*याद किए गए प्रभु नारायण मंडल*
अच्छे इंसान हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहते हैं : राजकुमार सिंह*
संसार में आना-जाना लगा रहता है। जिन्होंने भी इस संसार में जन्म लिया है, उनको एक न एक दिन शरीर त्यागना ही पड़ता है। लेकिन अच्छे इंसान इस शरीर को छोड़ने के बाद भी हमारे दिलों में जिंदा रहते हैं।
यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. राजकुमार सिंह ने कही। वे गुरुवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बोल रहे थे।
*बिहार के लिए अपूर्णीय क्षति*
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रोफेसर प्रभु नारायण मंडल एक जानेमाने शिक्षाविद् एवं दार्शनिक थे। उनके निधन से पूरे बिहार और विशेषकर मधेपुरा को अपूर्णीय क्षति हुई है।
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रोफेसर मंडल का बीएनएमयू से गहरा लगाव था और वे यहां अक्सर आया करते थे। उन्हें कई कार्यक्रमों में उनका सारगर्भित व्याख्यान सुनने का सुअवसर मिला था।
*एक आदर्श शिक्षक थे प्रोफेसर मंडल*
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. के. पी. यादव ने कहा कि प्रोफेसर मंडल एक आदर्श शिक्षक थे। वे हमेशा अध्ययन-अध्यापन में लगे रहते थे और उन्हें शैक्षणिक गतिविधियों में आनंद आता था। हम उन्हें जब भी याद करते थे, वे सहर्ष हमारे कार्यक्रमों में शामिल होते थे। अपनी देहत्याग के कुछ दिनों पूर्व मार्च में वे दर्शन परिषद्, बिहार के राष्ट्रीय अधिवेशन में और विश्व दर्शन दिवस में भी मधेपुरा आए थे।
*उच्च मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित थे प्रोफेसर मंडल*
पीजी सेंटर, सहरसा के प्रोफेसर डॉ. सी. पी. सिंह ने कहा कि यह एक सुखद आश्चर्य की बात है कि आज के भौतिकवादी युग में भी प्रोफेसर मंडल ने सादगीपूर्ण जीवन जीया और वे हमेशा उच्च मानवीय मूल्यों के प्रति समर्पित रहे।
*प्रेरणादायी है प्रोफेसर मंडल का जीवन*
के. पी. कॉलेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान ने बताया कि प्रोफेसर मंडल का जीवन-संघर्ष एवं शैक्षणिक साधना हमारे लिए प्रेरणादायी है। वे कपसिया (मधेपुरा) के सुदूर पिछड़े इलाके से निकलकर शिक्षा के उच्चतम शिखर तक पहुंचे।
जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि प्रोफेसर मंडल उनके गुरु एवं अभिभावक थे। उन्होंने प्रभु बाबू के मार्गदर्शन में ही पीएच. डी. की डिग्री प्राप्त की है और अन्य अकादमिक कार्य भी किए हैं।
उन्होंने बताया कि प्रोफेसर मंडल दर्शन-जगत के उन गिने-चुने लोगों में थे, जिनका भारतीय दर्शन के साथ-साथ पाश्चात्य दर्शन पर भी समान अधिकार था। उन्होंने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष सहित कई जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।
*प्रकाशित कराया जाएगा शोध-प्रबंध*
उन्होंने कहा कि आगे प्रोफेसर मंडल के अप्रकाशित शोध-प्रबंध को प्रकाशित कराया जाएगा और उनकी रचनाओं को भी पुस्तक के रूप में संकलित किया जाएगा। साथ ही उनकी स्मृति में व्याख्यान मालाओं का आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर एनसीसी पदाधिकारी ले. गुड्डू कुमार, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, रिम्मी कुमारी, मंजू कुमारी, नेहा कुमारी, हिमांशु कुमार, गुड्डू कुमार यादव, प्रकाश कुमार, राजकुमार, रितेश कुमार, नरेश कुमार, छोटू कुमार, मनोज कुमार, दिव्यांशु आनंद आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में सबों ने दो मिनट का मौन रखकर प्रभु नारायण मंडल की आत्मा को शांति की प्रार्थना की।