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स्वराज अभी बाकि है : डाॅ. विजय कुमार

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आजादी को हमारे पुरखों ने स्वराज कहा है। स्वराज अपने मन का राज है। यह राज
सब के द्वारा बनेगा सबके लिए बनेगा और सब प्रकार से बनेगा।

यह बात गाँधीवादी विचारक और गाँधी विचार विभाग, टीएमबीयू, भागलपुर के अध्यक्ष डाॅ. विजय कुमार ने कही।

वे शुक्रवार को बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला के तहत आजादी के मायने विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि स्वराज अपने लिए नियत कार्यों को मनोयोग पूर्वक करने वाला राज्य है। सत्याग्रह इसकी कुंजी है।

उन्होंने बताया कि गांधी यह मानते थे कि भारत को अंग्रेजों ने गुलाम नहीं बनाया है। भारत अंग्रेजी सभ्यता के कारण गुलाम हुआ है।मुहम्मद साहेब के शब्दों में यह शैतानी सभ्यता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह घोर कलयुग है।

उन्होंने कहा कि 15 अगस्त, 1947 को हम राजनीति रूप से आजाद हो गए हैं। लेकिन अभी ही देश के नव निर्माण का सपना अधूरा है। स्वराज अभी बाकि है। आम लोगों तक आजादी के मायने को पहुंचाया जाना बाकि है।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद स्वदेशी, स्वावलंबन एवं सत्ता के विकेन्द्रीकरण को अपनाने की जरूरत थी। गाँधी चाहते थे कि सत्ता केंद्रीय तरीके से 10 लोगों के हाथ में ना रहे। इसके गांव में भी बिखेरना चाहते थे।

उन्होंने बताया कि गांधी कहते हैं कि मैं एक ऐसे भारत की कल्पना करता हूँ, जिसमें रात्रि में स्त्रियों गहनों से लदी हुई सड़कों पर निकल सकें।

उन्होंने कहा कि भारतीय चेतना ने कभी भी हथियार के बल से को गुलाम नहीं बनाया। हम दुनिया को संदेश देते रहे। लेकिन कभी किसी को गुलाम बनाने की कोशिश नहीं की। बेशक हम अपनी बुराइयों के कारण समय-समय पर थोड़े गिरावट में जाते हैं। लेकिन फिर हम खड़े होते हैं। बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।

रिपोर्ट : गौरब कुमार सिंह


 

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