याद किए गए डॉ. अंबेडकर
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भारतरत्न डाॅ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान के रूप में हमें एक विशिष्ट सौगात दिया है। उन्होंने संविधान के माध्यम से भारत के सभी लोगों के लिए स्वतंत्रता, समानता, बंधुता की गारंटी दी।
यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव ने कही। वे शुक्रवार को डाॅ. अंबेडकर के जन्म दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना एवं सेहत केंद्र के तत्वावधान में किया गया।
प्रधानाचार्य ने कहा कि यह संविधान चंद लोगों के लिए नहीं है, सबों के लिए है। अतः हम सबों की यह जिम्मेदारी है कि हम संविधान की मूल भावना को अक्षुण्ण रखें। लेकिन दुखद है कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी हम संविधान की मूल भावना को आत्मसात नहीं कर पाए हैं।
दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर एक मानववादी विचारक थे। उन्होंने पूरी मानवता को स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुता का संदेश दिया। वे केवल दलितों के नेता नहीं थे, बल्कि वे संपूर्ण मानवता के उन्नायक थे।
उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने जीवनभर संघर्ष कर हम सबों के लिए सामाजिक न्याय की रोशनी लाई है। हमें इस रोशनी को घर-घर तक पहुँचाना है और सामाजिक न्याय के कारवां को आगे ले जाना है।
मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर ने कठिन परिस्थितियों में उच्च शिक्षा प्राप्त करके अपनी मंजिल प्राप्त किया। इसलिए हमें शिक्षा प्राप्ति के लिए तन, मन एवं धन से जुट जाना चाहिए।
इस अवसर पर दर्शनशास्त्र विभाग के शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, मनोविज्ञान विभाग के शोधार्थी अमर कुमार, विवेकानंद, सज्जन कुमार, राजेश कुमार, दीपक कुमार, धीरेंद्र ठाकुर, भरत प्रसाद यादव, बबलू महतो, गणेश मुखिया आदि उपस्थित थे।