बसंत कुमार चौधरी को श्रद्धांजलि

मृत्यु शास्वत सत्य है और मानव जीवन नाश्वर है। जिसने भी जन्म लिया है, उसकी मृत्यु तय है। लेकिन जो कुछ कीर्ति करके जाते हैं, वे हमेशा जीवित रहते हैं।

यह बात कुलपति प्रोफेसर डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने कही। वे शनिवार को कुलपति कार्यालय परिसर में टीएमबीयू, भागलपुर में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के पूर्व निदेशक बसंत कुमार चौधरी के सम्मान में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे।

कुलपति ने कहा कि बसंत कुमार चौधरी यादव ने हमेशा पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। वे एक सफल शिक्षक एवं एक सहृदय इंसान थे। उनके निधन से शिक्षा जगत और विशेषकर पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान को अपूर्णीय क्षति हुई है।

उन्होंने कहा कि बसंत कुमार चौधरी ने बीएनएमयू में बी. एलआईएस. एवं एम. एलआईएस. कोर्स शुरू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके सहयोग से ही केंद्रीय पुस्तकालय में 21 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। आगे हम उन्हें उनके ही सहयोग से प्रस्तावित तीस दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में भी बुलाने वाले थे।

कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने कहा कि बसंत कुमार चौधरी का बीएनएमयू से काफी लगाव था। उन्होंने यहाँ बी. एलआईएस. एवं एम. एलआईएस. कोर्स को स्थापित कराकर अविस्मरणीय काम किया है।

इस अवसर पर सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डाॅ. आर. के. पी. रमण, एकेडमिक निदेशक डाॅ. एम. आई. रहमान, केंद्रीय पुस्तकालय के प्रोफेसर इंचार्ज डाॅ. अशोक कुमार, डाॅ. एम. एस. पाठक, डॉ. उदय कृष्ण, डाॅ. सुधांशु शेखर, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव, पृथ्वीराज यदुवंशी, सिद्दु कुमार, आदि उपस्थित थे।