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NSS शिविर में दर्जनों लोगों को नि:शुल्क परामर्श दिया गया और मुफ्त दवाइयाँ भी दी गईं

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शिविर में दर्जनों लोगों को नि:शुल्क परामर्श दिया गया और मुफ्त दवाइयाँ भी दी गईं।
डा. प्रणव को महाविद्यालय की ओर से सम्मानित किया गया। संचालन सहयोगी संस्था प्रांगण रंगमंच के अध्यक्ष डाॅ. संजय कुमार परमार ने किया।

कार्यक्रम में शिविरार्थियों के अलावा विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया।

डा. प्रणव ने बताया कि दाँत मुँह (या जबड़ों) में स्थित सफेद रंग की एक छोटी संरचना है। यह भोजन को चीरने, चबाने आदि के काम आता है।

उन्होंने बताया कि यह बहुत से कशेरुक प्राणियों में पाया जाता है। कुछ पशु (विशेषत मांस खाने वाले) शिकार करने एवं रक्षा करने के लिए भी दाँतों का उपयोग करते हैं। दाँतों की जड़ें मसूड़ों से ढकी होती हैं। दाँत, अस्थियों (हड्डी) के नहीं बने होते, बल्कि ये अलग-अलग घनत्व एवं कोठर ऊतकों या टिशुओं से बने होते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें जीवन के अंतिम क्षण तक दाँतों की जरूरत होती है। इसलिए हमें दाँतों को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों से बचना चाहिए।

उन्होंने बताया कि हमें नियमित रूप से दातों की सफाई करनी चाहिए और खान-पान में विशेष ध्यान दांतों को सबसे सतर्कता रखनी चाहिए। कोल्ड ड्रिंक ज्यादा पीने से दांतों को काफी नुकसान पहुंचता है और डिब्बाबंद जूस में मिठास ज्यादा होने से इसके सेवन से भी दांत खराब होने लगते हैं। इसकी बजाए ताजा जूस पीने से दांतों को कोई हानि नहीं पहुँचती और सेहत भी बेहतर होती जाती है।

उन्होंने बताया कि नींबू, सरसों का तेल, लौंग, हींग, प्याज, तेजपत्ता, अदरक, अमरूद के पत्ते, लहसुन, तिल का तेल, पुदीना  आदि दाँतों के लिए फायदेमंद हैं।

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