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Yoga मानवता के लिए योग विषयक संवाद संपन्न। संपूर्ण मानवता की धरोहर है योग : डाॅ. जटाशंकर।

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*मानवता के लिए योग विषयक संवाद संपन्न*

26 जून, 2022 को दर्शनशास्त्र विभाग, भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा (बिहार) के तत्वावधान में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शिनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित स्टडी सर्किल योजनान्तर्गत मानवता के लिए योग विषयक संवाद का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. (डॉ.) रामजी सिंह, दर्शनशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) के पूर्व अध्यक्ष सह अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जटाशंकर एवं दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना (बिहार) के प्रो. (डॉ.) एन. पी. तिवारी ने अपने विचार व्यक्त किए।

इसके पूर्व अतिथियों का अंगवस्त्रम् से स्वागत किया गया। स्वागत भाषण विभागाध्यक्ष शोभाकांत कुमार और विषय प्रवेश दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्षा प्रो. (डॉ.) पूनम सिंह ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता आइसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचन्द्र सिन्हा ने की। संचालन दर्शनशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु शेखर और धन्यवाद ज्ञापन पूर्व कुलपति डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने किया। प्रांगण रंगमंच की स्वाति आनंद एवं आदित्य आनंद ने देवी वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया। राष्ट्रगान जन-गन-मन के सामूहिक गायन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

कार्यक्रम के आयोजन में प्रांगण रंगमंच के अध्यक्ष डाॅ. संजय परमार एवं दिलखुश, शोधार्थी द्वय सारंग तनय एवं सौरभ कुमार चौहान, गौरव कुमार सिंह, डेविड यादव, प्रणव कुमार प्रियदर्शी आदि ने सहयोग किया।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, क्रीड़ा एवं संस्कृति परिषद् के सचिव डॉ. शंकर कुमार मिश्र, के. पी. काॅलेज, मुरलीगंज के डॉ. अमरेन्द्र कुमार, कैलाश परिहार, अभिषेक कुमार, प्रिंस यादव, डॉ. कमल किशोर, सोना राज, डॉ. सुनील सिंह, अंशु कुमार सिंह, डॉ. अरुण कुमार सिंह, शिवा पांडे, अवधेश प्रताप, अरुण कुमार, आरती झा, अशोक कुमार, छोटू कुमार, जूही कुमारी, नीरज कुमार, निधि मिश्रा, नीतू कुमारी, पल्लवी राय, राज कुमार नीतू कुमारी, लल्लू कुमार, गौतम, दीपा भारती, माधव कुमार, चंदन कुमार, प्रवीण कुमार, प्रवीण कुमार, सुशील कुमार, रागिनी सिन्हा, नयन रंजन आदि उपस्थित थे।

*होंगे कुल बारह कार्यक्रम*

आयोजन सचिव डॉ. शेखर ने बताया कि स्टडी सर्किल के अंतर्गत कुल बारह कार्यक्रम होना है। पहला आयोजन तीस अप्रैल को सांस्कृतिक स्वराज विषय पर, दूसरा आयोजन तीस मई को गीता-दर्शन पर और तीसरा 26 जून को मानवता के लिए योग विषय पर संपन्न हुआ। आगे क्रमशः जुलाई 2022 से लेकर मार्च 2023 तक आठ कार्यक्रम होना है।

*क्या है स्टडी सर्किल ?*
डॉ. शेखर ने बताया कि स्टडी सर्कल (अध्ययन मंडल) लोगों का एक छोटा समूह होता है, जो नियमित रूप से विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं। कुछ वर्ष पूर्व आईसीपीआर ने स्टडी सर्किल योजना की शुरुआत की है और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में इसे लागू किया गया है। बिहार में सर्वप्रथम पटना विश्वविद्यालय, पटना में स्टडी सर्किल की शुरुआत हुई थी और कुछ दिनों पूर्व भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में भी इसकी स्वीकृति दी गई है।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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