भट्ट जी यशःशेष हो गये!
-प्रो. सच्चिदानंद मिश्र, सदस्य-सचिव, आईसीपीआर, नई दिल्ली
भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के भूतपूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर सिद्धेश्वर रामेश्वर भट्ट का आज प्रातः स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गए। अस्सी वर्ष से अधिक की अवस्था में भी इनका उत्साह अद्भुत था। आपसे हमारा प्रथम परिचय आज से लगभग 21 वर्ष पूर्व भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् द्वारा भारतीय तर्कशास्त्र पर आयोजित एक कार्यशाला के दौरान हुआ था जिसमें धर्मकीर्ति द्वारा प्रमाणवार्तिक में प्रदर्शित अनुमान के भेदों में ही किस तरह से कई एक सामान्यतोदृष्ट अनुमानों का अंतर्भाव किया जा सकता है इस बिन्दु को लेकर लम्बी चर्चा हुई थी। उस कार्यशाला के दौरान उन्होंने बहुत ही सहजता और आत्मीयता से बात की। उसके बाद बहुधा पत्रव्यवहार होते रहे। ये वह समय था जब फोन सुलभ नहीं होते थे। जब वे भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के अध्यक्ष बने तो भारतीय दर्शन से संबद्ध कई एक विषयों पर संगोष्ठी तथा कार्यशाला संयोजित करने का सुयोग मुझे मिला और उनके कार्यकाल में शोध परियोजना समिति द्वारा कई महत्त्वपूर्ण विषयों पर संगोष्ठी तथा कार्यशाला आयोजित करने के निर्णय लिए गए थे जिनको सम्पन्न कराने का सुयोग भी मुझे मिला। यद्यपि आपको यह सम्मान प्रदान करने का निर्णय हमारे सदस्य सचिव बनने के पूर्व ही लिया जा चुका था परन्तु भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् का सदस्य सचिव बनने के बाद 2021 में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के आजीवनोपालब्धि सम्मान से आपको सम्मानित करने का सौभाग्य भी मुझे मिला। आपका जाना भारत के दार्शनिक जगत् की एक गम्भीर क्षति है। इस शून्यता को भरने में लम्बा समय लगेगा। विगत कुछ वर्षों से स्वास्थ्यसम्बन्धी अनेक परेशानियों का सामना आप कर रहे थे।
जातस्य हि ध्रुवो मृत्युः के अनुसार यह अपरिहार्य है परन्तु यह दुःख तो रहेगा ही कि अब उनका मार्गनिर्देशन हम लोगों को नहीं मिल सकेगा।
ईश्वर उनको शान्ति और सद्गति प्रदान करें।
ॐ शान्तिः