BNMU। मीडिया रिपोर्ट। पोषण एवं स्वास्थ्य विषयक परिचर्चा

*पोषण और स्वास्थ्य विषयक परिचर्चा का आयोजन*

सामान्यत: ‘पोषण’ शब्द का प्रयोग मानव-शरीर के पोषण के लिए किया जाता है। लेकिन यह पोषण का संकुचित प्रयोग है। वास्तव में पोषण का तात्पर्य केवल शरीर को पोषण देना नहीं है। पोषण का एक व्यापक अर्थ है। इसमें हमारे चतुर्दिक जो कुछ भी है, उसका पोषिण सम्मिलित है।

यह बात अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. जटाशंकर (प्रयागराज) ने कही। वे रविवार को पोषण और स्वास्थ्य विषयक ऑनलाइन परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे थे। यह परिचर्चा ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई-I के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय विशेष शिविर के तीसरे दिन किया गया।

उन्होंने कहा कि हमें पोषण को समग्रता में देखने की जरूरत है। केवल मनुष्य का पोषण और फिर मनुष्य के भी केवल शरीर का पोषण पर्याप्त नहीं है। पोषण की आवश्यकता मनुष्य के मन एवं आत्मा और संपूर्ण चराचर जगत को है। प्रकृति में विद्यमान जितने भी तत्व हैं, उन सबों को पोषण की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा कि हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि संपूर्ण मानव जगत को समुचित पोषण मिले। जिस तरह मनुष्य जीवन के लिए उसके शरीर का पोषण आवश्यक है। उसी तरह संपूर्ण प्रकृति-पर्यावरण का भी पोषण आवश्यक है। व्यक्ति के लिए जो बात लागू होती है, वही पूरी ब्रह्माण्ड पर भी लागू होता है- यथा पिंडे तथा ब्रह्मांडे।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति एवं पर्यावरण दोनों एक-दूसरे को पोषित करें। जब तक हमारा जीवन समरस नहीं होगा, तब तक वह अच्छा जीवन नहीं होगा। मानव और प्रकृति दोनों एक दूसरे का पोषण करते हैं। हम प्रकृति का पोषण करते हैं और प्रकृति हमारा पोषण करती है। प्रकृति में हवा, पानी, वृक्ष, कीट-पतंग सहित तमाम दृश्य-अदृश्य सताएं आ जाती हैं। जब तब तक हम उसका पोषण नहीं करेंगे, जो हमारे चारों और हैं, तब तक हम पोषित नहीं हो सकते हैं। जब परस्पर सामान्य जिसके साथ पोषण किया जाता है, तभी उस उसको समपोषण कहा जाता है।‌ समपोषण का मतलब होता है सम्यक् पोषण।

उन्होंने कहा कि पोषण एवं स्वास्थ्य में कारण-कार्य का संबंध है। समुचित पोषण से सम्यक् स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। अपने आप में स्थित हो जाना स्वास्थ्य है। हमें शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक सभी दृष्टियों से स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है।

इसके पूर्व परिचर्चा का उद्घाटन करते हुए भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. (डाॅ.) रमेशचन्द्र सिन्हा ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में लौकिक उत्थान अर्थात् अभ्युदय और आध्यात्मिक उत्थान नि:श्रेयस दोनों का महत्व बताया गया है। दोनों तरह की मूल्यों का समन्वय किया गया है। जब तक हम अभ्युदय के लिए शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से तैयार होते हैं, तभी हमें निःश्रेयस की प्राप्ति होती है।

उन्होंने कहा कि मानव जीवन में रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा एवं रोजगार की आवश्यकता होती है। लेकिन मानव मात्र शारीरिक सुखों से ही संतुष्ट होकर नहीं रह सकता है। मानव जीवन में आर्थिक के अलावा अन्य पक्षों का भी महत्व है। विशेष रूप से शैक्षणिक, नैतिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक पक्ष भी काफी महत्वपूर्ण है। पोषण एवं स्वास्थ्य मानव जीवन के सभी पक्षों से संबंधित है।

मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर की प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. कुसुम कुमारी ने कहा कि यदि हम नैतिक मूल्यों का अनुशीलन करेंगे, तो समाज एवं राष्ट्र का विकास होगा। युवा सशक्त होगा, तभी हम सशक्त समाज एवं विश्व की कल्पना कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि युवाओं में सेवा का भाव होना जरुरी है। हमारे युवाओं में नैतिक गुणों का संचार हो, यह हमारा दायित्व है। हमें युवाओं के शारीरिक एवं मानसिक पोषण पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज मानसिक पोषण के अभाव में युवाओं में तनाव, हताशा, कुंठा, निराशा एवं अवसाद की भावना भरती जा रही है। यह समाज एवं राष्ट्र के लिए चिंता विषय है। अतः हमें युवाओं को मानसिक रूप से सबल बनाने की जरूरत है।

इस अवसर पर कोलकाता की डाॅ. गीता दुबे, राँची की सीएस पूजा शुक्ला एवं उत्तराखंड की डाॅ. कविता भट्ट शैलपुत्री ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर एवं शोधार्थी सारंग तनय ने किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय निरीक्षक (विज्ञान) डाॅ. उदयकृष्ण, अभिषद् सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान, डाॅ. सिद्धेश्वर काश्यप, डाॅ. अमरेन्द्र कुमार, डाॅ. ललन प्रकाश सहनी, डाॅ. ब्रिजेश कुमार, अधिषद् सदस्य रंजन यादव, शोधार्थी सारंग तनय, माधव कुमार, सौरभ कुमार, डेविड यादव, सौरभ कुमार चौहान, मणीष कुमार, शांतनु यदुवंशी, अवधेश कुमार अमन, सुनील कुमार, बबलू कुमार, शिवम कृष्णा, अभिषेक कुमार, जयशंकर कुमार, रितिक रोशन, प्रिंस कुमार, राजकुमार राम, राज किशोर कुमार, सुमित कुमार, दीपक कुमार, अमित कुमार, सुमित कुमार, सचिन कुमार, चंद्र किशोर चौपाल, धीरज कुमार, सागर राज, सूरज कुमार, कुमारी शुभम, अभिमन्यु कुमार, नीतीश कुमार, आशीष यादव, रणवीर कुमार, नीतीश कुमार रजक, रूपम कुमारी, स्नेहा, प्रिया ज्योति, कुमारी पुनीता, कुमारी मनीषा, कुमारी सिंपी सिंह, दीपिका आनंद, प्रज्ञा श्री, सुमन कुमार, हिमांशु कुमार, दीपक कुमार, शिव शंकर राम, मिथिलेश कुमार, सरदार सूरज कुमार, सुनील कुमार राम आदि उपस्थित थे।

मालूम हो कि सात दिवसीय विशेष शिविर के दौरान सभी दिन अलग-अलग विषयों पर परिचर्चा का आयोजन होगा। इसके लिए क्रमशः कोरोना : कारण एवं निवारण, मानव और पर्यावरण, पोषण एवं स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और सामाजिक दायित्व, भारत की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत, मानसिक स्वास्थ्य और युवा वर्ग तथा राष्ट्र-निर्माण में युवाओं की भूमिका विषय निर्धारित किया गया है।