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NSS प्रतिमा स्थल की सफाई

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प्रतिमा स्थल की सफाई

ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा की राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम इकाई के तत्वावधान में प्रतिमा स्थल सफाई अभियान की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत शुक्रवार को भूपेंद्र नारायण मंडल प्रतिमा स्थल की सफाई की गई।

कार्यक्रम पदाधिकारी सह दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच महापुरूषों के प्रति सम्मान-भाव जगाना और लोगों को उनकी प्रतिमाओं की साफ-सफाई को लेकर जागरूक करना है।‌ इसकी शुरुआत भूपेन्द्र नारायण मंडल की प्रतिमा स्थल से की गई है। आगे बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल, सुभाषचंद्र बोस, कर्पूरी ठाकुर आदि के प्रतिमा स्थल की भी साफ-सफाई की जाएगी।

*प्रत्येक दिन नियमित रूप से हो साफ-सफाई*

उन्होंने कहा कि कहा कि किसी भी महापुरुष की प्रतिमा समाज में उनके योगदान को सम्मान देने और उससे प्रेरणा ग्रहण करने के उद्देश्य से लगाई जाती है। इसके लिए यह जरूरी है कि हम महापुरुषों को सिर्फ उनके जन्मतिथि एवं पुण्यतिथि पर याद नहीं करें, बल्कि प्रत्येक दिन याद करें। प्रतिमाओं की सिर्फ किसी खास दिवस पर नहीं, बल्कि प्रत्येक दिन नियमित रूप से साफ-सफाई हो।

*प्रतिमा स्थल के समुचित सौंदर्यीकरण की जरूरत*

मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि मधेपुरा शहर के लिए यह गौरव की बात है कि यहां कई महापुरुषों की प्रतिमाएं लगी हुई हैं। लेकिन दुख की बात यह है कि प्रायः सभी महापुरुषों के प्रतिमा-स्थल उपेक्षित है। इन सभी प्रतिमा स्थल की नियमित रूप से साफ-सफाई और इसके समुचित सौंदर्यीकरण की जरूरत है। शहर के समाजसेवियों एवं स्वयंसेवी संगठनों को इस दिशा में आगे आना चाहिए।

उन्होंने बताया कि सड़क-निर्माण के कारण भूपेंद्र नारायण मंडल की प्रतिमा काफी नीचे हो गई है।‌इसकी सीढ़ी बंद हो गई है और शिलापट्ट भी ढंक गया है। अतः अविलंब इससे ठीक करने की जरूरत है।

मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ. उपेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि एनएसएस के माध्यम से प्रतिमा स्थल की साफ- सफाई का अभियान काफी सराहनीय है। इसमें स्वयंसेवकों को बढ़चढ़ कर भाग लेना चाहिए।

कार्यक्रम में शोधार्थी द्वय सौरभ कुमार चौहान एवं अमर कुमार, ममता कुमारी, अंजलि कुमारी, नीरज कुमार आदि ने सहयोग किया।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।