BNMU। प्रोफेसर इंद्रनारायण यादव का निधन

हिंदी साहित्य के विद्वान हिंदी विभाग, बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा (बिहार) के अध्यक्ष (सेवानिवृत्त) प्रो. इंद्रनारायण यादव का 18 अगस्त, 2020 को 6 बजे सुबह में ब्रेन हेमरेज होने के कारण रूबन हॉस्पिटल, पटना में निधन हो गया।
आप मूलतः बी. एन. एम. भी. काॅलेज, मधेपुरा के शिक्षक थे। वहाँ वे प्रभारी प्रधानाचार्य सहित विभिन्न पदों पर रहे। विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष के रूप में आपने विभाग को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपके कार्यालय में विभाग द्वारा कई राष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। इनमें से कई में मुझे भी शिरकत करने का अवसर मिला था।
आप आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे और अखिल भारतीय संत मत सत्संग के कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भागीदारी निभाते थे। आपने अपने लेखन के जरिए संत-साहित्य और हिंदी गद्य की समृद्धि में महती भूमिका निभाई। इससे संबंधित आपके कई शोध-आलेख राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। ‘गद्य की अधुनातन विधाएं’ आपकी महत्वपूर्ण आलोचनात्मक कृति है।

मेरी इंद्रनारायण बाबू से पहली मुलाक़ात 17 सितंबर, 2017 को एक कार्यक्रम में हुई। उस कार्यक्रम की रिपोर्ट निम्नवत है-

टी. पी. कालेज, मधेपुरा परिसर स्थित राजकीय अंबेडकर कल्याण छात्रावास में आयोजित ‘हिंदी पखवाड़ा सह सम्मान समारोह’ में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. सिद्धेश्वर कश्यप के अनुगीत संग्रह ‘अजनबी बन गयी जिन्दगी’ का लोकार्पण किया गया। इस संग्रह में सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के क्षरण पर चोट किया गया है। इसकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं- ‘आदमी बिकने लगा’, ‘बेचता आज जमीर धरम है’ एवं ‘ये कत्ल का मौसम है’ आदि।

इस अवसर पर संस्थापक कुलपति प्रोफेसर डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव ‘रवि’, कुलपति प्रोफेसर डॉ. अवध किशोर राय, स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. इंद्र नारायण यादव, छात्रावास अधीक्षक डॉ. जवाहर पासवान, पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।

ईश्वर इनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
शत-शत नमन🙏