Bihar : गोगरी, खगड़िया की धरती पर सत्याग्रह आंदोलन का स्वर्णिम इतिहास

गोगरी (खगड़िया, बिहार) की धरती पर सत्याग्रह आंदोलन का स्वर्णिम इतिहास, आप भी जानें

खगड़िया : आज जिस स्वतंत्र भारत में हमलोग श्वास ले रहे हैं उसे परतंत्रता की जंजीरों से मुक्त कराने में न जाने कितने ही क्रांतिकारियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। इसी सत्याग्रह आंदोलन में बिहार राज्यान्तर्गत खगड़िया जिले के गोगरी की भी अहम भूमिका रही थी। आज भी यहाँ के बुजुर्ग व्यक्तियों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के वीर सेनानियों की वीरगाथाएँ सुनने को मिलती है।

यहां हजारों कार्यकर्ता और स्वयंसेवक रहते थे। गोगरी, महेशखूंट और नयागांव में इसका स्थाई आश्रम था। देश की आजादी के लिए समर्पित सभी कार्यकर्ता विदेशी और मादक द्रव्य की दुकानों पर कई स्थानों में धरना देने का काम आरंभ किया था। सैकड़ों स्वयंसेवक गिरफ्तार किए गए अनेक को मारपीट कर छोड़ भी दिया गया था। जून सन 1930 ईस्वी में एक बार महेशखूंट स्टेशन पर शराब के कुछ ड्राम मंगाए गए यहां से दुकानदार उन्हें अपनी दुकान पर ले जाना चाहते थे। इसलिए आंदोलनकारी स्टेशन पर ही धरना देने का काम शुरू किया था। पुलिस वाले वहां पहुंचकर स्वयंसेवकों को मारने पीटने और गिरफ्तार करने लगे, कई दिनों तक सत्याग्रह चलता रहा। इस बीच अंग्रेज सिपाही ने ड्राम को वहां से दूसरे स्टेशन पर भेज दिया और वहीं से चुपचाप दुकान पर ले जाने का प्रबंध होने लगा। इस खबर के मिलते ही सत्याग्रही दौड़ पड़े और वहां भी सत्याग्रह शुरू कर दिया। ड्राम फिर ट्रेन से महेशखूंट वापस लाया गया। बाबू सुरेश चंद्र मिश्र के नेतृत्व में फिर पिकेटिंग शुरू हुआ स्वयंसेवक गिरफ्तार होने लगे। अंत में स्थिति को गंभीर होते देख कर कलेक्टर, पुलिस सुपरिटेंडेंट आदि हथियारबंद पुलिस के साथ वहां पहुंचे परंतु उनके आने के पूर्व ही इस शर्त पर पिकेटिंग उठा ली गई कि अब आगे वहां ड्राम नहीं मंगाया जाएगा।

गोगरी थाने में टैक्स बंदी की भी तैयारी हुई थी। इस इलाकों में लाखों लोगों से इस संबंध में प्रति विज्ञापन पर हस्ताक्षर करवाए गए। इसके बाद कुछ लोगों ने टैक्स देना बंद कर दिया। गांवों में क्रांति का रूप अधिक भयंकर था यहां सैनिकों एवं पुलिस वालों का अत्याचार भी पराकाष्ठा पर थी। गोगरी, चौथम, खगड़िया आदि के कांड दृश्य दहलाने वाले थे। गोगरी में सैनिकों ने हवाई जहाज पर से गोलियां चलाई थी।11 अगस्त को गोगरी जमालपुर में एक सार्वजनिक सभा की गई। इसमें तोड़फोड़ का कार्यक्रम निश्चित किया गया। हाई स्कूल के विद्यार्थियों ने मुश्किपुर टेलीग्राफ ऑफिस का तार काट दिया था। थाने में जाकर झंडा फहराया और रजिस्ट्री ऑफिस में भी ताला लगा दिया। 12 अगस्त की सुबह में महेशखूंट रेलवे स्टेशन के कागजात जलाये गये, तार काटे गये, रेल की पटरियों को उखाड़ फेंका गया। मालगाड़ी के इंजन को तोड़ा गया। शराब का ड्राम तोड़कर शराब को बहा दिया गया। डाक घर में ताला लगा दिया गया। उसी दिन पसराहा स्टेशन के भी सामान जला दिए गए थे। स्टेशन से पूरब रेलवे सड़क को भी काटा गया था। 13 अगस्त को गोगरी जमालपुर में एक जुलूस से तीन स्वयंसेवक को अंग्रेजी सिपाही गिरफ्तार कर लिये थे। मानसी में गिरफ्तार स्वयंसेवकों को पुलिस के हाथों से जनता ने बलपूर्वक छीन लिया था।

14 अगस्त 1930 को जहाज घाट को नष्ट करने स्वयंसेवक अगुवानी घाट पहुँचे थे। थोड़ी देर में ही सब डिविजनल अफसर और सार्जेंट कुछ सैनिकों के साथ जहाज से वहां पहुंच गए और भीड़ पर गोलियां चलवाने लगे, इस कांड में अनेक घायल हुए और बहुतों की जान गई। अंग्रेजी सैनिक घाट से थाना गए वहां दो दिन रह कर उत्पात मचाया। स्वयंसेवक के आश्रमों में भी लूटपाट मचाया गया और फूस का रसोई घर जला दिया गया था।

15 मार्च को स्वयंसेवकों ने चार बजे दिन में कलेक्ट्री कार्यालय पर चढ़कर सरकारी झंडा गिरा दिया और राष्ट्रीय तिरंगा झंडा फहरा कर राष्ट्र गान गाने लगे, यह कार्यक्रम कई महीनों तक चलता रहा।

21 अगस्त को अंग्रेजों का एक हवाई जहाज पसराहा स्टेशन के पास आकर गिरा, जहाज पर सवार एक अंग्रेज तो तत्काल मर गए दो को भयंकर चोट लगी थी, जनता अंग्रेजों से चिढ़ी हुई थी। उन दोनों अंग्रेजों पर लाठी बरसाने लगे, वो दोनों पानी में कूदकर भागने का प्रयास करने लगे, परंतु पानी में भी ना छोड़ा और दोनों का काम तमाम कर दिया। इसके बाद यहां के क्रांतिकारियों को अंग्रेजी सिपाही के आने का डर लगा रहा, इसलिए 24 अगस्त को रेल लाइन काट कर पानी में बहा दिया था। उसी समय गोगरी पुलिस स्टेशन से कुछ सशस्त्र सैनिक वहाँ आ गये। एक हवाई जहाज भी आया और ऊपर से मशीनगन चलाने लगे। इस गोलीकांड में करीब 40 से 50 आदमी मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए।

इसके बाद परबत्ता में बलूची सिपाही रहने लगे। डुमरिया खुर्द तथा महेशखूंट में पुलिस कैम्प खोला गया। महेशखूंट, राजधाम, माधवपुर, नयागांव, कन्हैया चक और डुमरिया खुर्द में अंग्रेज पुलिस की ओर से ज्यादती की गई। लोगों को पीटा गया, घर जलाए गए, सामान लुट लिये गये तथा लोगों को तंग करके रुपये पैसे छीन लिए गए। सम्पूर्ण गोगरी और चौथम थाने में चौकीदारी टैक्स का पांच गुणा एडिशनल पुलिस टैक्स लगा दिया गया।

देश की स्वतंत्रता के लिये गोगरी और परबत्ता के निवासियों ने बड़ी संख्या में कुर्बानी दी। कन्हैयाचक गांव के स्वतंत्रता सेनानी स्व सुरेश चंद्र मिश्र स्व सूर्य नारायण शर्मा, जमुना चौधरी, डुमरिया खुर्द गांव के शालिग्राम मिश्र, भरतखण्ड गांव के दीनानाथ मिश्र, गोगरी के मुरली मनोहर प्रसाद जैसे दर्जनों महान क्रांतिकारी हुए थे।

आजादी के इतिहास में भले ही इन महान क्रांतिकारियों के नाम प्रकाश में नहीं है किंतु वे गुमनाम क्रांतिकारी देशभक्तों की बलिदानी देशवासियों के लिए सदा ही स्मरणीय रहेंगे। उन वीरों को हम नमन करें, जिन्होंने देश की आजादी के लिये अपनी कुर्बानी दी।

(संदर्भ : श्रीकृष्ण पत्रिका, नयागांव, वर्ष 1987)
मारूति नंदन मिश्र
नयागांव, परबत्ता, खगड़िया