NMM तीस दिवसीय उच्चस्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला 18 मई, 2022 से

*तीस दिवसीय उच्चस्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला 18 मई से*

केंद्रीय पुस्तकालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में 18 मई से 16 जून, 2022 तक पांडुलिपि विज्ञान एवं लिपि विज्ञान पर केंद्रित तीस दिवसीय उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन सुनिश्चित है। इसके लिए राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा अनुदान प्राप्त हुआ है।

*आयोजन समिति का गठन*
कार्यशाला के सफल आयोजन हेतु एक आयोजन समिति का गठन किया गया है। कुलपति डॉ. आर. के. पी. रमण प्रधान संरक्षक एवं प्रति कुलपति डॉ. आभा सिंह संरक्षक बनाए गए हैं। पूर्व कुलपति डॉ. अवध किशोर राय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति डॉ. फारूक अली, बीएचयू, वाराणसी के डॉ. डी. के. सिंह एवं महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के डॉ. आर. के. चौधरी को सलाहकार समिति में स्थान दिया गया है। केंद्रीय पुस्तकालय के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. अशोक कुमार को संयोजक और उप कुलसचिव (अकादमिक) डॉ. सुधांशु शेखर को आयोजन सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। केंद्रीय पुस्तकालय के पृथ्वीराज यदुवंशी इवेंट मैनेजर और सिद्दु कुमार कोषाध्यक्ष बनाए गए हैं।

*पंजीयन की अंतिम तिथि 17 मई*
आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि कार्यशाला में अधिकतम तीस प्रतिभागी भाग ले सकेंगे। इसमें वैसे शिक्षक एवं शोधार्थी, जो संस्कृत, इतिहास, दर्शनशास्त्र, पुरातत्त्व, पाली, प्राकृत, हिंदी आदि में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त हों और पूर्व में पांडुलिपि विज्ञान एवं लिपि विज्ञान से संबंधित इक्कीस दिवसीय कार्यशाला में भाग ले चुके हों। पंजीयन की अन्तिम तिथि 17 मई तक निर्धारित है।

*निःशुल्क है कार्यशाला*
उन्होंने बताया कि कार्यशाला पूर्णत: निःशुल्क है। बाहर के प्रतिभागियों के लिए आवास एवं भोजन की उत्तम व्यवस्था रहेगी। प्रतिभागियों को गमनागमन हेतु तृतीय श्रेणी का वातानुकूलित रेल या बस किराया दिया जाएगा।

*भारत में है दस लाख पांडुलिपि*

उन्होंने बताया कि भारत के पास दस मिलियन पांडुलिपियों का अनुमान है, जो शायद दुनिया का सबसे बड़ा संग्रह है। भारत की यह विरासत अपनी भाषाई और लेखन विविधता में अद्वितीय है। इस विरासत को समझने के लिए अध्ययनकर्ताओं में लिपियों के संबंध में विशेषज्ञता आवश्यक है। इस दिशा में यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण प्रयास है। आशा है कि यह कार्यशाला पाण्डुलिपियों को सुरक्षित करने और उनकी ज्ञान सामग्री को सुलभ बनाने में मददगार होगी।

*क्या है पाण्डुलिपि विज्ञान एवं लिपि विज्ञान?*
उन्होंने बताया कि पाण्डुलिपि विज्ञान एवं लिपि विज्ञान पांडुलिपि एवं लीपि का एक व्यवस्थित, क्रमबद्ध एवं वैज्ञानिक अध्ययन है। इसका मुख्य विषय कच्चे माल की तैयारी (कागज, भोजपत्र, ताल पत्र, स्याही, स्टाइलस) लिपि एवं वर्णमाला के विकास का अध्ययन, अनुवाद, व्याख्या, ग्रंथों का पुनर्निर्माण, पाण्डुलिपियों का परिरक्षण, संरक्षण एवं भंडारण, संग्रहालयों एवं अभिलेखागारों की डिजाइनिंग, भाषा विज्ञान, लिखित परंपराओं का ज्ञान, आलोचनात्मक संपादन पाठ एवं सूचीकरण आदि है।