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*दर्शन परिषद्, बिहार के अधिवेशन में होगी बीएनएमयू की भागीदारी*

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*दर्शन परिषद्, बिहार के अधिवेशन में होगी बीएनएमयू की भागीदारी*
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दर्शन परिषद्, बिहार का 46 वाँ वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन 21 से 23 दिसंबर, 2024 को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर की अंगीभूत इकाई मारवाड़ी महाविद्यालय, भागलपुर में आयोजित है। इसमें बीएनएमयू, मधेपुरा की महती भागीदारी रहेगी।

*तत्वमीमांसा विभाग की अध्यक्षता करेंगे पूर्व कुलपति*
ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि अधिवेशन में छः विभागों यथा- तत्वमीमांसा, ज्ञानमीमांसा, समाज दर्शन, धर्म दर्शन, नीति दर्शन तथा योग एवं संस्कृति में शोध-पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। इसमें से एक तत्वमीमांसा विभाग की अध्यक्षता बीएनएमयू के पूर्व कुलपति प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी करेंगे।

*सिया देवी व्याख्यान के प्रायोजक हैं डॉ. सुधांशु*

उन्होंने बताया कि अधिवेशन में आठ व्याख्यानों का आयोजन होगा। इसमें एक व्याख्यान सिया देवी, माधवपुर (खगड़िया) डॉ. सुधांशु शेखर द्वारा प्रायोजित है, जिसके वक्ता दर्शनशास्त्र विभाग, एलएनएमयू, दरभंगा के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अमरनाथ झा होंगे।

*दो संगोष्ठी में दो शिक्षकों की होगी प्रस्तुति*

उन्होंने बताया कि अधिवेशन में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ तथा ‘जीवन-प्रबंधन एवं नैतिक आचरण’ विषयक दो संगोष्ठियाँ आयोजित की जाएंगी। इसमें विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों की प्रस्तुति होगी। प्रथम संगोष्ठी में आरजेएम कॉलेज, सहरसा की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रत्यक्षा राज तथा दूसरी संगोष्ठी में सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. अनिल कुमार अपना शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगी।

*लगभग एक दर्जन शोध-पत्र प्रस्तुत होंगे*
उन्होंने बताया कि यह अधिवेशन भारत सरकार के अंतर्गत संचालन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा संपोषित है। इसका मुख्य विषय नारी, संस्कृति एवं प्रकृति रखा गया है। इसमें बीएनएमयू के लगभग एक दर्जन शिक्षक एवं शोधार्थी भाग लेंगे और अपना शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगे। इनमें स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, बीएसएस कॉलेज, सुपौल के अध्यक्ष डॉ. रणधीर कुमार, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, शशिकांत कुमार, रतन कुमार मिश्र, डॉ. श्याम प्रिया, राजहंस राज, शक्ति सागर, चंदन कुमार, पवन कुमार, नूतन कुमारी सहित अन्य लोगों के नाम शामिल हैं।

*प्रधानाचार्य को बनाया गया है आयोजन समिति का अध्यक्ष*
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु मारवाड़ी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. शिव प्रसाद यादव को आयोजन समिति का अध्यक्ष, दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. स्वस्तिका को संयोजक एवं असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रज्ञा राय को आयोजन सचिव बनाया गया है। विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राहुल कुमार को समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है।

उन्होंने बताया कि अधिवेशन में विभिन्न अतिथियों के अतिरिक्त मुख्य रूप से सामान्य अध्यक्ष प्रो. रतना चौधरी, अध्यक्ष प्रो. पूनम सिंह, उपाध्यक्ष प्रो. निर्मला कुमारी झा एवं प्रो. शैलेश कुमार सिंह, महासचिव डॉ. श्यामल किशोर, संयुक्त सचिव प्रो. किस्मत कुमार सिंह, प्रो. पूर्णेन्दु शेखर एवं प्रो. अवधेश कुमार सिंह तथा कोषाध्यक्ष प्रो. वीणा कुमारी की उपस्थिति रहेगी।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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