BNMU। दर्शन परिषद्, बिहार का सम्मेलन 5 मार्च, 2021 को

दर्शन परिषद्, बिहार का सम्मेलन 5 मार्च, 2021 को

दर्शन परिषद्, बिहार का 42 वां वार्षिक अधिवेशन वर्ष 5-7 मार्च, 2021 को बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित किया जाएगा। यह अधिवेशन मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा संपोषित है। इसका केंद्रीय विषय ‘शिक्षा, समाज एवं संस्कृति’ है। इस पर देश के कई राज्यों के वरिष्ठ प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी गहन विचार-विमर्श करेंगे। यह जानकारी आयोजन सचिव सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने दी।

उन्होंने बताया कि बीएनएमयू में पहली बार दर्शन परिषद् का सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। साथ ही वर्तमान कुलपति प्रोफेसर डाॅ. राम किशोर प्रसाद रमण एवं प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह के कार्यकाल में आयोजित होने वाला यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। कुछ दिनों पूर्व ही अपने सीनेट अभिभाषण में कुलपति ने इसकी घोषणा की थीं।

*गत वर्ष मार्च में ही होना था अधिवेशन*

मालूम हो कि पूर्व में यह अधिवेशन मार्च 2020 में ही आयोजित होने वाला था और इसके लिए आयोजन समिति ने सभी तैयारियाँ पूरी कर ली थीं। लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरों के मद्देनजर इसे आखिरी समय में स्थगित करना पड़ा था।

*विचार-विमर्श के बाद तय की गई है तिथि*
डाॅ. शेखर ने बताया कि बीएनएमयू प्रशासन एवं दर्शन परिषद्, बिहार के पदाधिकारियों के बीच विचार-विमर्श बाद 5-7 मार्च की तिथि तय की गई है। इस संबंध में कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने दर्शन परिषद्, बिहार के महामंत्री डॉ. श्यामल किशोर को पत्र भी प्रेषित कर दिया है। आगे विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों में कार्यरत दर्शनशास्त्र के शिक्षकों एवं शोधार्थियों से गहन विचार-विमर्श कर आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तैयार की जाएगी।

*आलेख भेजने की तिथि 31 जनवरी तक*
यह अधिवेशन ऑफलाइन एवं ऑनलाइन दोनों रूपों में आयोजित होगा। इसमें कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए निर्धारित सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा। मात्र एक सौ अतिथि एवं बाह्य प्रतिभागी ही कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाएँगे। शेष प्रतिभागियों को उनके पते पर रजिस्टर्ड डाक से निःशुल्क स्मारिका एवं सर्टिफिकेट भेज दी जाएगी। सभी प्रतिभागियों को ऑनलाइन गूगल फार्म भरना होगा। जिन प्रतिभागियों ने पूर्व में पंजीयन करा लिया है, उनके लिए भी गूगल फार्म भरना ज़रूरी होगा।

*कार्यक्रम विवरण*
अधिवेशन का केंद्रीय विषय शिक्षा, समाज एवं संस्कृति है। इसके प्रधान सभापति तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. केदारनाथ तिवारी होंगे। साथ ही अधिवेशन में पाँच विभागों यथा- तत्वमीमांसा, ज्ञानमीमांसा, समाज दर्शन, धर्म दर्शन एवं नीति दर्शन के अंतर्गत शोध-पत्र की प्रस्तुति होगी। बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाँच विद्वान इन विभागों की अध्यक्षता करेंगे।

साथ ही ‘बिहार की दार्शनिक एवं सांस्कृतिक विरासत’ और ‘गाँधी-150 : विमर्श और विकल्प’ विषयक दो संगोष्ठी भी आयोजित की गई है। इसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से दो दर्जन विद्वान वक्ता भाग लेंगे।

इसके अलावा देश के बारह चुने हुए विद्वानों का विशेष व्याख्यान भी होगा। इनमें डॉ. रमेशचन्द्र सिन्हा एवं डॉ. एचएस प्रसाद (नई दिल्ली), डॉ. जटाशंकर (इलाहाबाद), डॉ. सभाजीत मिश्र (गोरखपुर), डॉ. सोहनराज तातेड़ (जोधपुर), डॉ. सरस्वती मिश्रा (राची), डॉ. महेश सिंह (आरा), डॉआइएन सिन्हा, डॉ. एनपी तिवारी एवं डॉ. पूनम सिंह (पटना), डॉ. प्रभु नारायण मंडल एवं डॉ. शंभू प्रसाद सिंह (भागलपुर) के नाम शामिल हैं। व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक डॉ. रामजी सिंह (भागलपुर) करेंगे।

*दर्शन परिषद्, बिहार का सम्मेलन 5 मार्च को*

दर्शन परिषद्, बिहार का 42 वां वार्षिक अधिवेशन वर्ष 5-7 मार्च, 2021 को बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित किया जाएगा। यह अधिवेशन मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा संपोषित है। इसका केंद्रीय विषय ‘शिक्षा, समाज एवं संस्कृति’ है। इस पर देश के कई राज्यों के वरिष्ठ प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी गहन विचार-विमर्श करेंगे। यह जानकारी आयोजन सचिव सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने दी।

उन्होंने बताया कि बीएनएमयू में पहली बार दर्शन परिषद् का सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। साथ ही वर्तमान कुलपति प्रोफेसर डाॅ. राम किशोर प्रसाद रमण एवं प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह के कार्यकाल में आयोजित होने वाला यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। कुछ दिनों पूर्व ही अपने सीनेट अभिभाषण में कुलपति ने इसकी घोषणा की थीं।

*गत वर्ष मार्च में ही होना था अधिवेशन*

मालूम हो कि पूर्व में यह अधिवेशन मार्च 2020 में ही आयोजित होने वाला था और इसके लिए आयोजन समिति ने सभी तैयारियाँ पूरी कर ली थीं। लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरों के मद्देनजर इसे आखिरी समय में स्थगित करना पड़ा था।

*विचार-विमर्श के बाद तय की गई है तिथि*
डाॅ. शेखर ने बताया कि बीएनएमयू प्रशासन एवं दर्शन परिषद्, बिहार के पदाधिकारियों के बीच विचार-विमर्श बाद 5-7 मार्च की तिथि तय की गई है। इस संबंध में कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने दर्शन परिषद्, बिहार के महामंत्री डॉ. श्यामल किशोर को पत्र भी प्रेषित कर दिया है। आगे विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों में कार्यरत दर्शनशास्त्र के शिक्षकों एवं शोधार्थियों से गहन विचार-विमर्श कर आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तैयार की जाएगी।

*आलेख भेजने की तिथि 31 जनवरी तक*
यह अधिवेशन ऑफलाइन एवं ऑनलाइन दोनों रूपों में आयोजित होगा। इसमें कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए निर्धारित सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा। मात्र एक सौ अतिथि एवं बाह्य प्रतिभागी ही कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाएँगे। शेष प्रतिभागियों को उनके पते पर रजिस्टर्ड डाक से निःशुल्क स्मारिका एवं सर्टिफिकेट भेज दी जाएगी। सभी प्रतिभागियों को ऑनलाइन गूगल फार्म भरना होगा। जिन प्रतिभागियों ने पूर्व में पंजीयन करा लिया है, उनके लिए भी गूगल फार्म भरना ज़रूरी होगा। ऑनलाइन पंजीकरण और आलेख एवं शोध-सारांश भेजने की अंतिम तिथि 31 जनवरी, 2021 तक निर्धारित की गई है।

*कार्यक्रम विवरण*
अधिवेशन का केंद्रीय विषय शिक्षा, समाज एवं संस्कृति है। इसके प्रधान सभापति तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. केदारनाथ तिवारी होंगे। साथ ही अधिवेशन में पाँच विभागों यथा- तत्वमीमांसा, ज्ञानमीमांसा, समाज दर्शन, धर्म दर्शन एवं नीति दर्शन के अंतर्गत शोध-पत्र की प्रस्तुति होगी। बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाँच विद्वान इन विभागों की अध्यक्षता करेंगे।

साथ ही ‘बिहार की दार्शनिक एवं सांस्कृतिक विरासत’ और ‘गाँधी-150 : विमर्श और विकल्प’ विषयक दो संगोष्ठी भी आयोजित की गई है। इसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से दो दर्जन विद्वान वक्ता भाग लेंगे।

इसके अलावा देश के बारह चुने हुए विद्वानों का विशेष व्याख्यान भी होगा। इनमें डॉ. रमेशचन्द्र सिन्हा एवं डॉ. एचएस प्रसाद (नई दिल्ली), डॉ. जटाशंकर (इलाहाबाद), डॉ. सभाजीत मिश्र (गोरखपुर), डॉ. सोहनराज तातेड़ (जोधपुर), डॉ. सरस्वती मिश्रा (राची), डॉ. महेश सिंह (आरा), डॉआइएन सिन्हा, डॉ. एनपी तिवारी एवं डॉ. पूनम सिंह (पटना), डॉ. प्रभु नारायण मंडल एवं डॉ. शंभू प्रसाद सिंह (भागलपुर) के नाम शामिल हैं। व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक डॉ. रामजी सिंह (भागलपुर) करेंगे।