकों के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व को स्वतंत्र विचारों के लिए स्थान उपलब्ध कराया। इस दिवस का उद्देश्य दार्शनिक विरासत को साझा करने के लिए विश्व के सभी लोगों को प्रोत्साहित करना और वैचारिक सहिष्णुता को बढ़ावा देना है। यह विरोधी विचारों का भी सम्मान करने और समसामयिक चुनौतियों के समाधान हेतु विचार-विमर्श करने की प्रेरणा देता है।