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NMM पांडुलिपियों का संरक्षण जरूरी : कुलपति

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*पांडुलिपियों का संरक्षण जरूरी : कुलपति*

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मधेपुरा एवं कोसी क्षेत्र का गौरवशाली इतिहास रहा है। हमारे क्षेत्र की सभ्यता, संस्कृति, साहित्य एवं दर्शन की दूर-दूर तक ख्याति है। हमें इसके गौरव को आगे बढ़ाना है।

यह बात कुलपति डॉ. आर के पी रमण ने कही। वे गुरुवार को केंद्रीय पुस्तकालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में आयोजित तीस दिवसीय उच्चस्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में यह कार्यशाला संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन योजना के तहत आयोजित की गई।

उन्होंने कहा कि हमारे क्षेत्र में कई संत, समाज सुधारक एवं स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं। इनमें श्रृंगी श्रृषि, दौरम साह, संत मेंही दास, मंडन मिश्र, भारती, लक्ष्मीनाथ गोसाईं, कारु खीड़हरी, रास बिहारी लाल मंडल, शिवनंदन प्रसाद मंडल, भूपेंद्र नारायण मंडल एवं बी. पी. मंडल आदि प्रमुख हैं। हमें इन सबों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से वर्तमान पीढ़ी को परिचित कराने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि पांडुलिपियों में हमारे अतीत का इतिहास, दर्शन, योग, साहित्य, संस्कृति, भौतिकी, रसायनशास्त्र, चिकित्साशास्त्र आदि से संबंधित जानकारियां भरी हुई हैं। आज पूरी दुनिया यह मान रही है कि भारत का प्राचीन ज्ञान-विज्ञान आज भी हमारे लिए उपयोगी है।

उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय में पांडुलिपि विज्ञान एवं लिपि विज्ञान पर पैंतीस दिवसीय कार्यशाला के आयोजन का प्रस्ताव है। साथ ही यहां पांडुलिपि संरक्षण केंद्र की स्थापना का प्रयास किया जा रहा है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति डॉ. फारूक अली ने कहा कि हमारा देश दुनिया का विश्वगुरु रहा है। हमारे नालंदा, तक्षशिला एवं विक्रमाशीला में दुनिया भर से
विद्यार्थी आते थे। लेकिन कालांतर में हमारे ज्ञान के ये सभी केंद्र नष्ट हो गए। फिर सैकड़ों वर्षों तक हमारे यहां ज्ञान के केंद्र नहीं खुले।

उन्होंने कहा कि हम अपनी गौरवशाली शैक्षणिक विरासत एवं स्वर्णिम अतीत पर गर्व करें, लेकिन वर्तमान को कभी नहीं भूलें। स्वर्णिम अतीत की मजबूत बुनियाद पर हमें वर्तमान एवं भविष्य का आकर्षक महल खड़ा करना होगा।

उन्होंने कहा कि हमारी पांडुलिपियां एवं शीलालेख जगह-जगह बिखरे हुए हैं। उनमें ज्ञान-विज्ञान के सभी आयामों की चर्चा है‌। इन्हीं पांडुलिपियों के कारण लाख झंझावातों के बावजूद भारत की हस्ती आज भी कायम है।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हम आज भी अपनी प्राचीन पांडुलिपियों का समुचित उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। अतः हमें पांडुलिपियों एवं शिलालेखों में मौजूद ज्ञान को सुरक्षित रखने और प्रकाशित करने की जरूरत है।

*वर्तमान एवं भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है पांडुलिपि*
विशिष्ट अतिथि मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. उषा सिन्हा ने कहा कि पांडुलिपियों में हमारे अतीत का ज्ञान-विज्ञान निहित है। यह हमारे वर्तमान एवं भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। अतः हमें अपनी पांडुलिपियों के संरक्षण, संवर्धन एवं उसके प्रकाशन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

*कई विश्वविद्यालयों से आगे है बीएनएमयू*
सम्मानित अतिथि कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में बिहार में पहली बार तीस दिवसीय उच्चस्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। हमारा विश्वविद्यालय आज कई विश्वविद्यालयों से आगे है और हमें सबसे आगे जाना है।

*कार्यशाला नैक मूल्यांकन में मददगार*
शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि यह कार्यशाला नैक मूल्यांकन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

निदेशक शैक्षणिक डॉ. एम. आई. रहमान ने कहा कि इस कार्यशाला से इस क्षेत्र की पांडुलिपियों के संरक्षण में काफी मदद मिलेगी।

कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव ने कहा कि वर्तमान कुलपति के कार्यालय में विश्वविद्यालय निरंतर आगे बढ़ रहा है।

इसके पूर्व अतिथियों का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। नेहा कुमारी एवं मुकेश कुमार की टीम ने कुलगीत एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

अतिथियों का स्वागत आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर और धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ. अशोक कुमार ने किया। कोषाध्यक्ष सिड्डू कुमार कार्यशाला का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। डॉ. सोनम सिंह ने प्रतिभागियों की ओर से अपना अनुभव साझा किया और निशांत यादव ने छात्रों की ओर से अपनी बात रखी। संचालन की जिम्मेदारी कार्यक्रम प्रबंधक पृथ्वीराज यदुवंशी ने निभाई। कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. राजीव रंजन, डॉ. संजय कुमार परमार, शोधार्थी द्वय सौरभ कुमार चौहान एवं सारंग तनय आदि ने सहयोग किया।

इस अवसर पर विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री, शैलेन्द्र कुमार, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. कामेश्वर कुमार, दीनानाथ मेहता, डॉ. अभय कुमार, डॉ. अबुल फजल, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, रंजन यादव, माधव कुमार, मो. वसीमुद्दीन, दिलीप कुमार दिल, डेविड यादव, निधि, अरविंद विश्वास, नताशा राज, रश्मि, ईशानी, मधु कुमारी, प्रियंका, ब्यूटी कुमारी, खुशबू, डेजी, लूसी कुमारी, श्वेता कुमारी, डॉ. सोनम सिंह, जयश्री कुमारी, प्रेमलता, शंकर कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।

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