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BNMU स्नातकोत्तर गणित विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में दीक्षांत कार्यक्रम का आयोजन

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*शिक्षा का महत्व है सर्वोपरि*

मानव जीवन में शिक्षा का महत्व सर्वोपरि है। बेहतर शिक्षा की नींव पर ही हमारे सुनहरे भविष्य का निर्माण होता है।

यह बात अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन ने कही। वे शनिवार को स्नातकोत्तर गणित विभाग द्वारा आयोजित दीक्षारंभ (सत्रारंभ) कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।

उन्होंने सभी विद्यार्थियों से अपील की कि वे नियमित रूप से कक्षा में आएं और हमेशा शिक्षकों से कुछ-न-कुछ सीखने का प्रयास करें।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि दीक्षारंभ योजना विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।

इससे विद्यार्थियों को कक्षाओं में भाग लेने की प्रेरणा मिलती है और उन्हें कैरियर चयन हेतु समुचित मार्गदर्शन भी मिलता है।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों पर ही समाज एवं राष्ट्र का भविष्य निर्भर करता है।

अतः हमारा यह दायित्व है कि सभी विद्यार्थियों को एक समान एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराया जाए।

दीक्षारंभ कार्यक्रम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

*मिलता है संस्थान को जानने-समझने का अवसर*
कार्यक्रम का संचालन करते हुए गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्ड कुमार ने कहा कि दीक्षारंभ कार्यक्रम में विद्यार्थियों को अपने संस्थान एवं शिक्षकों को जानने-समझने का अवसर मिलता है।

साथ ही उन्हें पाठ्यक्रम के संबंध में महत्वपूर्ण सूचनाएं मिलती हैं।
इससे पठन-पाठन एवं परीक्षा की तैयारी में भी मदद मिलती है।

उन्होंने कहा कि दीक्षारंभ कार्यक्रम मुख्य रूप से विभागों में आए नए छात्रों की मदद के लिए तैयार किया गया है। नए छात्र विभाग के शैक्षणिक माहौल में आराम से ढाल सकें और उन्हें शिक्षण से संबंधित किसी भी परेशानी का सामना न उठाना पड़े।

इस प्रोग्राम में संस्थानों में प्रवेश लेने वाले सभी छात्रों को शामिल होना अनिवार्य है।

इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, नयन रंजन, आशीष कुमार, अंशु राज, कनहिया कुमार, राजीव कुमार, सुमन कुमार, सौरभ कुमार, अमोल कुमार, धीरज कुमार, प्रीति कुमारी, प्रिय कुंज, सौरभ कुमार, आमोद कुमार, रामकृष्ण कुमार, राजा कुमार, गौतम कुमार, आलोक कुमार, संतोष राज, सौरभ कुमार, गुड्डू कुमार, बाबुल कुमार, अजित कुमार, सुमित राज, सतीश कुमार, रमन कुमार आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।