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नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले ज्ञान कुंभ कार्यक्रम में बीएनएमयू की सक्रिय भागीदारी रहेगी।

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नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले ज्ञान कुंभ कार्यक्रम में बीएनएमयू की सक्रिय भागीदारी रहेगी। शुक्रवार को बीएनएमयू में ज्ञान कुंभ कलश यात्रा को नालंदा के लिए रवाना किया गया। इससे पहले विश्वविद्यालय परिसर में पूरे विधि विधान से पंडितों द्वारा ज्ञान कुंभ कलश की पूजा अर्चना की गई।

कुलपति डॉ. बीएस झा और कुलसचिव डॉ. बिपिन कुमार राय ने पंकज पंडा के मंत्रोच्चार से पूजा अर्चना की। पूजा अर्चना के बाद सुसज्जित वाहन में कलश को रखकर बीएनएमयू के नॉर्थ कैंपस, टीपी कॉलेज सहित अन्य शैक्षणिक संस्थानों में घुमाया गया।

इस अवसर पर कुलपति डॉ. बीएस झा ने कहा कि भारतीय परंपरा और संस्कृति काफी समृद्ध रही है। भारत पहले विश्व गुरु था और आज भी है। हम अपनी सभ्यता और संस्कृति के अनुरूप मातृभाषा में पढ़ाई करेंगे तो हमारी खोई परंपरा फिर से और मजबूती के साथ आगे बढ़ेगी। जिससे हम समृद्ध हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी उद्देश्य से बनाया गया है। इसे सफल बनाने के लिए नालंदा में ज्ञान कुंभ का आयोजन किया गया है। जिसमे पूरे देश से विद्वान शामिल हो रहे हैं। कुलपति ने बताया कि कई स्किल कोर्स तैयार किया गया है जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

भारतीय पुरातन संस्कृति से देश का होगा उत्थान : कुलसचिव

बीएनएमयू से ज्ञान कुंभ कलश यात्रा को रवाना करते कुलसचिव डॉ. बिपिन कुमार राय ने कहा कि भारतीय पुरातन ज्ञान संस्कृति सबों के उत्थान के लिए है। हम अपनी संस्कृति से विमुख हो रहे हैं। इसे फिर से हासिल करने के लिए ज्ञान कुंभ का आयोजन नालंदा में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ज्ञान कुंभ के मध्यम से हम अपनी सभ्यता और संस्कृति से जुड़ेंगे और भारत को फिर से ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने बताया कि नालंदा में आयोजित ज्ञान कुंभ में बीएनएमयू से कुलपति और कुलसचिव के अलावा चार विद्वान शिक्षक भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि यहां के एक शिक्षक का आलेख भी स्वीकृत हुआ है।

मौके पर डॉ. ललन प्रसाद अद्री, डॉ. अशोक कुमार पोद्दार, डा शंकर कुमार मिश्र, डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. ललन कुमार ललन, डॉ. सूरज कुमार, राहुल यादव, रंजन यादव, शंभू नारायण यादव, राजीव कुमार, बिमल कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

– डॉ. संजय परमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, सीएम साइंस कॉलेज, मधेपुरा, बिहार।

*नालंदा ज्ञान कुम्भ। कलश-यात्रा। बीएनएमयू। मधेपुरा। – BNMU SAMVAD*

नालंदा ज्ञान कुम्भ। कलश-यात्रा। बीएनएमयू। मधेपुरा।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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