*कुलपति की अध्यक्षता में सभी प्रधानाचार्यों की बैठक आयोजित*
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*एनईपी को सही तरीके से क्रियान्वयन हम सबों की जिम्मेदारी*
बिहार सहित पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू की गई है। यह नीति हमारे समाज एवं राष्ट्र के लिए हितकारी है। हम सबों की जिम्मेदारी है कि हम एनईपी को सही तरीके से क्रियान्वित किया जाए।
यह बात कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव ने कही। वे शुक्रवार को सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
*समाज एवं राष्ट्र की आवश्यकताओं के अनुरूप एनईपी*
कुलपति ने कहा कि एनईपी समाज एवं राष्ट्र की आवश्यकताओं के अनुरूप है और यह विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। हम सबों को विद्यार्थियों को इसका लाभ दिलाना है।
*एनईपी पर हो कार्यशाला*
उन्होंने कहा कि सभी पदाधिकारी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्रधानाचार्य एवं शिक्षक एनईपी की समुचित जानकारी प्राप्त करें। सभी महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं सीबीसीएस पाठ्यक्रम को केंद्र में रखकर कार्यशाला एवं संगोष्ठी का आयोजन किया जाए।
*सीबीसीएस लागू*
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) के अंतर्गत बिहार राज्य के विश्वविद्यालयों में सत्र 2023-27 से चार वर्षीय स्नातक कोर्स (सीबीसीएस) का नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। इसके मुताबिक सभी विश्वविद्यालयों का पाठ्यक्रम और शुल्क सामान होगा। चार वर्षीय कोर्स 8 सेमेस्टर का है और इसके लिए 160 क्रेडिट तय किया गया है। प्रत्येक सेमेस्टर 20 क्रेडिट का होगा। छात्रों को अंतिम वर्ष के सातवें सेमेस्टर में पहुंचने तक 7.5 सीजीपीए प्राप्त करना होगा।
उन्होंने कहा कि तीन वर्षीय कोर्स करने के बाद डिग्री मिल जाएगी। चौथे वर्ष में पढ़ना अनिवार्य नहीं है। बीच में पढ़ाई छोड़ने पर भी विद्यार्थियों को यथोचित सर्टिफिकेट मिलेगा। 3 साल का स्नातक करने वालों के लिए पीजी दो वर्ष का होगा। 4 वर्षीय कोर्स करने वालों के लिए पीजी एक वर्ष का ही होगा। रिसर्च में भी सुविधा होगी।
उन्होंने एनईपी के अंतर्गत स्नातक में नामांकन, परीक्षा एवं परिणाम का कैलेण्डर बना हुआ है। बीएनएमयू में भी उस कैलेंडर का यथासंभव अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। नामांकन प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाएगी और ससमय परीक्षा एवं परिणाम का प्रकाशन सुनिश्चित कराया जाएगा।
*विद्यार्थियों को अपनी मनपसंद पाठ्यक्रम चुनने की आजादी देता है सीबीसीएस*
उन्होंने कहा कि सीबीएसएस एक शैक्षणिक मॉडल है, जो विद्यार्थियों को अपनी मनपसंद पाठ्यक्रम चुनने की आजादी देता है। इस सिस्टम के अंतर्गत विद्यार्थी अपनी मनपसंद विषयों का चयन कर सकते हैं। जैसे कि राजनीति विज्ञान के साथ भौतिकी की भी पढ़ाई कर सकते हैं।
*विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद है सीबीसीएस*
उन्होंने बताया कि सीबीसीएस कोर्स करने से विद्यार्थियों को कई फायदा होगा। विद्यार्थी अपनी पसंद से जो भी विषय पढ़ना चाहें, उसका चयन कर सकते हैं। इस कोर्स के तहत जो अंक प्राप्त होंगे, वह ग्रेड के रूप में होंगे। विद्यार्थियों को प्रत्येक साल 2 एग्जाम देने होंगे इस कारण विद्यार्थी अच्छे से पढ़ेंगे। इसके अंतर्गत मूल्यांकन भी बहुत बेहतर से किया जाएगा।
*शिक्षकों एवं कर्मचारियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित किया जाए*
उन्होंने कहा कि
सभी प्रधानाचार्य पूरे समय कार्यालय में रहें और अपने स्तर से सभी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करे। मुख्यालय छोड़ने के पूर्व विधिवत अवकाश लेते हुए वरीय शिक्षक को चार्ज दें।
उन्होंने बताया कि सभी स्नातकोत्तर विभागों एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं कर्मचारियों का उपस्थिति का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाएगा। अतिथि व्याख्याताओं सहित सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। जो अतिथि शिक्षक नियमित नहीं रहेंगे, उनकी सेवा का विस्तारीकरण नहीं किया जाएगा।
उन्होंने प्रधानाचार्यों को निदेश दिया है कि रूटीन के अनुसार कक्षाओं का संचालन सुनिश्चित कराया जाए। विषयवार नामांकित एवं कक्षा में उपस्थित विद्यार्थियों का डेटा तैयार किया जाए। जिन विद्यार्थियों की 75 प्रतिशत उपस्थिति नहीं हो, उनका परीक्षा फार्म नहीं भराया जाए।
उन्होंने कहा कि एक भी विद्यार्थी आए, तो भी कक्षा ली जाए। इससे विद्यार्थियों के बीच सकारात्मक संदेश जाता है। दूसरे विद्यार्थी भी कक्षा में आने हेतु प्रेरित होते हैं। यदि कम विद्यार्थी आने पर कक्षा नहीं ली जाती है, तो इससे विद्यार्थियों के बीच नकारात्मक संदेश जाता है।
उन्होंने कहा कि यदि नियमित रूप से कक्षाएं होंगी, तो विद्यार्थी शिक्षक से जुड़ेंगे। इससे दोनों के बीच बेहतर संवाद कायम होगा। इससे महाविद्यालय में अनुशासन कायम होगा और कई समस्याओं का स्वत: समाधान हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि मैं गलतियों को गिनने नहीं, सुधारने आया हूं। आपसी संवाद एवं समन्वय से कठिनाइयाँ दूर होगी। अंगीभूत महाविद्यालयों के साथ-साथ संबद्ध महाविद्यालयों की समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा।
कुलसचिव ने बताया कि बैठक में अनुपस्थित सभी प्रधानाचार्यों से कारणपृच्छा की जाएगी।
बैठक के पूर्व सभी प्रधानाचार्यों ने नवनियुक्त कुलपति को पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया और आशा व्यक्त किया कि इनके मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय, देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों के बीच अपना स्थान बनाने में कामयाब होगा।
इस अवसर पर डीएसडब्ल्यू प्रो. राजकुमार सिंह, कुलानुशासक डॉ. बी. एन. विवेका, कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर,प्रो. (डा.) कैलाश प्रसाद यादव, प्रो. (डॉ.) राजीव सिन्हा, प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार, डॉ. अरविन्द कुमार, प्रो. (डॉ.) डी. एन. साह, प्रो. (डॉ.) उमाशंकर चौधरी, डॉ. जवाहर पासवान, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. माधवेन्द्र झा, डा. उपेन्द्र पंडित, डॉ.सुमन कुमार झा, डॉ. अरुण कुमार चौधरी, डॉ. सत्यजीत यादव, डॉ. अमरनाथ चौधरी, डॉ संजय कुमार, वित्त पदाधिकारी अरूण कुमार गुप्ता, उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर, कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव आदि उपस्थित थे।