

कविता / मुझे अँधेरों में रखा / डॉ. कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ श्रीनगर-गढ़वाल, उत्तराखंड
मुझे अँधेरों में रखा डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ श्रीनगर-गढ़वाल, उत्तराखंड मेरी सरलता ने मुझे अंधेरों में रखा, वरना, कोई कमी न थी मुझे उजालों की।
मुझे अँधेरों में रखा डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ श्रीनगर-गढ़वाल, उत्तराखंड मेरी सरलता ने मुझे अंधेरों में रखा, वरना, कोई कमी न थी मुझे उजालों की।
तय नहीं कर पाते, दुनिया के इस मेले में आकर्षणों की भरमार है। कहीं हंसी की खिलखिलाहट, कहीं मुस्कुराहट के उजाले। पसरी है खामोशियों की
सच पूछो तो, कभी तो सच में लगता है कि मैं ही गलत हूँ। कुछ तो वजह होगी, दुनियादारी में मैं ही नासमझ हूँ। जब
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