Search
Close this search box.

बीएनएमयू के लिए बहुत खास रहा 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

*बीएनएमयू के लिए बहुत खास रहा 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस*

बीएनएमयू, मधेपुरा के लिए ग्यारहवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस काफी खास रहा। इस अवसर पर पहली बार विश्वविद्यालय मुख्यालय में दो कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

पहली बार आयोजित हुआ दो कार्यक्रम

राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर बीएनएमयू मुख्यालय में प्रायः सभी वर्ष योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित होता रहा है। इस बार पहली बार दो कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

उन्होंने बताया कि पहला कार्यक्रम राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) एवं ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के संयुक्त तत्वावधान में योग संगम नाम से योग के व्यावहारिक पक्ष से संबंधित था। इसके अंतर्गत पूर्वाह्न 6:15 से 08:15 बजे तक प्रशासनिक परिसर स्थित दीक्षा स्थल पर योगाभ्यास किया गया। इसमें राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का विशेष सहयोग रहा।

उन्होंने बताया कि योगाभ्यास कार्यक्रम कुलपति प्रो. बी. एस. झा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इसमें योग शिक्षिका सपना जायसवाल के मार्गदर्शन में कई आसान एवं प्राणायाम का अभ्यास किया गया। इस अवसर पर कई पदाधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी, विद्यार्थी और अभिभावक भी उपस्थित थे।

उन्होंने बताया कि योग शिक्षिका ने योग संगम कार्यक्रम में कई आसन एवं प्राणायाम का अभ्यास कराया और इसके लाभों की चर्चा की।

नियमित अभ्यास से होता है स्वास्थ्य लाभ

उन्होंने बताया कि योग के नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभ होता है। यह तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है, और शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है। इस क्रम में उन्होंने ताड़ासन, वृक्षासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन, शवासन, पद्मासन, सर्वांगासन तथा सूर्य नमस्कार की विशेष रूप से चर्चा की।

प्राणायाम है एक महत्वपूर्ण अंग

उन्होंने बताया कि प्राणायाम का अष्टांग योग में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह सांस लेने की क्रिया पर ध्यान केंद्रित करके शरीर और मन को शांत करने में मदद करता है। प्राणायाम के नियमित अभ्यास से तनाव, चिंता, और अवसाद को कम किया जा सकता है, साथ ही यह फेफड़ों की क्षमता में सुधार, एकाग्रता में वृद्धि, और शरीर में ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में भी सहायक है। उन्होंने इसके अंतर्गत भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभाति प्राणायाम, अनुलोम विलोम प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम आदि की चर्चा की।

अथ योगानुशासनम् विषय पर हुई सार्थक परिचर्चा

उन्होंने बताया कि दूसरा कार्यक्रम शैक्षणिक परिसर में विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग एवं एनएसएस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। इसके अंतर्गत अथ योगानुशासनम् विषय पर एक सार्थक परिचर्चा हुई। इसमें उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. बी. एस. झा, विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. अनंत कुमार एवं मुख्य वक्ता प्रो. प्रभाष कुमार (नालंदा) की गरिमामयी उपस्थिति रही। विषय प्रवेश एसोसिएट प्रोफेसर प्रज्ञा प्रसाद तथा संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर नीतीश कुमार ने किया।

पाठ्यक्रम में शामिल करने की जरूरत

उन्होंने बताया कि परिचर्चा में योग के विभिन्न आयामों पर चर्चा हुई। इस क्रम में विशेष रूप से योग के अष्टांग (आठ अंगों) की चर्चा की गईं और उनके महत्व को रेखांकित किया गया। इसके अलावा योग को पाठ्यक्रम में शामिल करने की जरूरत महसूस की गई।

READ MORE

[the_ad id="32069"]

READ MORE