

कविता/ संस्कार/ गीता जैन
संस्कार कोई घुट्टी नहीं कोई ताबीज़ नहीं कोई बन्धन नहीं कोई वचन नहीं कोई समझौता नहीं कोई मत धर्म बन्धन नहीं फिर संस्कार क्या है
संस्कार कोई घुट्टी नहीं कोई ताबीज़ नहीं कोई बन्धन नहीं कोई वचन नहीं कोई समझौता नहीं कोई मत धर्म बन्धन नहीं फिर संस्कार क्या है
अंध-श्रद्धा प्रेम मेरा, कुछ नेह बरसाते रहो। जेठ सा जीवन तपा, मधुमास तुम आते रहो। मधुमास तुम आते रहो। विकल है- मन की नदी, बहुत
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