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BNMU बीएनएमयू का पंचम दीक्षांत समारोह संपन्न। राज्यपाल सह कुलाधिपति थे मुख्य अतिथि सह अध्यक्ष* *दीक्षांत समारोह का हमारे जीवन में काफी महत्व है : राज्यपाल*

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*बीएनएमयू का पंचम दीक्षांत समारोह संपन्न। राज्यपाल सह कुलाधिपति थे मुख्य अतिथि सह अध्यक्ष*

*दीक्षांत समारोह का हमारे जीवन में काफी महत्व है : राज्यपाल*

महामहिम राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के 5वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि सह अध्यक्ष के रूप में भाग लिया।

उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह का हमारे जीवन में काफी महत्व है। यह विश्वविद्यालय की प्रगति का द्योतक है। आपके विश्वविद्यालय में पिछले कुछ वर्षों में जो प्रगति हुई है। इसका कारण आप सभी विद्यार्थी हैं। विद्यार्थी मित्र, छात्र मित्र के कारण ही यह विश्वविद्यालय प्रगति के पथ पर अग्रसर है। आपने सबके बहुत मेहनत करके यहाँ के शिक्षा को अपनी ओर खींच लिया है। यहाँ के आचार्यगण ने निश्चित रूप से मेहनत की है, लेकिन अगर आप इसको आत्मसात नहीं कर पाते, तो विश्वविद्यालय आगे नहीं बढ़ पाता। आप सबको मैं बधाईयाँ देता हूँ, आप सबका मैं अभिनंदन करता हूँ।

दीक्षांत समारोह शिक्षा का अन्त नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत है*
उन्होंने कहा कि यह दीक्षांत समारोह है, आज आप सबको दीक्षा दी गयी है। लेकिन यह शिक्षा का अन्त नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत है। आगे समाज किस दिशा में जा रहा है, हमें किस दिशा में जाना है, इस पर विचार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आने वाला समय आपके लिए राह चुनने वाला समय है। आपको किस दिशा में जाना है? कैसी शिक्षा प्राप्त करनी है? आप एक चौराहे पर खड़े हैं। समाज में आगे जाकर कोई आपकी डिग्री या आपका प्राप्तांक नहीं पूछेगा। आप समाज में लोगों के साथ किस प्रकार का बर्ताव करते हैं, इसको महत्व दिया जाएगा। लोग देखेंगे कि फलाना व्यक्ति बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय से डाक्टरेट एवं एम.ए. की उपाधि लेकर आया है, तो इसका बर्ताव कैसा है? समाज के प्रति सोच, लोगों के प्रति व्यवहार, लोगों के बीच काम का तरीका कैसा है? इस पर आपका आने वाला भविष्य निर्भर करता है।

*नौकरी देने वाले बनें*

उन्होंने कहा कि हमारे सामने अगर कोई प्रश्न है, तो हमारे सामने उसका उत्तर और समाधान भी होने चाहिए। मैं स्नातकोत्तर होकर नौकरी ढूँढने जाऊँ, तो कहाँ नौकरी मिलेगी? नौकरी देने वालों का कुछ नियम होता है और उनकी कुछ मर्यादाएं होती हैं। वे सभी को नौकरी देने वाले होते हैं, ऐसा नहीं है। नौकरी देने वालों के मन में इच्छा होती है सबों को नौकरी देने की, लेकिन उसके पीछे मर्यादाएं होती हैं। वे चाहकर भी सबों को नौकरी नहीं दे पाते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे सामने मुख्य प्रश्न है कि आगे समय में चलकर हम नौकरी माँगने वाले बनकर जाएंगे या नौकरी देने वाले बनकर जाएंगे। हमें नौकरी देने वाले बनना चाहिए। इसके लिए क्या प्रयास करना है। इस पर विचार करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि यहाँ की राज्य सरकार हो या केन्द्र की सरकार हो, दोनों की कुछ योजनाएँ हैं। हमें उन योजनाओं का समुचित लाभ उठाना है। योजनाओं की सफलता हमारे ऊपर निर्भर करती है।

उन्होंने कहा कि आप सब यहाँ आये है डिग्री लेकर जाने के लिए। परन्तु यह डिग्री जो है, यह कागज़ जो है, इसका उपयोग मर्यादित रूप में है। आप किस दिशा में काम करेंगे, यह आपका भविष्य बनाएगा। मुझे आशा है और यह आग्रह भी है आप सबसे कि आपनी शिक्षा का उपयोग किस दिशा में करेंगे, इस पर आज से विचार करें- अपनी शिक्षा को समाज एवं राष्ट्र के नव-निर्माण में लगाएं।

उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि लोगों के प्रति उनका व्यवहार मर्यादित होना चाहिए। उन्हें अपनी शिक्षा का उपयोग समाज के हित में करना चाहिए तथा नौकरी की तलाश करने के बजाए रोजगार का सृजन करनेवाला बनना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 विद्यार्थियों को इस हेतु सक्षम बनाने में उपयोगी है।

उन्होंने कहा कि हमने इस देश का 77वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया। हमारी स्वतंत्रता के 76 वर्ष हो चुके हैं। आज हम सबको चिन्ता है कि देश को किस दिशा में ले जाने के लिए हमने शिक्षा प्राप्त की है। हम कहाँ जाएंगे, क्या करेंगे। पिछले कई वर्षों से शिक्षा की जो नीति चल रही थी। वह मैकाले की औपनिवेशिक शिक्षा-नीति चल रही थी। वह शिक्षा-नीति हमको नौकर बनाने वाली, हमें नौकरी माँगने वाला बनाने वाली नीति थी। हम डिग्री लेकर बाहर जाते हैं कि हमको नौकरी दे दो। हमें बस नौकरी चाहिए। लेकिन पुरानी शिक्षा नीति में हम नौकरी देने वाले बन नहीं सकते।

*सौभाग्य से देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 लागू हुई*
उन्होंने कहा कि सौभाग्य से देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 लागू हुई है। यह नीति हमें नौकरी देने वाला बनाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति चाहती है हमको यह प्राप्त करना है। हमारी युवा पीढ़ी को किस दिशा में प्रगति करनी चाहिए, उसको लेकर यह शिक्षा नीति बनाई गई है।
उन्होंने कहा कि हमारे बिहार प्रदेश ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाया है। हमें खुशी व आनंद है कि आप सब इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत चार वर्षीय पाठ्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इस पाठ्यक्रम के तहत छात्र-छात्राओं को एक वर्ष की पढ़ाई के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे वर्ष की पढ़ाई के बाद डिप्लोमा और तीसरे वर्ष की पढ़ाई के बाद डिग्री दिये जाने का प्रावधान है। चतुर्थ वर्ष का विकल्प केवल उन छात्रों के लिए है जो अपनी इच्छानुसार उच्चतर शिक्षा अथवा विदेशों में पढ़ाई करने के लिए या अन्य विश्वविद्यालय जहाँ उच्चतर शिक्षा के लिए स्नातक स्तर पर चार वर्ष की शिक्षा आवश्यक हो, वहाँ प्रवेश पाना चाहते हाें।


उन्होंने कहा कि बहुत सारे शिक्षकों की नियुक्ति बची हुई है। सभी विश्वविद्यालयों में नामांकन में वृद्धि आई है। इसका मतलब है, हमें उतनी मात्रा में साधन उपलब्ध कराना चाहिए। उतनी मात्रा में शिक्षकों को उपलब्ध कराना आवश्यक है। हम सबको चाहिए कि शिक्षकों की नियुक्ति हो। केवल अतिथि शिक्षकों की बहाली से कुछ होगा नहीं। स्थाई शिक्षक चाहिए। प्रधानाचार्य की आवश्यकता है। शिक्षा मंत्री से आग्रह है कि सभी विश्वविद्यालयों को साधन उपलब्ध कराएं। यहाँ उच्च शिक्षा का सपना देखने वाले बेटे-बेटियाँ निश्चित रूप से आपको हमको दुआ देंगें। इसलिए यह करने की आवश्यकता है।

*भारत की प्राचीन गौरवशाली शिक्षा-व्यवस्था में बिहार का बहुमूल्य योगदान*

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति-सभ्यता अत्यंत समृद्ध है। भारत की प्राचीन गौरवशाली शिक्षा-व्यवस्था में बिहार का बहुमूल्य योगदान रहा है। बिहार के नालंदा एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय की शिक्षा से पूरा देश गौरवान्वित रहा है। लेकिन वर्तमान में भी ऐसा करने की आवश्यकता है। पूरे देश के विद्यार्थी बिहार में आने चाहिए। ऐसी व्यवस्था हो।
उन्होंने कहा कि हम सभी साकारात्मक दृष्टि से समाज एवं राष्ट्र के विकास में योगदान दें। बाबा सिंघेश्वरनाथ हम सबों को आशीर्वाद दें।

*ज्ञान की भूमि है बिहार : शिक्षा मंत्री*

शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि बिहार ज्ञान-विज्ञान एवं लोकतंत्र की भूमि है। हमारे नालंदा एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैलाया। हमारे वैशाली ने दुनिया को पहला गणतंत्र का प्रथम पाठ पढ़ाया।

*शिक्षा के विकास हेतु चलाई जा रही हैं कई योजनाएं*

उन्होंने बताया कि शिक्षा के समग्र विकास हेतु बिहार सरकार द्वारा की योजनाएं चलाई जा रही हैं। यहां मुख्यमंत्री बालक एवं बालिका साइकिल योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना आदि का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है।

*प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में हुआ है काफी सुधार*

उन्होंने बताया कि बिहार सरकार के सतत प्रयास से प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक में गुणात्मक सुधार हुआ है।

*विश्वविद्यालय है साझी धरोहर*
कुलपति प्रो. आर. के. पी. रमण ने कहा कि यह विश्वविद्यालय हमारे पुरखों की एक साझी धरोहर है। इस धरोहर के संरक्षण एवं संवर्धन की जिम्मेदारी हम सबों की है।

*नामांकन अनुपात में हुई है वृद्धि*
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय अंतर्गत अठारह विषयों में स्नातकोत्तर की मान्यता मिली है। स्नातकोत्तर में नामांकन हेतु कुल सीटों की अतिरिक्त वृद्धि हुई है। नई शिक्षा नीति के आलोक में स्नातक स्तर पर चार वर्षीय सीबीसीएस पाठ्यक्रम लागू किया गया है।

*शोभायात्रा में शामिल हुए राज्यपाल*
उपकुलकचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि सुबह कुलाधिपति का हेलीकाप्टर एसएकेएनडी कालेज के हैलिपैड पर उतरा। वहां जिला प्रशासन के द्वारा उन्हें गार्ड आफ आनर दिया गया।


विश्वविद्यालय पधारने पर कुलपति आवास पर 17 एनसीसी बिहार बटालियन के कैडेट्स ने कैप्टन गौतम कुमार के नेतृत्व में गार्ड आफ आनर दिया। तदुपरांत कुलाधिपति ने सर्वप्रथम सिंहेश्वर स्थान जाकर देवाधिदेव महादेव की पूजा अर्चना की।

उन्होंने बताया कि राज्यपाल सह कुलाधिपति ने शोभायात्रा के साथ सभा में प्रवेश किया। तदुपरांत राष्ट्रगान का सामूहिक गायन हुआ। इसके बाद राज्यपाल ने महामना भूपेंद्र नारायण मंडल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। तदुपरांत कुलगीत की प्रस्तुति हुई।


इस अवसर पर राज्यपाल के प्रधान सचिव आर. एल. चोंग्थु, राजभवन के अन्य पदाधिकारी, कई विश्वविद्यालय के कुलपति, पूर्व कुलपति, कुलसचिव, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, अभिषद् सदस्यगण, आधिषद् सदस्यगण, विद्वत परिषद् सदस्यगण, विभागाध्यक्षगण, प्रधानाचार्यगण, शिक्षकगण, कर्मचारीगण एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।

*दी गई दीक्षा*
उन्होंने बताया कि राज्यपाल सह कुलाधिपति सहित सभी अतिथियों का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं सिंहेश्वर मंदिर का स्मृतिचिह्न भेंटकर स्वागत किया गया। अभ्यर्थियों को कुलपति द्वारा दीक्षा दी गई। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव प्रो. मिहिर कुमार ठाकुर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रति कुलपति प्रो. आभा सिंह ने की।

कार्यक्रम के आयोजन में जिलाधिकारी विजय प्रकाश मीणा, आरक्षी अधीक्षक राजेश कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ. राजकुमार सिंह, कुलानुशासक डॉ. बीएन विवेका, सीसीडीसी डॉ. इम्तियाज अंजुम, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. एम. आई. रहमान, उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर क्रीड़ा परिषद् के सचिव डॉ. अबुल फजल, उप सचिव डॉ. शंकर कुमार मिश्र, कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव आदि ने सहयोग किया।

*समारोह में कुल 578 विद्यार्थियों ने भाग लिया है*

पंचम दीक्षांत समारोह में स्नातकोत्तर एवं पीएचडी के कुल 578 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इनमें 43 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया, जिनमें 23 छात्राएं हैं, जबकि छात्रों की संख्या 20 है।

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