Ramjee Singh डाॅ. रामजी सिंह को पद्मश्री अवार्ड

*डाॅ. रामजी सिंह को पद्मश्री अवार्ड*

पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक प्रोफेसर डाॅ. रामजी सिंह (95 वर्ष) को समाजसेवा के क्षेत्र में उनके महनीय योगदान के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया है। आपको यह सम्मान राष्ट्रपति भवन (नई दिल्ली) में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा प्रदान दिया गया। इस अवसर पर उप राष्ट्रपति एम. वैंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह सहित कई गणमान्य शख्सियतों की उपस्थित रही।

*भारत सरकार को साधुवाद*

बीएनएमयू, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी एवं डाॅ. सिंह के अत्यंत करीबी शिष्य डाॅ. सुधांशु शेखर ने पद्मश्री सम्मान के लिए डाॅ. सिंह को बधाई दी है और भारत सरकार तथा विशेषकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह के प्रति हार्दिक साधुवाद व्यक्त किया है।

*बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी*

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिंह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। आपने सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षणिक एवं प्रशासनिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दिया है। आप जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनू (राजस्थान) के कुलपति, गाँधी विद्या संस्थान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के निदेशक और गाँधी-विचार विभाग, टीएमबीयू, भागलपुर के संस्थापक-अध्यक्ष रहे हैं।

*गाँधी-विचार के भगीरथ*

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिंह के भगीरथ प्रयासों से सन् 1980 ई. में दुनिया में पहली बार टीएमबीयू, भागलपुर में स्नातकोत्तर गाँधी-विचार विभाग की स्थापना हुई। इससे देश-विदेश में गाँधी-विचार के प्रचार-प्रसार को एक संस्थानिक आधार मिला। आज देश-विदेश के दर्जनों विश्वविद्यालयों में गाँधी-विचार की पढ़ाई हो रही है और बीएनएमयू, मधेपुरा में भी स्नातकोत्तर एवं स्नातक स्तर पर गाँधी-विचार की पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया गया है।

*मधेपुरा से है लगाव*

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिंह का मधेपुरा से काफी गहरा लगाव है। आप समाजवादी नेता बी. एन. मंडल और सामाजिक न्याय के पुरोधा बी. पी. मंडल के भी करीबी रहे हैं। आप यहाँ विभिन्न सामाजिक- सांस्कृतिक आयोजनों एवं जनांदोलनों के सिलसिले में कई बार आ चुके हैं।

*हुए हैं कई व्याख्यान*

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिंह जुलाई 2017 में लगातार तीन दिनों तक मधेपुरा में रहे। उस दौरान आपने केंद्रीय पुस्तकालय में नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों के लिए आयोजित इंडेक्सन प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। साथ ही आपने प्रांगण रंगमंच द्वारा कला भवन में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्घाटन किया और राजकीय अंबेडकर कल्याण छात्रावास में ‘गाँधी और अंबेडकर’ विषय पर छात्र-संवाद में शिरकत किया था। इसके अलावा आपने ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में ‘आधुनिक सभ्यता का संकट और गाँधी’ विषय पर एक सारगर्भित व्याख्यान भी दिया था। आगे इसी महाविद्यालय में अप्रैल 2018 में आपका दूसरा व्याख्यान आधुनिक सभ्यता का संकट और वेदांती समाधान विषय पर हुआ। इसी महाविद्यालय में मार्च 2021 में आयोजित परिषद्, बिहार के 42वें अधिवेशन के अवसर पर लोकार्पित स्मारिका के लिए आपका शुभकामना संदेश प्राप्त हुआ था।

*पाठ्यक्रम में है पुस्तक*

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिंह की कई पुस्तकें बीएनएमयू सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में अनुशंसित हैं। इनमें समाज दर्शन का मूल तत्व, भारतीय दर्शन और चिंतन, नया समाज और नई संस्कृति, गाँधी- विचार, गाँधी दर्शन मीमांसा आदि प्रमुख हैं। आप ‘गाँधी-ज्योति’ जर्नल के संस्थापक- संपादक हैं, जिसमें बीएनएमयू के शिक्षकों एवं शोधार्थियों के आलेखों को उदारतापूर्वक स्थान मिलता रहा है।

*पहले भी मिला है कई सम्मान*

डाॅ. शेखर ने बताया कि पूर्व में भी डाॅ. सिंह को कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इनमें भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड और अखिल भारतीय दर्शन परिषद् का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रमुख है। बीएनएमयू के जनसंपर्क पदाधिकारी भी इन दोनों सम्मान समारोहों के साक्षी रहे हैं।

*हैं सन् 1942 के स्वतंत्रता सेनानी*

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिंह स्वतंत्रता सेनानी भी हैं। आपने छात्र जीवन में ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के आह्वान पर सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था और तब से आप निरंतर सर्वोदय एवं राष्ट्र-निर्माण के कार्यों में लगे हुए हैं।

*74 आंदोलन में है महती भूमिका*

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिंह ने 1974 ई. में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में भाग लिया और लगभग 21 माह जेल में रहे। जयप्रकाश नारायण के आग्रह पर आपने 1977 में भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीतकर संसद भवन पहुँचे।

*देश-विदेश में गाँधी के प्रचारक*

डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. सिंह ने भारत के प्रायः सभी राज्यों के अलावा अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, चीन आदि दर्जनों देशों की यात्राएँ की हैं और वहाँ भारतीय दर्शन और गाँधी-विचार के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आपको पद्मश्री पुरस्कार मिलने से दर्शनशास्त्र एवं गाँधी-विचार की प्रतिष्ठा बढ़ी है और पूरा शिक्षक समुदाय एवं शिक्षा जगत गौरवान्वित हुआ है।