Search
Close this search box.

ICPR *स्टडी सर्किल योजनान्तर्गत गीता-दर्शन विषयक संवाद आयोजित।

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

*स्टडी सर्किल योजनान्तर्गत गीता-दर्शन विषयक संवाद आयोजित
—–++
दर्शनशास्त्र विभाग, भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा (बिहार) के तत्वावधान में आयोजित गीता-दर्शन विषयक संवाद का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शिनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित स्टडी सर्किल योजना के तहत आयोजित किया गया।

इस अवसर पर दर्शनशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) के पूर्व अध्यक्ष सह अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जटाशंकर मुख्य वक्ता और राजबोध फाउंडेशन
लंदन (इंग्लैंड) के निदेशक निदेशक माधव तुर्मेला मुख्य अतिथि थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता आइसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचन्द्र सिन्हा ने की। आशीर्वचन पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं गाँधी विचार विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री प्रो. (डॉ.) रामजी सिंह ने दिया।
अतिथियों का स्वागत दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना की पूर्व अध्यक्षा सह दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्षा प्रो. (डॉ.) पूनम सिंह ने किया। कार्यक्रम का संचालन दर्शनशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु शेखर और धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष शोभाकांत कुमार ने की। प्रांगण रंगमंच की मधुबाला भारती ने गणेश वंदना, स्वागत गीत एवं कृष्ण भक्ति गीत प्रस्तुत किया। प्रश्नोत्तर सत्र में कई लोगों ने प्रश्न भी पुछे।

कार्यक्रम के आयोजन में संजय परमार, गौरव कुमार सिंह, सारंग तनय, सौरभ कुमार चौहान, राजहंस राज, रंजन यादव, माधव कुमार, सुपेन्द्र कुमार सुमन, रौशन कुमार, डेविड यादव, नयन रंजन आदि ने सहयोग किया।

इस अवसर पर पूर्व कुलपति डॉ. कुसुम कुमारी, स्वामी भावात्मानंद महाराज, डॉ. सुधा जैन, डॉ. सुधा सिन्हा, डॉ. श्याम देव सिन्हा, डॉ. अविनाश श्रीवास्तव, डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव, डॉ. आलोक टंडन, नोजिरुल इस्लाम, डॉ. सुनील सिंह, जुही राज, डॉ. अली अहमद, डॉ. अनिता गुप्ता, राहुल यादव, अवधेश प्रसाद, अवनीत कुमार, भवेश कुमार, चंदन कर्ण, राजीव रंजन, आई एस कुमार, कल्पना सिंह, ललित कुमार, महर्षि दिव्य श्री, ओम शिव रितेश झा, पूजा सिंह, प्रभाकर पांडे, प्रवीण कुमार यादव, राणा रन विजय सिंह, रोहन कुंवर, रूपम कुमारी, सरिता कुमारी, विनता झा, स्वाति राय, शिव कुमार, दुर्गेश कुमार तिवारी, नंद किशोर सिंह, जुही कुमारी, अनुराधा कुमारी, नेहा आनंद, निशु कुमारी, राजू, डॉ. सुबोध कुमार, सर्वजीत पाल, शोभा कुमारी, विनीता अवस्थी, प्रियंका सिंह, शशि भूषण, श्याम देव सिन्हा, सुभाषणी बारीक, सुबोध सुमन, कृतिका कौशल, डॉ. प्रबोध, कृष्णा कुमार, डॉ. मनोज तिवारी, प्रतिभा प्रिया, पल्लवी, पूजा सिंह, प्रज्ञा नंदन राज, बीरेंद्र कुमार, प्रीतम कुमारी, डॉ. आंनद मोहन झा, डॉ. रंजीत, डॉ.शशि कला यादव, डॉ. शैलेंद्र, गंगा कुमार, गुलनाज खान, अनिल रविदास, विशाखा कश्यप, रूपा कुमारी आदि उपस्थित थे।

31. 05. 2022

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

[the_ad id="32069"]

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।