Search
Close this search box.

BNMU मीडिया के सभी साथियों के प्रति आभार

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

*मीडिया के सभी साथियों के प्रति आभार*

बीएनएमयू के निवर्तमान जनसंपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) डाॅ. सुधांशु शेखर ने अपनी पांच वर्षों की शानदार सेवा के लिए कोसी- सीमांचल और विशेष रूप से मधेपुरा के सभी मीडियाकर्मियों को साधुवाद दिया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने 3 जून, 2017 को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) के रूप में योगदान दिया था। इसके कुछ ही दिनों बाद 12 अगस्त, 2017 को तत्कालीन कुलपति डॉ. अवध किशोर राय ने इनको जनसंपर्क पदाधिकारी की जिम्मेदारी दी थी। यह इनके लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।

उन्होंने बताया कि उस समय बीएनएमयू कोसी-सीमांचल के सात जिलों में फैला था और इसके अंतर्गत दर्जनों अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालय आते थे। उन्होंने इनमें से अधिकांश महाविद्यालयों का मुंह नहीं देखा था और इस क्षेत्र के भौगौलिक एवं सामाजिक- सांस्कृतिक परिवेश से भी वे अनभिज्ञ थे। इसके बावजूद उन्होंने जनसंपर्क पदाधिकारी जैसे चुनौतिपूर्ण कार्य को बखूबी निभाया और इस रूप में एक नया प्रतिमान खड़ा किया।

*मीडियाकर्मियों से मिला प्रेम एवं विश्वास*
उन्होंने जनसंपर्क पदाधिकारी के रूप में कार्य करने का अवसर देने हेतु कुलपति डॉ. आर. के. पी. रमण और पूर्व कुलपति द्वय डॉ. अवध किशोर राय एवं डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी के प्रति विशेष रूप से आभार व्यक्त किया है। साथ ही कहा है कि उनकी सफलता में पत्रकारिकता के उनके पूर्व अनुभव, उनकी दक्षता एवं कठिन परिश्रम का कम योगदान है। इससे अधिक योगदान कोसी-सीमांचल और विशेषकर मधेपुरा के सभी मीडियाकर्मियों से मिले प्रेम एवं विश्वास का है। इसलिए सभी मीडियाकर्मी साधुवाद के पात्र हैं।

*पांच वर्षों तक ईमानदारीपूर्वक किया काम*
उन्होंने बताया कि उन्होंने पांच वर्षों तक ईमानदारीपूर्वक जनसंपर्क पदाधिकारी का कार्य किया। इसके लिए विश्वविद्यालय से न तो कोई सुविधा मिली और न ही कोई प्रोत्साहन राशि। बुनियादी सुविधाएं देने और कम-से-कम एक कर्मी की प्रतिनियुक्ति की आवश्यक मांगों को भी अनसुना कर दिया गया। दूसरी ओर इस पद के कारण कुछ लोग उनसे ईर्ष्या एवं द्वेष रखने लगे और कुछ लोग अपना नाम या फोटो छपने की अति महत्वाकांक्षाओं के पूरा नहीं होने के कारण उनके प्रति दुर्भावना पालने लगे।

उन्होंने बताया कि इन पांच वर्षों में कई बार मन बहुत खिन्न हुआ, लेकिन कभी भी मीडिया में एक शब्द भी वैसा नहीं दिया, जिसका विश्वविद्यालय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता था। उन्होंने जब विश्वविद्यालय प्रशासन से लिखित एवं मौखिक रूप में पदमुक्त हेतु गुहार लगाई, तो उसे भी मीडिया में नहीं दिया। वर्तमान कुलपति एवं कुलसचिव से भी अगस्त 2021 एवं जुलाई 2022 में आवेदन देकर सभी पदों से मुक्त करने का अनुरोध किया गया था।
*सकारात्मक छवि बनाने की सार्थक कोशिश*
उन्होंने बताया कि उन्होंने विश्वविद्यालय की सकारात्मक छवि बनाने की सार्थक कोशिश की। मीडिया में लगातार सकारात्मक ख़बरों को प्रकाशित कराया।बीएनएमयू संवाद के नाम से यूट्यूब, फेसबुक, वाट्सएप एवं अन्य सोशल मीडिया में भी विश्वविद्यालय को सक्रिय बनाया। शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को ससमय विश्वविद्यालय से संबंधित सूचनाएं मुहैया कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विश्वविद्यालय में छात्र-संवाद कार्यक्रम की शुरुआत कराने की पहल की। विभिन्न आयोजनों को मूर्त रूप दिया। पहली बार विश्वविद्यालय कैलेंडर में विश्वविद्यालय स्थापना दिवस एवं महामना भूपेंद्र नारायण मंडल की जयंती को शामिल कराया। पहली बार विश्वविद्यालय की डायरेक्ट्री प्रकाशित कराई। जिस किसी भी संस्थान ने आवेदन दिया, उन सबों को कुलपति का संदेश उपलब्ध कराया।

*शैक्षणिक कैरियर पर पड़ा है प्रतिकूल प्रभाव*
उन्होंने बताया कि यह सच है कि जनसंपर्क पदाधिकारी के रूप में कार्य करते हुए उन्हें एक नई पहचान मिली। लेकिन इसका उनके शैक्षणिक कैरियर एवं शोध एवं लेखन पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। साथ ही बेवजह दुश्मनों की बड़ी फौज खड़ी हो गई।

*प्रकाशित हैं तीन मौलिक और आठ संपादित पुस्तकें*

मालूम हो कि जनसंपर्क पदाधिकारी के रूप में योगदान के पूर्व डॉ. शेखर की तीन पुस्तकें ‘गाँधी- विमर्श’ (2015), ‘सामाजिक न्याय : अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ’ (2014) और ‘भूमंडलीकरण और मानवाधिकार’ (2017) जैसी तीन मौलिक और आठ संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी थीं। इनके दो दर्जन से अधिक शोध-पत्र, लगभग एक दर्जन रेडियो वार्ताएं और दर्जनों ‘आलेख’ एवं ‘फीचर’ प्रकाशित हो चुके थे। लेकिन गत पांच वर्षों में यह काफी थम-सी गई है। अब लेखन-संपादन एवं शोध से संबंधित अधूरे कार्यों को पुरा किया जाएगा और तदुपरांत कुछ नए कार्य शुरू किए जाएंगे।

READ MORE