योग-ध्यान और स्वास्थ्य विषय पर संवाद आयोजित
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मधेपुरा। बीएनएमयू, मधेपुरा की अंगीभूत इकाई ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में योग-ध्यान और स्वास्थ्य विषय पर ऑनलाइन-ऑफलाइन संवाद का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित था।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता दर्शनशास्त्र विभाग, नव नालंदा महाविहार, नालंदा के अध्यक्ष प्रो. सुशीम दुबे ने विषय के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य राष्ट्र के निर्माण के लिए स्वस्थ नागरिक का निर्माण आवश्यक है। एक अच्छे समाज एवं नागरिक का निर्माण तभी हो सकता है, जब सभी का स्वास्थ्य सुनिश्चित हो।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य का अर्थ सिर्फ बीमारियों का अभाव नहीं है। सही मायने में स्वस्थ वही है, जो अपने आपमें स्थिति है। इसके लिए शरीर, मन एवं आत्मा तीनों का स्वस्थ होना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि योग से हमारी चित्त वृत्तियों का निरोध होता है। इससे हम आंतरिक एवं बाह्य दोनों तरह से पवित्र बनते हैं। इससे हमारी सभी बीमारियां दूर होती हैं और हम स्वस्थ्य एवं दीघार्यु जीवन को प्राप्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि ध्यान हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। बिना ध्यान के अध्ययन, पढ़ाई एवं कोई भी कार्य नहीं हो सकता। हम बचपन से ही अपने माता-पिता और टीचरों से सुनते आए हैं कि ध्यान लगाकर कार्य करो। ध्यान से नहीं किया, इसलिए गड़बड़ी हुई।
‘स्वास्थ्य’ महत्वपूर्ण पद है एवं इस विषय पर लगातार चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि जैसे यातायात के नियम होते हैं ताकि दुर्घटना ना हो, ट्रैफिक जाम ना हो, आवागमन व्यवस्था सुचारू चलती रहे। ऐसे ही स्वास्थ्य के संबंध में यह अवेयरनेस एवं रोग निरोधात्मक उपायों पर सतत् जागरूकता आवश्यक है। एक अच्छे समाज एवं नागरिक का निर्माण तभी हो सकता है जब स्वास्थ्य सभी का सुनिश्चित हो। आपने कहा कि योगाभ्यास आज के दौर में सबसे सरल, सुलभ, सस्ता माध्यम के रूप में कहा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि शरीर ही वास्तव में सभी धर्म का साधन है, इसके द्वारा ही धर्म, अर्थ, काम, एवं मोक्ष जीवन मूल्यों की प्राप्ति एवं उपलब्धता का प्रयास हो सकता है। अतः स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य लाभ तथा आरोग्य यह सभी बिंदुओं का व्यवस्थित रूप से योग विषय के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है। आपने ध्यान, स्वास्थ्य एवं योग को समन्वित रूप से प्राण शक्ति के साथ जोड़ा। प्राण हमारे जीवन ऊर्जा का स्वरूप है, जिसके माध्यम से जीवन एवं समस्त कार्य हो पाते हैं, प्राणों का आधार हमारे शरीर में ऩडियों की व्यवस्था है। जिस प्रकार किसी उपवन में उसकी जल देने की क्यारियां एवं नालिया ठीक होती हैं, जिनसे होकर पानी उस उपवन या बगीचे के समस्त कोनों तक पहुंच पाता है एवं उसे उपवन में समस्त पौधे पुष्पित-पल्लवित एवं फलते-फूलते हैं। इसी प्रकार नडियों के माध्यम से हमारे शरीर में प्राणों का समस्त अंगों में संचार होता है और उनकी स्वस्थता और सुचारूपन ठीक-ठाक तरीके से बना रहता है। अतः प्राणों का संधान प्राणायाम का अभ्यास जीवन ऊर्जा को देने वाला एवं स्वास्थ्य को बनाए रखने में उपयोगी अभ्यास है।
प्रोफेसर दुबे ने इस अवसर पर यह भी बतलाया कि यूनाइटेड नेशंस एवं यूनेस्को के द्वारा योग को वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है। साथ ही 21 दिसंबर 2024 से विश्व ध्यान दिवस भी यूनाइटेड नेशंस के द्वारा स्वीकृत किया गया है। इस प्रकार हमारे रोजमर्रा के जीवन में होने वाले विभिन्न प्रकार के स्ट्रेस, तनाव, चिंताएं, एंजायटी, पाचन संबंधी विकार, मनोविकार, नर्वस सिस्टम के विकार होते हैं, इनके व्यवस्थापन हेतु योग एवं योग के अभ्यास उपयोगी हो सकते हैं। आपने इस संबंध में निद्रा की भूमिका, स्वास्थ्य समायोजन प्रकृति के साथ समायोजन को उपयोगी निरूपित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने बतलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र संघ एवं यूनेस्को के द्वारा योग को वैश्विक मान्यता मिली है। गत ग्यारह वर्षों से पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यक्रम का सफल संयोजन एवं संचालन महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने किया। उन्होंने कहा कि योग-ध्यान दुनिया को भारत की बहुमूल्य देन है। इसके कारण ही भारत दुनिया में विश्वगुरु रहा है। आज पुनः योग-ध्यान से भारत की दुनिया में प्रतिष्ठा बढ़ रही है।
*प्रमाण-पत्र जारी* डॉ. शेखर ने बताया कि यह संवाद पूर्णतः नि: शुल्क था इसमें भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को ऑनलाइन प्रमाण-पत्र जारी किया गया। तकनीकी व्यवस्था डॉ. विनय कुमार तिवारी (भोपाल) एवं सौरभ कुमार चौहान (मधेपुरा) ने संभाला।
इस अवसर पर प्रो. अविनाश कुमार श्रीवास्तव, प्रो. प्रेम मोहन मिश्र, आलोक कुमार पांडे, डॉ. विवेक कुमार, डॉ. अमृता मिश्रा, डॉ. मधु सिंह, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. प्रिया कुमारी, डॉ. चिंकू कुमारी, डॉ. नरेश कुमार, विवेकानंद, डॉ. शारदा सुमन, अरुण सिंह, आराधना सिंह, अंकित आनंद, डॉ. आनंद प्रकाश, अमित कुमार शर्मा, बालमुकुंद कुमार, अनुमाला, अर्जुन सिंह, अरविंद कुमार, अविनाश कुमार, कपिल शुक्ला, मानसून सिंह, गोपी सिंह, गौतम कुमार, लक्ष्मी शर्मा, कपिल शुक्ला, मयंक कुमार, लीला कुमार, प्रेम शुक्ला, रामनाथ प्रसाद, रवि रंजन कुमार, रोहित कुमार, एस. कुमार, संजय कुमार, सपना जायसवाल, सरोज कुमार, शिवशंकर कुमार, श्रवण कुमार मोदी, उपेंद्र कुमार, विनोद मिश्रा आदि उपस्थित थे।