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Webinar। अंतरराष्ट्रीय वेबीनार 7 एवं 8 अगस्त को, कुलपति भी करेंगे भागीदारी

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अंतरराष्ट्रीय वेबीनार 7 एवं 8 अगस्त को, कुलपति भी करेंगे भागीदारी
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कोविड-19 का देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा है और विश्वव्यापी आर्थिक मदीं आने की प्रबल संभावना है। शहर और गांव दोनों इससे प्रभावित हैं। भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी इसका मार झेल रही है। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभावों का विश्लेषण आवश्यक हो जाता है।

इसी के मद्देनजर कोविड-19 का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव विषयक एक अंतरराष्ट्रीय वेबीनार 7 एवं 8 अगस्त, 2020 को अर्थशास्त्र विभाग, महिला महाविद्यालय, खगड़िया एवं ए. एस. काॅलेज, देवघर के संयुक्त तत्वावधान में अनुचिंतन फाउंडेशन तथा अंग विकास परिषद् के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

वेबीनार का आभासी उद्घाटन वेबीनार के मुख्य संरक्षक मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर के कुलपति प्रोफेसर रंजीत कुमार वर्मा करेंगें।

वेबीनार के दूसरे दिन के कार्यक्रम का उद्घाटन बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी करेंगे। जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर भी आमंत्रित वक्ता के रूप में अपनी बात रखेंगे।

संयोजक की भूमिका जानेमाने अर्थशास्त्री और बिहार का आर्थिक परिदृश्य एवं बिहार रिसर्च जर्नल के संपादक डॉ. अनिल ठाकुर निभा रहे हैं।

संयोजक ने बताया कि खगड़िया में पहली बार अंतरराष्ट्रीय वेबीनार हो रहा है। इसमें 500 से अधिक विद्वानों एवं शोधार्थियों का पंजीयन हो चुका है। इसमें देश-विदेश के अर्थशास्त्री एवं अन्य विषयों के विद्वान अपने-अपने विचार रखेंगे। इससे कोविड-19 के प्रभावों को कम करने और अर्थव्यवस्था को बचाने में मदद मिलेगी।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।