

Poem। कविता/हिंदी के सम्मान में/संजय सुमन
माँ लगता है पास हो मेरे बेगाने परदेश में जब भी हिंदी सुनता हूँ अहिन्दी परिवेश में आज अगर हर प्रान्त में हिंदी होती स्वीकार
माँ लगता है पास हो मेरे बेगाने परदेश में जब भी हिंदी सुनता हूँ अहिन्दी परिवेश में आज अगर हर प्रान्त में हिंदी होती स्वीकार
WhatsApp us