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BNMU। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा : प्रधानाचार्य प्रोफेसर डाॅ. के. पी. यादव ने किया झंडोत्तोलन

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ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में प्रधानाचार्य प्रोफेसर डाॅ. के. पी. यादव ने झंडोत्तोलन किया। उन्होंने इस अवसर पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों एवं शहीदों को नमन किया। उन्होंने कहा कि आज संकल्प का दिन है। हम अपने दायित्वों का निर्वहन करने हेतु प्रतिबद्ध रहें।

उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के विकास के कई आयाम जोड़े गए हैं। नैक मूल्यांकन के लिए एसएसआर जमा कराया गया था। उसमें कुछ कमियां रह गई थीं। हम उन कमियों को दूर कर दो-तीन माह में पुनः एसएसआर जमा कराया जाएगा।

उन्होंने कहा कि दो वर्षों में महाविद्यालय के स्वरूप को बदलने का प्रयास किया गया है।  विज्ञान परिसर का सौंदर्यीकरण हुआ। वहाँ महाविद्यालय के संस्थापक कीर्ति नारायण मंडल की प्रतिमा लगाई गई। उन्होंने बी. एड. भवन का नामकरण कीर्ति नारायण मंडल भवन करने की घोषणा की।

साथ ही बताया कि नार्थ कैम्पस का नामकरण कीर्ति नारायण मंडल कैम्पस करने हेतु विश्वविद्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है। इस पर सकारात्मक पहल की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि उन्होंने रतनचंद द्वारा का निर्माण कराया है। यह बिहार के सबसे अच्छे द्वार में एक है। केंद्रीय पुस्तकालय एवं काउंटर का ऑटोमेशन किया गया है। आगे ई. लाइब्रेरी और आईटीसी लैब बनबाया जाएगा। कैंटीन बनकर तैयार है। जीर्ण-शीर्ण विद्युत आपूर्ति को ठीक किया गया है। महाविद्यालय परिसर से गुजर रहा ग्यारह हजार वोल्ट का तार शीघ्र ही हट जाएगा। बाहरी परिसर अतिक्रमण मुक्त है। दुकानों का किराया निर्धारित कर महाविद्यालय में बीस लाख रूपए एफडी जमा कराया गया है। 87 सीसीटीसी कैमरा लगाया गया है। सभा भवन का जीर्णोद्धार किया गया है। साइंस ब्लाॅक के सामने साइकिल सेड बनेगा।

इस अवसर पर डाॅ. बी. एन. विवेका, डाॅ. ए. के. मल्लिक, डाॅ. रतनदीप, डाॅ. जवाहर पासवान, डाॅ. राजीव रंजन, डाॅ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डाॅ. मनोज कुमार मनोरंजन, आर. पी. राजेश, गुड्डू कुमार, डाॅ. आशुतोष झा, अमित कुमार, रानी कुमारी, विवेकानंद, मणीष कुुमार आदि उपस्थित थे

– रिपोर्ट : सौरभ कुमार चौहान,                          शोधार्थी, दर्शनशास्त्र विभाग,                                    बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा, बिहार

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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