Search
Close this search box.

मध्यप्रदेश के विद्यार्थी पढ़ेंगे डॉ. शेखर की पुस्तक गाँधी-विमर्श। 

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

मध्यप्रदेश के विद्यार्थी पढ़ेंगे डॉ. शेखर की पुस्तक

—-

ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु शेखर की पुस्तक गाँधी-विमर्श को मध्यप्रदेश के विद्यार्थी भी पढ़ेंगे। इस पुस्तक को उच्च शिक्षा विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा दर्शनशास्त्र (प्रतिष्ठा) पाठ्यक्रम के लिए अनुसंशित पुस्तकों की सूची में शामिल किया है। यह पुस्तक विभागीय वेबसाइट पर जारी पाठ्यक्रम में गाँधी दर्शन की प्रमुख अवधारणा शीर्षक पत्र में शामिल किया गया है।

डॉ. शेखर ने बताया कि संदर्भित पत्र के अध्ययन हेतु पांच पुस्तकें अनुशंसित की गई हैं। इनमें पुस्तक को सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा (महात्मा गाँधी), गाँधी दर्शन (संगम लाल पांडे), महात्मा गाँधी का समाज दर्शन (डॉ. महादेव प्रसाद) एवं गाँधी जी का दर्शन (प्रताप सिंह) एवं गाँधी-विमर्श (सुधांशु शेखर) के नाम शामिल हैं।

 

उन्होंने बताया कि गाँधी-विमर्श में राष्ट्र, सभ्यता, धर्म, राजनीति, स्वराज, शिक्षा, स्त्री, दलित, स्वास्थ्य, पर्यावरण, विकास एवं भूमंडलीकरण की गाँधी दृष्टि से व्याख्या की गयी है। यह न केवल गाँधी एवं समकालीन विमर्शों में रूचि रखने वाले शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों, वरन् आम लोगों के लिए भी उपयोगी है।

 

डॉ. शेखर ने अपनी गाँधी-विमर्श को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए मध्यप्रदेश शासन के राज्यपाल मंगु भाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार तथा शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होंने सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से अनुरोध किया है कि वे इस पुस्तक को पढ़कर आवश्यक सुझाव प्रेषित करने का कष्ट करेंगे।

 

मालूम हो कि डॉ. शेखर ने सामाजिक न्याय : अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ (2014), गाँधी- विमर्श (2015), भूमंडलीकरण और मानवाधिकार (2017) तथा गाँधी-अंबेडकर और मानवाधिकार (2024) चार पुस्तकें लिखी हैं। इनकी आठ संपादित पुस्तकें तथा दो दर्जन से अधिक शोध-पत्र तथा दर्जनों लोकप्रिय आलेख प्रकाशित हो चुके हैं।

डॉ. शेखर ने लेखन एवं शोध के अतिरिक्त विभिन्न जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाते रहे है। ये 3 जून, 2017 से दर्शनशास्त्र विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। इन्होंने विश्वविद्यालय में जनसंपर्क पदाधिकारी, उपकुलसचिव (अकादमिक) एवं उपकुलसचिव (स्थापना) के पद पर कार्य करते हुए अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। इसके अलावा कुछ महिनों तक विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष भी रहे हैं।

READ MORE

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

[the_ad id="32069"]

READ MORE

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।