BNMU। 21 वां अभिषद् अधिवेशन। विश्वविद्यालय ही हमारे लिए मंदिर है- कुलपति।

पिछले एक वर्ष से पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना से ग्रस्त और त्रस्त है। इसका शिक्षा व्यवस्था पर भी काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसके बावजूद हम विश्वविद्यालय के समग्र विकास एवं शैक्षणिक उन्नयन हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। यह विश्वविद्यालय ही हमारे लिए मंदिर है। विश्वविद्यालय है, तो हम हैं। यह बात बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डॉ. राम किशोर प्रसाद रमण ने कही। वे मंगलवार को 21 वें अधिषद् अधिवेशन के अवसर पर अध्यक्षीय अभिभाषण एवं प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि 10 जनवरी, 1992 को इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थीं और गत 18 मार्च, 2018 में इसे विभाजित कर पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णिया का गठन किया गया है और अब हमारे विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र कोसी प्रमंडल के तीन जिलों मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल तक ही है। 1992 से अब तक विश्वविद्यालय की विकास यात्रा में काफी उतार-चढ़ाव आए हैं। मैंने इस विकास यात्रा को करीब से देखा है और आप सभी ने भी इसे देखा-सुना है। हमसे भी अधिक यह सदन इस विकास यात्रा का साक्षी है।इस विश्वविद्यालय को बेहतर से बेहतर बनाया जाए।

कुलपति ने विश्वविद्यालय के 29 वें वर्ष में विश्वविद्यालय प्रगति प्रतिवेदन एवं कार्ययोजनाओं को निम्न 29 बिंदुओं में प्रस्तुत किया-

1. *नियम-परिनियम के अनुरूप काम* : विश्वविद्यालय अधिनियम की पुस्तक ही हमारी गीता है- बाइबिल है और कुरान है। हम इसी पुस्तक को साक्षी मानकर नियम-परिनियम के अनुरूप कार्य करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। तदनुसार सभी निर्णय सम्बन्धित समितियों एवं निकायों की सहमति से किए जा रहे हैं। सिंडिकेट, एकेडमिक काॅउंसिल, परीक्षा-समिति, विकास-समिति, वित्त-समिति, भवन- निर्माण समिति, क्रय-विक्रय समिति आदि की बैठकें नियमित रूप से हो रही हैं। जनवरी माह में सिंडिकेट की दो बैठकें आयोजित की गई हैं। हमारे कार्यकाल में सीनेट की यह पहली बैठक है।

2. *वित्तीय स्वच्छता एवं प्रशासनिक पारदर्शिता* : हम वित्तीय स्वच्छता एवं प्रशासनिक पारदर्शिता के आदर्शों के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। सभी महाविद्यालयों एवं स्नातकोत्तर विभागों को ससमय उपयोगिता प्रमाण-पत्र जमा करने और विभिन्न प्रकार के अग्रिम भुगतानों का सामंजन कराने का आदेश दिया जा चुका है।

3. *नैक मूल्याकंन* : विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय पहचान दिलाने हेतु हम नैक से मूल्यांकन कराने हेतु प्रतिबद्ध हैं और इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए सभी काॅलेजों को विश्वविद्यालय की ओर से हरसंभव सहयोग दिया जाएगा।

4. *सीट वृद्धि का प्रयास* : विद्यार्थियों को स्नातक एवं स्नातकोत्तर में नामांकन का अधिकाधिक अवसर देने हेतु सीट वृद्धि के लिए ठोस कदम उठाया जा रहा है। विश्वविद्यालय के विभिन्न स्नातकोेत्तर विभागों के साथ-साथ स्नातक स्तर पर भी सीट वृद्धि की आवश्यकता है। पूरे मामले के सभी पहलुओं के सम्यक् अध्ययन हेतु एक समिति गठित है और इस समिति की अनुशंसा के आलोक में राज्य सरकार को सीट वृद्धि का प्रस्ताव भेजा जाएगा।

5. *पद सृजन का प्रयास* : अभी विश्वविद्यालय के सिर्फ 9 विभागों यथा- भौतिकी, रसायनशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, गृह विज्ञान, मनोविज्ञान, भूगोल, राजनीति विज्ञान एवं वाणिज्य में शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पद सृजित हैं। हम शेष विभागों यथा- इतिहास, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र, हिंदी एवं अंग्रेजी आदि विषयों में भी शिक्षकों एवं कर्मचारियों के पद-सृजन हेतु प्रयासरत हैं।

6. *स्नातकोत्तर पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव* : विश्वविद्यालय मुख्यालय एवं स्नातकोत्तर पश्चिमी परिसर, सहरसा में शेष कुछ विषयों जिला मुख्यालयों अवस्थित अंगीभूत महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर स्तर पर कुछ विषयों की पढ़ाई शुरू करने हेतु अभिषद् से स्वीकृति प्राप्त है। इस संबंध में स्नातकोत्तर अध्यापन के औचित्य एवं उपादेयता की जाँच हेतु अभिषद् के निर्णय के आलोक में त्रिसदस्यीय समिति गठित की जा चुकी है। समिति की अनुशंसा के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी।

7. *व्यावसायिक एवं रोजगारपरक पाठ्यक्रमों का संचालन* : व्यावसायिक एवं रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के संचालन की दिशा में प्रभावी कदम उठाया जा रहा है। हम कई नए पाठ्यक्रमों की शुरूआत करने जा रहे हैं। एम. बी. ए. एवं एम. सी. ए. की पढ़ाई शुरू करने की दिशा में त्वरित कार्रवाई का निर्णय लिया गया है। स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर गाँधी विचार की पढ़ाई करने हेतु पूर्व निर्णय के आलोक में नियम-परिनियम एवं पाठ्यक्रम निर्माण समिति का गठन किया जाएगा। पी. जी. डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एण्ड मास कम्यूनिकेशन, पी. जी. डिप्लोमा इन योगा थेरेपी, पी. जी. डिप्लोमा इन स्ट्रेस मैनेजमेन्ट तथा पी. जी. डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेन्ट कोर्स शुरू करने की प्रक्रिया को गति देने का निर्णय लिया गया है। साथ ही पी. जी. डिप्लोमा इन हाउसिंग सेक्टर एण्ड अर्बन डेवलपमेंट स्टडीज कोर्स शुरू करने की भी योजना है। गायत्री शक्ति पीठ, सहरसा से ह्यूमन काॅन्शसनेश, योगा एंड अल्टरनेटिव थेरेपी कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है।

8. *शोध की गुणवत्ता पर ध्यान* : शोध की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक प्रावधान किया जा रहा है। राजभवन के निदेशानुसार स्थापना काल से लेकर अब तक के शोध/ पी-एच. डी. उपाधि से संबंधित विस्तृत सूचनाएँ और उनका सारांश विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना है। शोध गुणवत्ता को बरकरार रखने हेतु विश्वविद्यालय में ‘प्लेगरिजम डिटेक्शन सेंटर’ का गठन किया गया है। शोध को बढ़ावा देने के लिए ‘रिसर्च प्रमोशन सेल’ का भी पुनर्गठन किया जाएगा। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि सभी योग्य पी-एच. डी. डिग्रीधारकों को नियमानुसार पाँच बिन्दु प्रमाण पत्र जारी किया गया है।

9. *शोध-पत्रिका के प्रकाशन का निर्णय* : शीघ्र ही शिक्षकों एवं शोधार्थियों को शैक्षणिक उन्नयन का अवसर देने हेतु आईएसएसएन युक्त त्रैमासिक शोध-पत्रिका का प्रकाशन किया जाएगा।

10. *ऑनलाइन एवं ऑफलाइन कक्षाएं* : स्नातक एवं स्नातकोत्तर में नियमित ऑफलाइन एवं ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन जारी है। इसे और बेहतर किया जाएगा। ऑनलाइन एजुकेशन के समुचित संचालन हेतु आवश्यकतानुसार स्मार्ट क्लास रूम बनाया जाएगा। ऑनलाइन एजुकेशन मोंनिटरिंग कमिटी के पुनर्गठन का निर्णय लिया गया है। अब राजभवन से कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए निर्धारित सभी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने का भी आदेश प्राप्त हो गया है। सभी शिक्षकों से अपील है कि वे पूरी तैयारी के साथ कक्षा में जाएँ और विद्यार्थियों से भी अपील की है कि वे नियमित रूप से कक्षा में आएँ; क्योंकि कक्षा एवं किताब के बिना ज्ञान संभव नहीं है।

11. *विकास शुल्क में एकरूपता* : सभी अंगीभूत एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में स्नातक नामांकन हेतु निर्धारित विकास शुल्क में एकरूपता लाने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार विश्वविद्यालय स्तर से सभी अंगीभूत महाविद्यालयों के लिए एकसमान तथा सभी सम्बद्ध महाविद्यालयों के लिए एक समान विकास शुल्क निर्धारित किया जाएगा।

12. *परीक्षा एवं परिणाम* : वैश्विक महामारी कोरोना के कारण परीक्षाओं का संचालन बाधित रहा है। इसके बावजूद विगत दिनों 13 परीक्षाएँ आयोजित की गईं। शेष परीक्षाओं की तिथि भी घोषित कर दी गई हैं। परीक्षा विभाग को और अधिक सुदृढ़ किया जा रहा है और सत्र-नियमितिकरण हेतु हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।

13. *नार्थ कैम्पस की समस्याओं का समाधान* : आप सबों को यह बताना समीचीन प्रतीत होता है कि जब मैं विश्वविद्यालय में विकास पदाधिकारी था, उसी दौरान नए परिसर का अधिग्रहण किया गया था। मैं उस परिसर के एक-एक चप्पे-चप्पे से परिचित हूँ और वहाँ की समस्याओं से भी अवगत हूँ। वहाँ की सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। परीक्षा भवन के बगल में अर्थशास्त्र भवन का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। नए परिसर तक जाने के लिए सड़क की बेहतर व्यवस्था हेतु जिला प्रशासन से बातचीत हुई है और बिहार सरकार के प्रधान सचिव से भी सकारात्मक सहयोग का आश्वासन मिला है।

14. *सौंदर्यीकरण एवं पौधारोपण* : कैम्पस की स्वच्छता के साथ-साथ उसके सौंदर्यीकरण पल भी ध्यान दिया जा रहा है। ‘हर परिसर, हरा परिसर’ योजना और ‘माई बर्थ, माई अर्थ’ योजना के तहत नार्थ कैम्पस में दो हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। प्रत्येक भवन के आगे एक-एक वाटिका बनाई गई है और विज्ञान भवन के पीछे ‘महावीर वाटिका’ का भी निर्माण कराया गया है। साउथ कैम्पस स्थित ‘कीर्ति वाटिका’ एवं ‘चुल्हाय पार्क’ को भी सुसज्जित किया जा रहा है। गत सिंडिकेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि विश्वविद्यालय के वृक्षों से गिरने वाले पत्तों एवं अन्य कचरों से कम्पोस्ट बनाया जाएगा।

15. *बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान* : विश्वविद्यालय में सभी बुनियादी सुविधाएँ बहाल करने की ओर ध्यान दिया जा रहा है। पुराने परिसर में बने महिला छात्रावास को शुरू किया जा रहा है। इसके लिए छात्रावास अधीक्षक की नियुक्ति की जा चुकी है और उन्होंने योगदान भी कर लिया है। शीघ्र ही इच्छुक छात्राओं से आवेदन आमंत्रित किया जाएगा। इसके पूर्व छात्राओं के लिए भोजन, चिकित्सा एवं सुरक्षा आदि की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। विश्वविद्यालय में पुलिस चौकी बनाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक, मधेपुरा से सकारात्मक बातचीत हुई है।

16. *शिक्षकों की प्रोन्नति* : विश्वविद्यालय अपने सभी शिक्षकों को नियमानुकूल प्रोन्नति का लाभ देने हेतु तत्पर है। शिक्षकों की प्रोन्नति की प्रक्रिया जारी है। इस हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए हैं। इस संबंध में शीघ्र अग्रेतर कार्रवाई करते हुए ससमय यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

17. *नवनियुक्त शिक्षकों की सेवासंपुष्टि* : बिहार लोक सेवा आयोग, पटना की अनुशंसा के आलोक में नियुक्त 51 शिक्षकों की सेवासंपुष्टि हो गई है। शेष शिक्षकों की सेवासंपुष्टि की प्रक्रियाधीन है।

18. *अतिथि शिक्षक* : अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति से शिक्षकों की कमी कुछ हद तक दूर हुई और पठन-पाठन में सहयोग मिल रहा है।

19. *पेंशनरों की समस्याओं का समाधान* : सभी सेवानिवृत्त शिक्षकों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति-लाभांश का भुगतान अद्यतन हो चुका है। सेवानिवृत्त विश्वविद्यालय पदाधिकारियों, शिक्षकों एवं कर्मियों को सम्मानित करने की परंपरा शुरू की गई है।

20. *विभिन्न कोषांगों की सक्रियता* : हम चाहते हैं कि हमारे शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों को बेवजह न्यायालय की शरण नहीं लेना पड़े। विश्वविद्यालय के विभिन्न को सक्रिय किया गया है। सभी न्यायालयी मामलों के त्वरित निष्पादन हेतु ठोस प्रयास किया जा रहा है।

21. *पुस्तकालय का आधुनिकीकरण* : केंद्रीय पुस्तकालय एवं विभागीय पुस्तकालयों को सुसज्जित एवं आधुनिक तकनिकी से लैश किया जा रहा है। इससे हमारे शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी इसका सुगमतापूर्वक लाभ ले सकेंगे।

22. *खेल गतिविधियों को बढ़ावा* : विद्यार्थियों के समग्र विकास में खेलकूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वैसे कोरोना काल में ये गतिविधियाँ थम-सी गई थीं, लेकिन अब इसे धीरे-धीरे गति देने का प्रयास किया जा रहा है। नए परिसर में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘खेलो इंडिया’ के तहत एक मल्टीपर्पस हाॅल एवं एक सिंथेटिक ट्रैक बनाने का प्रस्ताव प्रेषित किया गया है।

23. *एनएसएस एवं एनसीसी की सक्रियता* : विश्वविद्यालय एनएसएस एवं एनसीसी की सक्रियता बढ़ी है। हमारे एनएसएस स्वयंसेवकों ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग एवं श्री-श्री विश्वविद्यालय, कटक में आयोजित राष्ट्रीय एकीकरण शिविर में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। स्वयंसेवकों ने आगरा में आयोजित पूर्व-गणतंत्र दिवस परेड में भी भागीदारी निभाई। युवा संचार प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए हमारे स्वयंसेवकों को बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के हाथों पुरस्कार मिला। एनएसएस स्वयंसेवकों एवं एनसीसी कैडेट के माध्यम से स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। विश्व योग दिवस और कोरोना संक्रमण से बचाव में स्वयंसेवकों ने महती भूमिका निभाई है।

24. *सेमिनारों का आयोजन* : कोरोना काल में विश्वविद्यालय में लगातार कई वेबिनार आयोजित किए गए। शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा नई शिक्षा नीति से संबंधित वेबिनार का आयोजन किया गया। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में एक अंतरराष्ट्रीय एवं दस राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किए गए। बीएनएमभी काॅलेज, मधेपुरा, एमएलटी काॅलेज, सहरसा, आर. एम. काॅलेज, सहरसा, आरजेएम काॅलेज, सहरसा आदि में भी वेबिनारों का आयोजन किया गया।27-28 जनवरी, 2021 को मधेपुरा काॅलेज, मधेपुरा में शिक्षा के बदलते परिदृश्य एवं चुनौतियां विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन सुनिश्चित है। दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में मार्च 2021 में बिहार दर्शन-परिषद् का वार्षिक अधिवेशन और ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विविध आयाम’ विषयक एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।

25. *विश्वविद्यालय स्थापना दिवस और भूपेंद्र नारायण मंडल जयंती* : हमने प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस और एक फरवरी को भूपेंद्र नारायण मंडल जयंती समारोहपूर्वक मनाया जाता है। इस वर्ष इन दोनों तिथियों को विश्वविद्यालय के वार्षिक कैलेंडर में विशेषरूप से प्रकाशित किया गया है।

26. *दीक्षांत समारोह* : राजभवन सचिवालय के निदेशानुसार शीघ्र ही चौथा दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाएगा। हम इसकी तैयारियों में लगे हैं और इसमें आप सभी माननीय सदस्यों के विशेष सहयोग की अपेक्षा करते हैं।

27. *एनईटी में सफलता* : विश्वविद्यालय के हिन्दी, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, रसायनशास्त्र आदि विषयों के कई विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) में सफलता प्राप्त की हैं और कुछ विद्यार्थी जेआरएफ बनने में भी सफल हुए हैं। मैं इन सभी विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को भी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ।

28. *छात्र संवाद* : विद्यार्थी समाज एवं राष्ट्र के भविष्य हैं। विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है। मैंने कुलपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बैठक विश्वविद्यालय छात्र संघ के पदाधिकारियों और छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ की थी। अभी हाल में भी हमने छात्र-युवा संगठनों के प्रतिनिधियों से विश्वविद्यालय की विभिन्न समस्याओं के संदर्भ में विचार-विमर्श किया है। हमें उन सबों के द्वारा कई महत्वपूर्ण सुझाव मिले हैं, जो विश्वविद्यालय के विकास में सहायक हैं। ऐसे सुझावों पर नियमानुसार क्रियान्वयन किया जाएगा।

29. *अभिभावक-शिक्षक संवाद* : विश्वविद्यालय के समग्र विकास और विशेषकर विद्यार्थियों को कक्षा तक लाने में अभिभावकों से भी सहयोग लिया जाएगा। कक्षाओं के सुचारू संचालन के क्रम में स्नातकोत्तर विभागों एवं महाविद्यालयों में समय-समय पर अभिभावक-शिक्षक संवाद का आयोजन किया जाएगा।

अंत में कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के समग्र शैक्षणिक उन्नयन हेतु विद्यार्थियों की समस्याओं का त्वरित समाधान एवं उन्हें पुनः कक्षा तक लाना, शिक्षकों एवं कर्मचारियों की समस्याओं का शीघ्र निष्पादन और अभिभावकों का विश्वविश्वविद्यालय एवं इसकी कार्य-संस्कृति में विश्वास जगाना ही उनका सर्वोच्च लक्ष्य है। यही उनका दायित्व है और यही उनका कर्तव्य भी है। उन्होंने इसमें सबों से समवेत रूप से इसमें सहयोग का आग्रह किया। उन्होंने सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों से भी अपील की कि वे सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को निभाएँ और अपने-अपने स्वधर्म का पालन करें। जो जहाँ हैं, वहाँ विश्वविद्यालय के बारे में सोचें और विश्वविद्यालय के हित में काम करें। हम सब मिलकर काम करेंगे, तो विश्वविद्यालय की यश, कीर्ति एवं ख्याति दूर-दूर तक जाएगी।