BNMU *गाँधी-दर्शन में है सभी संकटों का समाधान : डाॅ. सुधांशु*

*गाँधी-दर्शन में है सभी संकटों का समाधान : डाॅ. सुधांशु*

आधुनिक सभ्यता विभिन्न अंतर्विरोधों एवं अवरोधों में फँस गई है। इसका तथाकथित विकास अभियान, वास्तव में संपूर्ण सृष्टि के महाविनश का आख्यान है।

यह बात भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने कही।

वे अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के पाँच दिवसीय 65वें अधिवेशन के चौथे दिन शुक्रवार को समाज दर्शन विभाग में अपना शोध- पत्र प्रस्तुत कर रहे थे। शोध-पत्र का विषय ‘आधुनिक सभ्यता का संकट और सर्वोदयी समाधान’ था।

यह अधिवेशन दर्शन एवं संस्कृति विभाग, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के तत्त्वावधान में ऑनलाइन पद्धति से आयोजित हो रहा है।

डाॅ. शेखर ने कहा कि आज एक तरफ आधुनिक सभ्यता तथाकथित विकास की बुलंदियों पर चढ़ने का दंभ भर रही है। लेकिन दूसरी ओर हम कोरोना एवं अन्य महामारी का संत्रास झेल रहे हैं। आज पर्यावरणीय असंतुलन के बढ़ते खतरों एवं आण्विक युद्ध की आशंकाओं ने मानव जीवन को अशांत कर दिया है। ऐसे में देश-दुनिया में भोगवादी आधुनिक सभ्यता के बरक्स गाँधी के बताए सर्वोदयी जीवन-दृष्टि को आत्मसात करने की जरूरत है। गाँधी के सर्वोदय-दर्शन में ही सभी समस्याओं का समाधान है।

डाॅ. शेखर ने कहा कि सर्वोदय का मूल सूत्र है कि संपूर्ण सृष्टि एक है और संपूर्ण चराचर जगत में एक ही ईश्वर का अंश विद्यमान है। इसलिए इसमें न केवल सभी मनुष्यों, वरन संपूर्ण चराचर जगत के कल्याण की भावना निहित है। आज कोरोनाकाल में भी यह साबित हो गया है कि संपूर्ण जगत एक-दूसरे से जुड़ा है। यदि दुनिया के किसी भी कोने में कोई संकट आएगा तो दूसरा कोना भी उससे अछूता नहीं रहेगा। अतः हमें यह समझ लेना चाहिए कि सबके विकास में ही हमारा अपना विकास भी निहित है।

डाॅ. शेखर ने कहा कि सर्वोदय कोई अव्यावहारिक कल्पना नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक यथार्थ है। यह एक सर्वकालिक एवं सार्वभौमिक दर्शन है और इसी में मानव अस्तित्व की रक्षा की आशा निहित है। इसकी प्रासंगिकता चिरकाल तक बनी रहेगी।

संबंधित विभाग में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के लगभग पचास शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने अपना-अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया। इनमें डाॅ. शंभू जोशी एवं डाॅ. सूर्य प्रकाश पांडेय (वर्धा), डाॅ. कुमारी सुमन एवं डाॅ. मुकेश कुमार चौरसिया (पटना), डाॅ. हिमांशु शेखर सिंह (भागलपुर), सौरभ कुमार चौहान (मधेपुरा), डाॅ. अमित कुमार (लक्खीसराय), डाॅ. आनंद गुप्ता (वाराणसी), डाॅ. अशोक कुमार सिंह एवं सोनी सिंह (राँची), मनीष कुमार चौधरी (नालंदा) आदि प्रमुख हैं। विभागीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी डाॅ. विजय कुमार (मुजफ्फरपुर) ने निभाई।

इस अवसर पर परिषद् के अध्यक्ष प्रोफेसर जटाशंकर (इलाहाबाद), महामंत्री प्रोफेसर जे. एस. दुबे (भोपाल), प्रोफेसर डाॅ. सोहनराज तातेड़ (जोधपुर), भारतीय महिला दार्शनिक परिषद् की अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. राजकुमारी सिन्हा (राँची), दार्शनिक त्रैमासिक के संपादक डाॅ. शैलेश कुमार सिंह (पटना), स्थानीय सचिव डाॅ. जयंत उपाध्याय (वर्धा), डाॅ. आलोक टंडन (हरदोई), डाॅ. सुधा जैन (मुजफ्फरपुर) आदि की गरिमामयी उपस्थित रही। शनिवार को अधिवेशन का समापन होगा।