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BNMU सम्मान समारोह आयोजित

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सम्मान समारोह आयोजित

स्नातकोतर इतिहास विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के सेवानिवृत अध्यक्ष डॉ. गजेन्द्र कुमार का विदाई सह सम्मान समारोह शुक्रवार को महाविद्यालय के शिक्षक प्रकोष्ठ में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर डॉ. गजेन्द्र कुमार ने कहा कि ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय विश्वविद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण महाविद्यालय है। इसका गौरवशाली इतिहास है। यहां आकर बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला।

उन्होंने कहा कि उन्हें जो भी जिम्मेदारी मिली, उसे उन्होंने ठीक ढंग से पूरा करने की हरसंभव कोशिश की। हमेशा समर्पित भाव से कार्य किया और विश्वविद्यालय को नंबर वन पर लाने परीक्षा सत्र को नियमित करने का हरसंभव प्रयास किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा कुमारी ने कहा कि डॉ. कुमार ने महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। महाविद्यालय में विभागाध्यक्ष एवं छात्रावास अधीक्षक और विश्वविद्यालय में महाविद्यालय निरीक्षक, परिसंपदा पदाधिकारी एवं परीक्षा नियंत्रक रहे। इन्होंने सत्र नियमितिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि हमारा यह दायित्व है कि हम अपने संस्थान को आगे बढ़ाएं। जब संस्थान आगे बढ़ेगा, तभी हम सब आगे बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा डॉ. कुमार अपने सेवाकाल में जहां भी रहे, वहां हमेशा संस्थान के प्रति समर्पित रहे। उन्होंने संस्थान के हित को अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखा।

कुलानुशासक डॉ. विश्वनाथ विवेका ने अपनी एक स्वरचित कविता ‘समय अपनी गति में सदा गतिमान रहता है’ सुनाई।

इसके पूर्व डॉ. गजेन्द्र कुमार को अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न और डायरी, कलम एवं भगवद्गीता भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन संघ के सचिव डॉ. दिनेश यादव और धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने किया।

इस अवसर पर अर्थपाल डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. ए. के. मल्लिक, बैंक अधिकारी अजय कुमार, डॉ. मनोज कुमार यादव, डॉ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, दीपक कुमार राणा, डॉ. मिथिलेश कुमार, डॉ. विजया कुमारी, डॉ. खुशबू शुक्ला, डॉ. रोहिणी, डॉ. जावेद अहमद, डॉ. आशुतोष कुमार, अर्जुन साह, डॉ. अरविंद कुमार, नारायण विवेकानंद, मणिष कुमार, माधव कुमार, सौरभ कुमार चौहान, दिलीप कुमार दिल आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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