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ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए जागरूता बेहद जरूरी : कुलपति – ग्रामीण स्वास्थ्य और 2050 का बिहार विषय पर आयोजित किया गया भाषण प्रतियोगिता

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ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए जागरूता बेहद जरूरी : कुलपति

– ग्रामीण स्वास्थ्य और 2050 का बिहार विषय पर आयोजित किया गया भाषण प्रतियोगिता

 

– ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में आयोजित किया गया कार्यक्रम

– वाणी कुमारी प्रथम, अंशु प्रिया द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहीं श्रेया कुमारी

जागरण संवाददाता, मधेपुरा : दैनिक जागरण अखबार अपने रजत जयंती के उपलक्ष्य में सुदूर इलाके में अभियान चलाकर समाजिक सरोकार का उत्कृष्ट उदाहरण पेश कर रही है। यह एक प्रतिष्ठित अखबार का एक्सटेंशन एक्टिविटिज का बेहतर उदाहरण भी है। उक्त बातें भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिमलेंदु शेखर झा ने कही।वे ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित रजत जयंती भाषण प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए और अपने संबोधन में कहा, दैनिक जागरण के रजत जयंती भाषण प्रतियोगिता का विषय ग्रामीण स्वास्थ्य और 2050 का बिहार है। छात्र-छात्राओं ने भाषण के माध्यम से जो अपना विजन प्रस्तुत किया है उसमें उन्होंने आने वाले कल की चिंता व्यक्त की है। यह स्वाभाविक भी है और होनी भी चाहिए। लेकिन मेरा ठीक इसके उलट तर्क है कि ग्रामीण इलाके के लोग हम शहरियों के मुकाबले अत्यधिक स्वस्थ हैं। कोरोना काल में तो यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया कि ग्रामीण परिवेश के लोगों का इम्युनिटी ज्यादा बेहतर हैं। सोचने वाली बात यह है कि कम संसाधन में उनका स्वास्थ्य बेहतर कैसे है। वह इसलिए है कि वे सुविधाभोगी कम और परिश्रमी अधिक हैं। बस उन्हें हाइजीन आदि को लेकर जागरूक करने की जरूरत है। हम एनएसएस, एनसीसी और खासकर दैनिक जागरण अखबार के माध्यम से गांव में जाकर हमलोगों को जागरूक करें। उन्हें खाना खाने से पहले हाथ धोने, शौचालय का इस्तेमाल करने जैसे जरूरी हाइजीन के प्रति जागरूक करना है। गांव से शहर तक पौधारोपण करना है। यह काम मैं समझता हूं कि दैनिक जागरण के समाजिक सरोकार का हिस्सा भी है। ग्रामीण भारत ही हमारा मूल है इसलिए हमें ग्रामीण स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना होगा।

सरकार निरंतर शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक स्वास्थ्य से लेकर तमाम बुनियादी सुविधाएं बेहतर करने का प्रयास कर रही है। लोगों को इसका लाभ कैसे लेना है और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कैसे रहना है हमें यानी हम ग्रामीण परिवेश के लोगों को यह समझना होगा। कुलपति प्रो. बीएस झा ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी काे अनुशासित जीवन जीने की आदत डालनी होगी और यह हमें ग्रामीण परिवेश के लोगों से सीखनी चाहिए। ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोग आज भी रात के आठ बजे सो जाते हैं और सुबह चार बजे जागते हैं। लेकिन हमारी युवा पीढ़ी नेट सर्फिंग और ब्राउजिंग में आधी रात गुजार देते हैं। सुबह जागकर शारीरिक फिटनेस के लिए जागिंग, व्यायाम आदि भी नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए हमें अनुशासित जीवन जीने के लिए आदत डालनी चाहिए। परिश्रम करने से परहेज नहीं करें। सुविधाओं का लाभ कम लें। ग्रामीण इलाकों में सरकार द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों को विकसित किया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि 2050 में जब बिहार होगा तो शहर के मुकाबले गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होगी। लेकन हम सबको इलेक्ट्रानिक व अन्य उपकरणों का कम से कम इस्तेमाल करना होगा ताकि हम स्वस्थ रह सकें। ग्रामीण भारत ही हमारा मूल है इसलिए हमें ग्रामीण स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना होगा। सिर्फ सरकार ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं है बल्कि हम सबको इसके लिए जागरूक लाना होगा।

दैनिक जागरण द्वारा आयोजित रजत जयंती भाषण प्रतियोगिता कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डा. कैलाश प्रसाद यादव ने की। संचालन दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष सह राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डा. सुधांश शेखर व धन्यवाद ज्ञापन गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डू कुमार ने की। भाषण प्रतियाेगिता में जज की भूमिका में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. कुमार गौरव, डा. रंजन कुमार व डा. शिवनाथ साहू थे। कुल 25 प्रतिभागियों ने शिरकत की। जिसमें प्रथम स्थान एनसीसी कैडेट सह स्नातक अंग्रेजी की छात्रा वाणी कुमारी, द्वितीय स्थान पर बायोटेक की छात्रा अंशु प्रिया व तृतीय स्थान पर बायोटेक की छात्रा श्रेया कुमारी रहीं।

 

रजत जयंती भाषण प्रतियोगिता का शेष : गांव का विकास कर ही हम आगे बढ़ सकते हैं :

गांव का विकास कर ही हम आगे बढ़ सकते हैं। बिहार तेजी से आगे बढ़ रहा है। लेकिन विकास की रफ्तार शहरों तक ही सीमित है। इसे गांव के तक पहुंचाना होगा। खासकर स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में तभी हम आगे बढ़ सकेंगे। 2050 के बिहार के लिए सरकार के साथ आम लोगों को भी आगे आना होगा।

 

वाणी कुमारी, प्रथम।

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राज्य के प्रगति की राह में स्वस्थ्य समाज की भूमिका काफी अहम है। ऐसे में सेहतमंद समाज के निर्माण की दिशा में सरकार के साथ आम जन को भी जागरूक होना होगा। स्वस्थ्य समाज के बल पर ही प्रगति की रफ्तार को गति देते हुए 2050 के बिहार में नई गाथा लिखेंगे।

अंशु प्रिया, द्वितीय।

 

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बिहार प्रगति की राह पर है। निरंतर आगे बढ़ रहा है। इसका प्रभाव भी शिक्षा स्वस्थ्य सहित अन्य क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। राजगार के सृजन की दिशा में यदि आगे बढ़े तो आने वाले दिनों बिहार की पहचान देश भर में अलग होगी। निश्चित रूप से 2050 का बिहार का रोजगार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा।

 

श्रेया कुमारी, तृतीय।

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ग्रामीण परिवेश में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर किया गया है। इसके बावजूद जागरूकता की कमी गांवों में बनी है। इस दिशा में और बेहतर कार्य करने की जरूरत है। इसके लिए सरकार के साथ साथ समाज के शिक्षित लोगों को आगे आना होगा। निश्चित रूप से 2050 का बिहार स्वास्थ्य शिक्षा व रोजगार की दिशा में आत्मनिर्भर होगा।

प्रो. डा. कैलाश प्रसाद, प्रधानाचार्य, टीपी कालेज मधेपुरा।

 

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बिहार के विकास में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। इस दिशा में सरकार भी निरंतर काम कर रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक बदलाव हुआ है। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य काफी बेहतर हुई है। लेकिन अभी और बदलाव की जरूरत है।

 

डा. सुधांशु शेखर, दर्शनाशास्त्र विभागाध्यक्ष सह कार्यक्रम पदाधिकारी एनएसएस, बीएनएमयू।

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बिहार तेजी से बदल रहा है। बदलाव के साथ कई चुनौतियों से भी राज्य को जूझना पड़ रहा है। खासकर बाढ जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद बिहार के गांवों में बदलाव दिख रहा है। आने वाले 2050 का बिहार निश्चित रूप हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा। जहां लोगों को स्वास्थ्य,शिक्षा के साथ साथ अपने घरों में रोजगार मिलेगा।

ले. गुड्डू कुमार, विभागाध्यक्ष, गणित विभाग, टीपी कालेज मधेपुरा

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